जम्मू के डोगरा नेताओं ने ठुकराया धारा 370 पर सरकार का आदेश
जम्मू के डोगरा नेताओं ने ठुकराया धारा 370 पर सरकार का आदेश
भीम सिंह की संसद के जम्मू-कश्मीर राज्य के दर्जे पर अधिनियम पर प्रतिक्रिया Bhim Singh's response to the Act on the status of the state of Jammu and Kashmir of Parliament
जम्मू, 08 अगस्त 2019. नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक एवं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के वरिष्ठ कार्यकारी सदस्य प्रो. भीम सिंह ने पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा सरकार के संसद में जम्मू-कश्मीर के दर्जे के सम्बंध में नवीनतम अधिनियम को बिना सोचे-समझे लाया गया बताया।
प्रो. भीम सिंह ने कहा कि संसद के नए अधिनियम जिसे ‘जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन‘ के रूप में वर्णित किया गया है, पूरी तरह से भ्रामक है और 200 साल पुराने राज्य को विघटन की ओर ले जाता है और राज्य की अखंडता और इतिहास को ध्वस्त करने वाला है, जिसे 1846 में महाराजा गुलाब सिंह द्वारा स्थापित किया था। जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा गंभीर रूप से अन्य संघ शासित प्रदेशों के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश में कम हो गई है।
पैंथर्स सुप्रीमो ने कहा कि भारतीय संविधान से अनुच्छेद 35-ए को लेकर संसद और जम्मू-कश्मीर द्वारा बनाए गए नए कानून का पहला हिस्सा उचित है, क्योंकि 1954 में तत्कालीन भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक अध्यादेश जारी करके अनुच्छेद 35 में ‘ए‘ जोड़ा था, जो केवल छह महीने के लिए वैध था। इसकी निरंतरता असंवैधानिक और अस्वीकार्य थी, क्योंकि 35-ए ने जम्मू-कश्मीर में सभी भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों को अपने नियंत्रण में ले लिया था।
दूसरी बात यह है कि संसद के अधिनियम का दूसरा भाग अनुच्छेद 370 के बारे में है, जो 1950 से अस्थायी था। अनुच्छेद 370 में संशोधन करने के लिए महत्वपूर्ण हिस्सा यह था कि संसद की रक्षा, विदेश मामले, संचार और संबद्ध मामलों के संबंध में कानून बनाने के लिए अपनी विधायी शक्ति को बहाल करना चाहिए था, क्योंकि इसे 26 जनवरी, 1950 को संविधान में शामिल किया गया था। संसद में इन विषयों के संबंध में कानून बनाने की क्षमता है, जो 26 अक्टूबर, 1947 को तत्कालीन महाराजा द्वारा हस्ताक्षरित विलयपत्र में पेश किए गए थे। इससे निपटने में संसद की शक्तियों को छीन लेना एक गंभीर भूल थी। यह आश्चर्य की बात है कि संसद द्वारा प्रस्तावित नए संशोधन में इस प्रावधान को बरकरार रखा गया है और यह ज्ञात नहीं है कि इन विषयों से निपटने के लिए संसद को कोई अधिकार दिया गया है या नहीं। सरकार ने घोषणा की थी कि वह संविधान से अस्थायी धारा 370 को हटा रही है, लेकिन इसके प्रावधान 1 के साथ अस्थायी अनुच्छेद को बरकरार रखा गया है, जो देश के बाकी हिस्सों के साथ जम्मू-कश्मीर राज्य को एकीकृत करने की भावना के साथ नहीं जाता है।
जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी तथाकथित कानून को स्वीकार नहीं करेगी जो उसके राज्य के दर्जे को ध्वस्त करता है।
सुश्री अनीता ठाकुर (महासचिव), कैप्टन अनिल गौड़ (सचिव) और सुरिंदर चैहान (जिला अध्यक्ष जम्मू ग्रामीण) भी संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे।


