जय हो, जोहार हो... लड़ाई आरपार हो! असली त्योहार अब मेड इन इंडिया, किल-किल, खिल-खिल इंडिया मेरी जान
जय हो, जोहार हो... लड़ाई आरपार हो! असली त्योहार अब मेड इन इंडिया, किल-किल, खिल-खिल इंडिया मेरी जान
जय हो, जोहार हो ... लड़ाई आरपार हो! मतुआ कहने से कोई मतुआ हो नहीं जाता जैसे क्रोनी कैपिटल पर प्रहार कहने से प्रहार लेकिन होता नहीं है
आलिशा, प्रकट हो जा कहीं से भी, कम से कम आखिरी बार गाकर सुना- मेड इन इंडिया
पलाश विश्वास
असली त्योहार अब मेड इन इंडिया, किल-किल, खिल-खिल इंडिया मेरी जान
आलिशा, प्रकट हो जा कहीं से भी, कम से कम आखिरी बार गाकर सुना-मेड इन इंडिया
विनिवेश और डिजिटल देश, आर्थिक सुधार, विकास और वृद्धि दर, वित्तीय घाटा और इंफ्रास्ट्रक्चर, पीपीपी गुजराती माडल की तर्ज पर एक और नई परिभाषा अब अबाध कालाधन पूंजी प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए।
अब समझ लो बच्चों, प्रधान स्वयंसेवक ने कह दिया है कि एफडीआई माने फर्स्ट डेवेलप इंडिया, विदेशी पूंजी को खुली छूट नहीं। जैसे पीपीपी माने बुलेट ट्रेन और स्मार्ट सिटी यानी खुल्ला खेल फर्रूखाबादी यानी निरंकुश बेदखली।
पीपीपी माने सेज महासेज देश के अंदर विदेश।
सरकारी उपक्रमों का सत्यानाश और अंबानी अडानी राज तो एफडीआई के फर्स्ट डेवेलप इंडिया का मतलब भी समझ लीजिये।
मेक इन माने मेड इन सारा कुछ खारिज। विदेशी पूंजी मेक इन करेगी और हम कर्मकांडी तौर तरीके से भोग लगायेंगे, हम यानि जो सत्ता वर्ग के क्रयशक्ति संपन्न उपभोक्ता है और बाकी हैव्स नाट के लिए बचेगा महज तिरंगा झंडा और फूट गया अंडा।
किया छूं चूं गूटरगूं तो सर पर पड़ेगा डंडा। सब हो जाओगे ठंडा जब होगा सलवा जुड़ुम या लागू हो जाये आफसा दसदिगंते।
सारे युद्धों का मदर अगर तेल युद्ध अमेरिकी तो सारे सुधारों, सारे नरमेध राजसूय का फादर यह मेक इन त्योहार है।
अब गाओ रे भाया, आईला रे आईला, केदार रे केदार, अलीबाब आला।
खुल जी सिम सिम, खुल जा सिम सिम खुल, जीजा सिम सिम।
विकास की देहगाथा की खुली रे खुली जिम, सिक्स पैक सिम।
बरहाल त्योहार है कि गुजरात नरसंहार के दाग धुल गये जैसे सिखों का नरसंहार अमेरिकी नजरिये से नरसंहार नहीं ठहरा, जैसे कि भोपाल गैस त्रासदी, त्रासदी नहीं है जैसे कि विधर्मियों और आदिवासियों के खिलाफ अमेरिका का आंतकविरोधी युद्ध है।
शाही गंगा शुद्ध अभियान बहुराष्ट्रीय पापमोचन में सारी खून की नदियां दूध घी की हो गयीं। राजस्थान में तो गणपति बप्पा ने दूध नहीं पिया अबकी दफा, लेकिन दूध की नदी बह निकली है कि वीजा संकट मुक्त प्रधान स्वयंसेवक शाही लव जिहाद लेकर चले दस्तक देने ओबामा के दुआरे और मंगल अभियाने चमत्कार सफल महाशक्ति झंडा पत पत उड़े अमेरिकी आकाश कि वहां भी बाबी जिंदल का हो सके तो हो जाये राज्याभिषेक हो पूरा ग्लोबल हिंदुत्व का मिशन पूरा।
