"जय हिन्द" का नारा आबिद हसन 'साफ़रानी' ने दिया, "इंक़लाब ज़िंदाबाद" का 'हसरत मोहानी' ने
"जय हिन्द" का नारा आबिद हसन 'साफ़रानी' ने दिया, "इंक़लाब ज़िंदाबाद" का 'हसरत मोहानी' ने

"जय हिन्द" का नारा आबिद हसन 'साफ़रानी' ने दिया, "इंक़लाब ज़िंदाबाद" का 'हसरत मोहानी' ने
स्वतंत्रता दिवस के बाद कुछ बातें Some things after independence day
पूरे देश में बड़े फख्र और गौरव के साथ स्वाधीनता दिवस मनाया गया।
देश की आजा़दी में सबसे बड़ा रोल अदा करने वाले दारुल उलूम देवबंद, जिसकी बुनियाद 1866 में इसी मक़सद से रक्खी गयी थी, ताकि एक ऐसी छावनी बनायी जाए जिससे पूरे मुल्क में कैडर्स भेजे जाएं, और इसी देवबंद के स्कालर्स ने हिंदू, मुस्लिम साथ मिलाकर 1947 में देश को अंग्रेजो़ से आजा़द कराया, और इस्लाम के नाम पर बनने वाले देश पाकिस्तान को क़बूल करने से इन्कार करते हुए सेक्यूलर देश भारत को सीने से लगाया।
उसके बाद देश भर में इसी देवबंद से जुड़े हजारों मदरसे बनाए गए.
आजा़दी के बाद भी देवबंद कभी झुका नहीं, कभी बिका नहीं, देश के राष्ट्रवाद और लोकतंत्र लिए हमेशा से हमेशा तक कोशिश करता रहा।
यूँ देवबंद को आजा़दी का जश्न मनाने का सब से ज़्यादा हक़ था.
और यह जशन देश भर में दिखा।
देवबंद के सभी मदरसों व स्कूल्स समेत देश भर के बीस हजा़र से ज्यादा मदरसों में झण्डा लहराकर, वीर शहीदों की कुर्बानियों को सलाम किया गया, और इसमें मज़हब के फर्क़ के बगै़र टीपू,से आजा़द तक,महमूद से अशफाक़ तक तो भगत से गांधी तक को याद किया गया.
पर इस जशन के बाद कुछ सवाल हैं जिनका जवाब इस देश का हर इंसाफ़ पसन्द, सेक्यूलर बाशिंदा देश की सरकार, न्यायालय, नेतागण और देश की 125 करोड़ जनता से ज़रूर मांगना चाहेगा.
कल मुसलमानों ने, मदरसे वालों ने, उलमा ने, जिस बड़े पैमाने पर जश्न मनाया, वो कहीं ना कहीं मुसलमानों के प्रति देश ग़द्दार होने, दोहरा रवय्या बरते जाने और शक के दायरे में देखे जाने की वजह से भी था.
हालांकि यह बात समझ नहीं आती कि भारत के मुसलमानों को क्यों, कब से और किसने गद्दार बना डाला, यह समझ से परे है। जबकि भारत - माता के नारों के बीच में फँसी देशभक्ति के नारों से याद आया कि भारत मे दिये जाने वाले अधिकतर नारों का वजूद मुसलमानों से ही है.
* "मादरे वतन भारत की जय" का ये नारा 'अज़ीम उल्लाह ख़ाँ' ने 1857 में दिया था..
* "जय हिन्द" का नारा आबिद हसन 'साफ़रानी' ने दिया था..
* "इंक़लाब ज़िँदाबाद" का नारा 'हसरत मोहानी' ने दिया था...
* "भारत छोड़ो" (Quit India) का नारा "युसुफ़ मेहर अली" ने दिया था और इन्होंने ही 'साईमन गो बैक' (Simon Go Back) का नारा दिया था..
