सोशलिस्ट युवजन सभा
शिक्षा पर नवउदारवादी हमले के खिलाफ निर्णायक आवाज

"जब विद्यार्थी राजनीति नहीं करते तब वे सरकारी राजनीति को चलने देते हैं और इस तरह परोक्ष में राजनीति करते हैं।- " डॉ. राममनोहर लोहिया”
"वे (विधार्थी) पढ़ें। जरूर पढ़ें। साथ ही पॉलिटिक्स का भी ज्ञान हासिल करें और जब जरुरत हो तो मैदान में कूद पड़ें और अपने जीवन को इसी काम में लगा दें।" भगत सिंह

पूरे देश में शिक्षा पर नवउदारवादी, सांप्रदायिक और बाजारवादी हमले बढ़ते जा रहे हैं। चार साला बीए प्रोग्राम (एफवाईयूपी) की जगह CBCS विद्यार्थियों पर थोप दिया गया है। शिक्षा को WTO-GATS के हवाले करने की पूरी तैयारी चल रही है।
सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्र/छात्राओं और शारीरिक तौर पर विकलांग छात्रों के लिए शिक्षा उनके पहुँच से दूर होता जा रहा हैं। शिक्षा प्राप्ति के रास्ते में पहले से ही कई तरह की बाधाओं से घिरी देश की लड़कियों, विशेष तौर पर गांवकस्बो की लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा और ज्यादा दुर्लभ होती जा रही है।
दरअसल देश की शिक्षा निति को नष्ट कर,नवउदारवादी नीतियों के तहत प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों को नष्ट करके यहां विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए शिक्षा का बाजार उपलब्ध कराना चाहते हैं।

छात्रों के कैरियर और शिक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ का ऐसा उदाहरण दुनिया में अन्यत्र नहीं मिलता।
सोशलिस्ट युवजन सभा (एस.वाई.एस.) की दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी छात्रों से अपील है कि वे छात्र हितों के लिए संघर्ष करने वाले छात्र संगठन को ही अपना मत दें। सत्ता की दलाली, धन और धमकी की राजनीति करने वालों को करारी शिकस्त दें। जो भी छात्र संगठन निम्नलिखित मुद्दों के लिए संघर्ष करे और लागू कराएं उसे ही छात्र संघ के लिए चुने।
निम्नलिखित मुद्दें हैं-

CBCS को तुरंत रद्द किया जाए।
उत्तरपुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन की फीस पहले की तरह 100 रुपया रखी जाए और पुनर्मूल्यांकन की सुविधा बंद न की जाए।
सभी कॉलिजों में सांध्य कक्षाएं शुरु की जाएं। उत्तरी परिसर में बाहरी निजी वाहनों पर रोक लगाई जाए। पूर्वी एवं पश्चिमी कैम्पस जल्द से जल्द खोले जाएं।
दक्षिण परिसर में सामाजशास्त्र, मानविकी एवं कॉमर्स की स्नातकोत्तर एवं एमफिल कक्षाएं पहले की तरह शुरू की जाएं। एमए और एमफिल की सीटें बढ़ाई जाएं।
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के छात्रों की सभी सीटें समय से भरी जाएं और दाखिला प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाए।

सभी इच्छुक छात्राओं और छात्रों के लिए छात्रावास की व्यवस्था की जाए।

कॉलिज और विश्वविद्यालय परिसर में छात्राओं की संपूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
विश्वविद्यालय प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि देश के किसी भी हिस्से से आने वाले छात्रों के साथ किसी तरह का दुर्व्यवहार एवं भेदभाव न हो। किराए पर रहने वाले उत्तरपूर्व के छात्रों की परेशानियां दूर करने के लिए विशेष उपाय किए जाएं।
सेमेस्टर सिस्टम के अर्न्तगत पढ़ाई के लिए छात्रशिक्षक अनुपात के हिसाब से अतिरिक्त सैक्शन शुरू किए जाएं।
कॉलिजों, और उत्तर व दक्षिण परिसर के लिए यूस्पेशल बस सेवा की समुचित व्यवस्था की जाए। डीटीसी पास सभी बसों में मान्य हों और छात्रों के लिए रियायती दर पर मैट्रो कार्ड बनाए जाएं।

हिन्दी माध्यम के छात्रों के लिए अध्यापन एवं पाठ्य सामग्री की समुचित व्यवस्था हो।

परिसर में प्राईवेट सिक्योरिटी और पुलिस की मौजूदगी अध्ययनअध्यापन के माहौल को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। लिहाजा, कॉलेजों और विश्वविद्यालय में प्राईवेट सिक्योरिटी की व्यवस्था बंद की जाए और उसकी जगह पहले की तरह विश्वविद्यालय के चौकीदार बहाल किए जाएं।

नीरज कुमार
महासचिव
सोशलिस्ट युवजन सभा