गीता की बिक्री भी बढ़ानी है और फलाहार का व्रत नवरात्रि मेनु है लेकिन नरमेध राजसूय तो तेज हो गइलन बाड़ा।
मेक इन इंडिया लांच करिके चले रघुकुल तिलक भाया
झाड़ू लगाइके कर लियो कायाकल्प गंधियन काया
अब जो होई सो होई, होइंहे सोई जो ओबामा रचि राखा
लड़िहन भारत चीन आउर पाकिस्तान कि
बांग्लादेश में भी सत्ता पलट रचि राखा
नाच्यो गोपाल बहुतै माओवादी जो नेपालन में
वह भी ससुरे हिंदू राष्ट्र बनिहें बाड़ा
बाकी बच्यो हियां वही सूअरबाड़ा
सूअरबाड़न का सूअरन जहां तहां जो गंदगी
रचि राखा, नयका गुजराती गांधीअन पीपीपी
का सबै हिटलरशाही से रफा दफा कर देंगे
सबै को होउ के बदले डंडा कर देंदंगे या गंगे दंगे
इंटर नेट से बुरबक बनाविइंग मनाही है
थ्रीजीएक्स फोर जीएक्स फाइव जीएक्स सांढ़ संस्कृति
के मीडिया महाविस्फोट में जो प्रबल सुनामी छायो
उसका का करोगे भाया
बहरहाल खबर यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की अपनी महत्वपूर्ण यात्रा के लिए रवाना हो गए हैं।
गौरतलब है मेकइन अंब्रेला से उन्होंने अमेरिका को बहुत महत्वपूर्ण भागीदार बताते हुए विश्वास जताया कि उनकी इस यात्रा से बहुत सी दूरियां खत्म होंगी और रणनीतिक रिश्तों में एक नया इतिहास शुरू होगा।
अपनी पांच दिन की अमेरिका यात्रा पर रवाना होने से पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि वह राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ इस बात पर विचार विमर्श करेंगे कि आपसी और वैश्विक हित में दोनों देश कैसे अपने संबंधों को नई ऊंचाई पर पहुंचा सकते हैं।
मोदी के भाषण की कुछ और प्रमुख बातें- अच्छी सरकार से नहीं प्रभावी सरकार से विकास को गति मिलती है।
- भारत में डिमांड, डेमॉक्रेसी और डेमोग्रैफिक डिविजन तीनों हैं।
- मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, आपका पैसा नहीं डूबेगा।
- ब्यूरोक्रेसी सरकार के कार्यक्रमों को लागू कराने के लिए पूरी मेहनत कर रही है।
- जरूरत के हिसाब से होना चाहिए स्कील मैनपावर।
- देशवासी पर भरोसा करना सरकार का मंत्र है।
- सवा सौ करोड़ देशवासियों पर निर्णय से बड़ा कोई निर्णय नहीं है।
- सरकार चाहे तो 135 की बजाय दुनिया के 50वें नंबर होगा अपना देश।
- मेक इंडिया आपके उत्पादन के लिए एक बड़ा बाजार उपलब्ध कराएगा।
- मेक इन इंडिया से भारत के नौजवानों को रोजगार मिलेगा।
- गरीब को रोजगार मिलेगा तो अर्थव्यवस्था बढ़ेगी।
- मैन्युफैक्चर के लिए जितना ज्यादा जरूरी उसका उत्पाद है, उतना ही ज्यादा जरूरी ऐसे ग्राहक भी हैं, जो उसे खरीद सकें।
कोयला की काजल कोठरी से बेदाग निकले हैं सारे चेहरे वैसे ही शारदामाता के आश्रम से भी बेदाग निकलेंगे सारे चेहरे जैसे अब तक के सारे घोटालों का हश्र हुआ है, सीबीआई सीबीआई खेल हुआ है, संसद में हुआ हंगामा और अदालतों में हुए फैसले किसी का कुछ उखड़ा नहीं।
बेहद खुश।
लेकिन आइते जाइते बारो आना, उसूल होइलो ना
