जम्मू-कश्मीर : गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए दबाव डालना अलोकतांत्रिक
जम्मू-कश्मीर : गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए दबाव डालना अलोकतांत्रिक
नई दिल्ली, 19 जनवरी। वरिष्ठ अधिवक्ता और भारतीय संविधान के विशेषज्ञ प्रो. भीमसिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की भाजपा-पीडीपी सरकार भारतीय नागरिकों पर गणतंत्र दिवस, जो कि पूरे देश की सरकारी छुट्टी है, के समारोह में शामिल होने के लिए दबाव डालना अलोकतांत्रिक है।
प्रो. भीमसिंह ने कहा कि 1950 से जब से भारत में भारतीय संविधान लागू हुआ है, हर साल 26 जनवरी को सरकारी छुट्टी घोषित की गयी है। उन्होंने कहा कि आज तक भारतीय संविधान, जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं हुआ है।
प्रो. भीमसिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की तानाशाह आरएसएस-पीडीपी सरकार ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए गणतंत्र दिवस समारोह में अनिवार्य रूप से शामिल होने का फरमान जारी किया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार वहां के सरकारी कर्मचारियों के लिए यह फरमान गैरकानूनी और अस्वीकार्य है और प्रो. भीमसिंह की अध्यक्षता वाली स्टेट लीगल एड कमेटी इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं, अगर जम्मू-कश्मीर सरकार ने 26 जनवरी के तानाशाही फरमान को लागू करने की कोशिश की।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रो. भीमसिंह ने मोदी सरकार से पूछा कि कि क्या वह भाजपा शासित सभी राज्यों, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, असम और अन्य में भी इसी तरह के निर्देश जारी किये हैं और अगर भाजपा शासित राज्यों के सरकारी कर्मचारी गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल नहीं हुए तो क्या उनके साथ भी वही सलूक किया जाएगा जो जम्मू-कश्मीर की जनता के साथ।
प्रो. भीमसिंह ने आरएसएस के नियंत्रण वाली जम्मू-कश्मीर सरकार से कहा कि अगर गणतंत्र दिवस समारोह के दिन कोई हादसा हो जाता है तो वह इसके लिए जिम्मेदार होगी।