और हाँ "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है" बिहार के लाल 'बिसमिल अज़ीमाबादी' ने 1921 में लिखा था ....
आख़िर में इक़बाल का लिखा "तराना-ए-हिन्दी" तो याद होगा ही ??
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा।
अगर याद नहीं है तो किसी भी ट्रेन पर चढ़ जाईये हर दरवाज़े के ऊपर " हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे..." लिखा हुआ मिल जाएगा।
लाल किला की प्राचीर, जहाँ से प्रधानमंत्री भाषण देते हैं, वो भी इन्हीं मुसलमानों की देन है.
भोपाल में मौजूद एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद "ताजुल मसाजिद" की मीनारों के बीच देश का दूसरा सबसे ऊंचा तिरंगा इन्हीं मुसलमानों की देशभक्ति को बतलाता है.
आजा़दी की सुबह लालकि़ले पर शहनाई बजाने वाले उस्ताद बिसमिल्लाह खान भी मुसलमान ही थे.
पर मालूम नहीं क्यों मुसलमानों की देशभक्ति पर शक किया जाता है???
लाखों बलिदान देकर देश को मुक्ति दिलाने वाले मुस्लिम वीरों को ना तो प्रधान मंत्री ने याद किया और ना ही किसी स्कूल व विद्यामंदिर में याद किया गया.
जब कि देश के हर मदरसे में भगत सिंह व गांधी जी पर घंटों भाषण दिये गये.
यह दोहरा रवय्या मुसलमानों के साथ क्यों???
ऊँचे- ऊँचे तिरंगे लहरा कर, घंटों- घंटों भाषण देकर देशभक्ति जतलाने वाले नेताओं से यह सवालात भी करता चलूं कि क्या यही आजा़दी है??
"क्या वास्तव में हमारा भारत देश स्वतंत्र हो गया है? "अगर हाँ तो क्या? ????
क्या देश धर्मांधता से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश जातीयता से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश भेदभाव से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश विषमता से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश गरीबी से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश पूंजीवाद से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश भुखमरी से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश भ्रष्टाचार से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश दमन और शोषण से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश झूठ और लूट करने वाले बाबा और अम्माओं से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश बलात्कारियों से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश स्त्री दासता से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश स्त्री भ्रूण हत्या से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश अंधविश्वास से स्वतंत्र हुआ?
क्या देश अन्याय -अत्याचार से स्वतंत्र हुआ?
16.क्या देश फासीवाद,जातिवाद, मनुवाद, से स्वतंत्र हुआ??
17.क्या देश रिश्वत और हिंसा से स्वतंत्र हुआ??
18.क्या देश का लोकतंत्र और स्वतंत्र हुआ?
क्या दलित, पिछड़ा वर्ग जु़ल्म व धित्कार से स्वतंत्र हुआ,
अगर नहीं तो 100 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने इस पर क्या रोडमैप दिया.
कुछ भी नहीं अपना कशमीर सम्भलता नहीं.
दूसरे की फिक्र पड़ी है.
एक बात साफ़ साफ़ कहूँगा कि इस देश की आजा़दी के लिए हमारे पूर्वजों ने खून दिया है.
उनके लहू से देश आजा़द हुआ है.
अब इसकी रक्षा भी हम ही करेंगें.
यहाँ की अनेकता में एकता की रीति को मज़बूत करेंगे.
लोकतंत्र व प्रजातंत्र को फौलाद बनायेंगें
पर किसी से डर कर नहीं, किसी से झुक कर नहीं,
एक सच्चा देशभक्त हिंदुस्तानी होने की वजह से.
इसलिए कि इस देश के एक एक इंच पर हमारा हक़ है.
हम कोई किरायेदार नहीं, हम इस देश के बराबर के भागीदार हैं.
क्योंकि हमारा ही नारा है "सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा, हमारा,"
जय हिंद जय भारत.
मेहदी हसन एैनी रायबरेली
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। )