बंधु तोमार देखा पाइलाम ना
चोर निकलकर भागा बचा रहा धागा
अब ससुरों, धागा का रंग देखो
धागा का नशा जायका देखो
और बवासीर के मजे लेते रहो
कोयला आबंटन सबै खारिज भयो ता कालिया तेलक्षेत्रों के आबंटन का क्या होगा रे
दुबारा नीलामी होगी
जो धनपशु लोगों को महा मुनाफा हुआ उनका का होगा
क्या वही लोग फिर नीलामी दांव खेलेंगे
या नयका खलाड़ी लबै खुल्लम खुल्ला पेलेंगे
उन बैंकों का तरणहार कौन जो लाखों करोड़ का खैराज कर्जा बांटकर सुर धुनैं हैं।
अकेले भारतीय स्टेट बैंक को सत्तर हजार का चूना लगा है क्योंकि आबंटित कोयला ब्लाक विकसित हुआ नहीं और कर्ज डूब गयो रे, वसूली का चांस नहीं कोई
फिर जो देस को कत्तै किततै लाख करोड़ का घाटा हुआ, उसका क्या
बिजली के लिए कोयला आयात जो होना है, उसका दाम कौन भरेगा
और कोयला संकट के बहाने ग्रिड संकट की कोख से निजी कंपनियां जो करंट मारेंगी, उस सर्पदंश का इंजेक्शन क्या अमेरिका से मेक इन होकर आयेगा
आज के रोजनामचे की काजल कोठरी का यह खुल जा सिम सिम है। डकैत गिरोहों का जलवा देखने के लिए इंतजार करें।
त्योहारी सीजन शुरु हो गया है। मुझे धर्म- अधर्म से कोई फर्क नहीं पड़ता।
अगर धर्म कुछ हुआ तो वह मेरे लिए खांटी 24 कैरेट विशुद्ध मनुष्यता है।
उससे कम ज्यादा मुझे कुछ भी स्वीकार नहीं है।
एक डिसक्लेमर यहीं से।
आपकी आस्था आपका अधिकार।
हमें उस पर कुछ कहना नहीं है।
सिर्फ निजी आस्था की स्वतंत्रता का आनंद लीजिये, अंध धर्मोन्मादी राष्ट्रवादी पैदल फौज में न खुद शामिल हो और न हमें शामिल होने का न्यौता दें।
त्योहारों में लेन देन में मेरी आस्था नहीं है, न औकात है।
रिश्तेदारी और लेन देन, दावे-प्रतिदावे की झंझट से बचने के लिए जिस जमीन में बहती है, मेरी रक्तधारा, उसे स्पर्श करना भी विलंबित हो रहा है।
जाहिर है कि मैं नास्तिक हूं। नवजागरण होता तो म्लेच्छ करार दिया जाता।
पापी हूं। जन्म जन्मांतर का कर्मफल, नरक, अस्पृश्यता, बहिष्कार के भोग से घिरा हूं।
स्वर्ग से नर्क में गिरा अभिशप्त शैतान हूं मैं और स्वर्ग के खिलाफ युद्ध घोषणा है मेरी।
स्वर्ग दखल करने का कोई इरादा नहीं है, नर्क के हक हकूक की लड़ाई मेरे सरोकार हैं।
कोई ईश्वर या देवमंडल अवतार गिरोह से मेरा कुछ भी लेना देना नहीं है। जन्मजात हिंदू जरूर हूं लेकिन यह मेरी पहचान नहीं है।
दरअसल मैं मतुआ हूं जो धर्म नहीं, इस देश की आम जनता की विरासत की असली पहचान है।
जनविद्रोहों और जमीन के हक हकूक की विरासत।
स्वर्ग पर मेरा कोई लोभ नहीं है। ययाति नहीं हूं कि भोग को प्रलंबित कर सकूं। विश्वसुंदरी के प्रेम को भी स्वीकार करने लायक इंद्रियां हैं नहीं बहरहाल।
मैं इस नर्क के हालात बदलने की लड़ाई में बिजी हूं। स्वर्ग के वाशिंदों, मुझे स्वर्ग दिखाने की कोशिश न करें।
अपनी शुभकामनाओं के वृष्टिपात से मुझे निजात दें।
सुषमा असुर का जोहार
जोहार.
