जब वोटिंग वाले दिन गुन्नौर में मुलायम का तूफान आया और चुनाव आयोग बेबस था

पीयूष रंजन यादव

2007 का यूपी विधान सभा का चुनाव था। गुन्नौर से तत्कालीन मुख्यमंत्री जी चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव के एक दिन पहले दोपहर के बाद नरौरा बैराज से और कछला की तरफ से गाड़ियों का सैलाब आना शुरू हुआ। गुन्नौर विधान सभा के हर बूथ पर एटा, इटावा, मैनपुरी के योद्धा रात होते होते पहुंच चुके थे। वैसे भी गुन्नौर की जनता मुलायम सिंह जी के साथ ही थी। रजपुरा में हुई मीटिंग में आदरणीय श्री मुलायम सिंह जी कह चुके थे कि 11 बजे तक जिसे वोट डालने हों, डाल लें उसके बाद आंधी तूफान आयेगा।


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उनका यह भाषण वोटिंग बाले दिन समझ आया जब दोपहर बाद मैनपुरी, एटा, इटावा के लोगों ने बूथ कैप्चरिंग की। वो लोग, जो खुद भी श्री मुलायम सिंह जी को वोट देना चाहते थे उन्हें भी भगा दिया गया। मेरे पास आज भी रिकार्ड है जहां 98% तक पोलिंग हुआ।

प्रत्याशी होने के नाते मैं दौरे पर था, देहात में कई जगह अनिधकरत गाड़ियां फ्री घूमते देखी। पर्यवेक्षक को सूचना दी गई, चुनाव आयोग को FAX किये गए, लेकिन जमीन पर कोई कार्यवाही नहीं दिखी। चुनाव खत्म होने के बाद शाम को 6 बजे से रात के 10 बजे तक नरौरा बैराज से वापस जाने बाली गाड़ियों की हैरत अंगेज संख्या थी। मुझे ये मालूम था कि यह चुनाव मैं नहीं जीतने जा रहा था। लेकिन मुझे इस बात का बहुत दुःख हुआ कि गुन्नौर की जनता पर विश्वास न करके बाहरी गुंडों को भेजकर उनसे गुन्नौर के गरीब गुरबों के वोट को लूटने का काम सैफई बालों ने किया यह गुन्नौर की जनता का और यहां के रीढ़ विहीन सत्ता लोलुप नेताओं का अपमान था।

अभी कुछ दिनों पहले ही एक कांग्रेस की नेता ने मुझ से फेसबुक पर पूछा था कि मुझे कितने वोट मिले तो बता दूं कि मुझे लगभग 4000 वोट उस समय मिले थे। मुझे फख्र है मैं बिका नहीं, झुका नहीं। जितनी क्षमता थी उतनी क्षमता से मैं लड़ा। आज भी लड़ रहा हूँ।

कहानी यहीं खत्म नहीं होती। चुनाव के बाद प्रदेश में BSP की सरकार बनी थीं। श्री मुलायम सिंह जी ने इस्तीफा दे दिया, उप चुनाव हुआ। तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष जी मेरे नेता माननीय श्री सलमान खुर्शीद साहब ने फिर चुनाव लड़ने का आदेश दिया। मुख्य चुनाव में BSP से श्री आरिफ साहब चेयरमैन गुन्नौर चुनाव लड़े थे और लगभग 21000 वोट ले गये थे। तो यह सोच कर कि यदि हमारा प्रत्याशी मुस्लिम समुदाय से हो तो पार्टी को सम्मानजनक वोट मिल जायेगा, मैंने डॉ. मु. रिजवान अली साहब का नाम प्रस्तावित किया। जिसे मेहरबानी कर माननीय श्री सलमान साहब ने मान लिया। इस उपचुनाव में सपा से प्रदीप यादव बसपा से दीपक यादव और कांग्रेस से डॉ. रिजवान साहब चुनाव लड़े।

Rest is history.

मेरे लिये पार्टी मुझसे भी बड़ी रही है। अपने स्वार्थ को कभी पार्टी के हित पर हावी नहीं होने दिया और अपने ego को satisfy करने के लिये किसी को अपमानित करने की कोशिश भी नहीं की। लेकिन पार्टी का दुर्भाग्य है कि छोटी सोच के लोग पार्टी को अपनी जायदाद समझने की गलती कर रहे हैं। इसके खिलाफ भी लड़ना होगा। इस महान पार्टी को यूं मिटने नहीं दिया जा सकता।

उस समय का मेरी और आदरणीय श्री मुलायम सिंह जी की तस्वीरें ये है:-


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{पीयूष रंजन यादव, कांग्रेस के नेता हैं, वे कांग्रेस के भीमनगर (संभल) के जिलाअध्यक्ष भी रहे हैं। 2007 में उन्होंने गुन्नौर विधानसभा क्षेत्र से तत्कालीन सपा अध्यक्ष (अब मार्गदर्शक) मुलायम सिंह यादव के विरुद्ध चुनाव लड़ा था। यह टिप्पणी मूलतः उन्होंने अपनी एफबी पर पोस्ट की है, वहीं से साभार।}