आप सभी को महिषासुर और रावण की शहादत याद रहे। याद रहे कि समान और सुंदर दुनिया का लडाई खतम नहीं हुआ है। हमारे असुर पुरखा-पूर्वजों ने, बूढ़े-बुढ़ियों ने धरती को इंसानों को रहने लायक बनाया था। कुछ लोगों ने इसे गंदा कर दिया। हमें फिर से दुनिया के आंगन को साफ कर और बढ़िया से लीप-पोतकर सजाना है। सिरजना है।
भाई एके पंकज की ललकार-
हम असुरों की हत्या का उत्सव मनाओ। पर तैयार रहो जवाब झेलने के लिए। तब मत कहना हमारे बाप-दादाओं ने जो किया उसकी सजा हमको क्यों?
जय हो जोहार हो ... लड़ाई आर पार हो!
हमारे राजनेता बेहद भोले हैं। पब्लिक को बेवकूफ बनाने की आदत से मजबूर हैं। गरीबी उन्मूलन की कथा अनंत का प्रवचन, यावतीय सत्ता समीकरण और जनता के लिए अबूझ बोली झांसा की गोली दागो पोस्टर बनते बनते सुर ताल लय में कुछ भी राग बेमौसम अलापने लगते हैं।
त्योहार क्रोनी कैपिटल का कार्निवाल हैं और वे दावा कर रहे हैं क्रोनी कैपिटल पर प्रहार।
इंडरनेट से बुरबक बनाओइंग भले बंद होता हो, देश बेचो अभियान तेज हुआ है जैसे, वैसे कर्मकांडी सांढ़ संस्कृति में हम तीज त्योहार की शुभकामनाएं जो दे रहे हैं, वह इस अनंत मृत्यु उपत्यका में मारे जाने का अमोघ संदेश ही है।
मतुआ आंदोलन हरिबोल नहीं है और आदिवासी विद्रोह सिर्फ जोहार नहीं है। न अस्मिताएं हैं ये हमारी साझे चूल्हों की लोक विरासतें। अस्मिताओं को जोड़कर जो जनविद्रोह हुए इंसानी हक हकूक के लिए, अरण्य के अधिकार के लिए, भूमि सुधार के लिए, शोषण के खिलाफ, उत्पीड़न दमन अत्याचार अस्पृश्यता बहिष्कार जाति वर्ण वर्चस्व और नस्ल भेद के खिलाफ, सामंतवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ नवजागरण के नील विद्रोह का अनंत सिलसिला हैं ये शब्द बंध जिसकी नसों में है जनपक्षधर मोर्चा और जनहित के लिए जनयुद्ध की अनिवार्य शर्त।
सत्ता और बाजार, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक सांस्कृतिक भाषायी ब्रांडों में कैद किसी को भी इन शब्दों से खिलवाड़ करते रहने की इजाजत देते रहकर अब तक हमने मौत का गोदामघर गैस चैंबर बना चुके हैं इस देश को।
अब तो बाज आओ।
खेत हुए बेदखल, कहां हल चलाओगे
कारोबार अब फ्लिपकर्ट, स्नैप डील, वालमार्ट, अमेजेन और अलीबाबा है
कहां-कहां पूंजी श्रम खपा जुआड़ी बन दीवालिया हो जाओगे
रोजगार छिना, नौकरी छिनी, बदले में बाजार दिया
घर छिना गांव छिना परिवार छिना समाज छिना
अब देश छीनकर क्या मंगल में बसाओगे
मेड इन इंडिया अब कभी नहीं कभी नहीं
मेक इन मौका सबके लिए,विदेशी पूंजी के लिए
आपके लिए कच्चा केला और उसका ठेला
न बचेगा हाट, न बचेगा घाट
न बचेगी नदी न बचेगा समुंदर और न बचेंगे पहाड़
जल थल एकाकार मेक इन इंडिया
परमाणु ऊर्जा मेक इन इंडिया सेज महासेज मेक इन इंडिया
नासा नाटो पेंटागन मेक इन इंडिया
अमेरिका इजराइल चीन जापान मेक इन इंडिया
हम सीमा विवाद पर उछलते रहेंगे बांसों
पदक खुशी, उड़ान बहक में, महुआ महक में छलांगे समुंदर पार
लांघ जायेंगे हिमाद्रि शिखर अंटांर्कटिका पार
चांद तो पास है, मंगल को बनाएंगे उपनिवेश
सिर्फ अपने गांव घर खेत खलिहान रोटी रोजी से बेदखल होना है
बाकी कवच कुंडल ताबीच तंत्र मंत्र यंत्र का त्योहार हमारा है
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