जयपुर। ‘‘जन-साहित्य पर्व’’ का दो दिवसीय आयोजन ‘‘साझा सांस्कृतिक मोर्चे’’ द्वारा देराश्री शिक्षा सदन, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में 24 व 25 जनवरी, 2018 को आयोजित किया जा रहा है।

यह जानकारी देते हुए ‘‘जन-साहित्य पर्व’’ के संयोजक - प्रेमकृष्ण शर्मा व संदीप मील ने कहा कि “हमारे देश में राष्ट्रीय जन-आंदोलनों के साथ जनसाहित्य और जन-संस्कृति की एक स्वतंत्र धारा प्रवाहित हुई जिसने जन-संघर्षों से निकले नए जीवनमूल्यों को प्रतिष्ठित किया। इनमें स्वाधीनता के साथ समानता और भाईचारे की भावना को खासतौर से रेखांकित किया गया है। इसी से लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास हुआ। वैश्वीकरण के माध्यम से जिस तरह से जन-मूल्यों के समानांतर व्यक्तिवाद को फिर से स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे है, हमारा दायित्व हो जाता है कि हम संयुक्त रूप से लोकतांत्रिक मूल्यों की प्रतिष्ठा के लिए आगे आए।“

उन्होंने कहा कि “हमारा मानना है कि फासीवादी सामाजिक-सांस्कृतिक आंदोलन के बरक्स एक रेडिकल सामाजिक-सांस्कृतिक आंदोलन खड़ा किया जाए। धार्मिक सद्भाव की मध्यमवर्गीय ‘‘पैसिव’’ अपीलों से कुछ नहीं होगा। विगत तीन वर्षों में असहिष्णुता और धार्मिक उन्माद के उभार के चलते गौरी-लंकेश, कलबुर्गी व रामचन्द्र छत्रपती की हत्या ने हमारी इस धारणा को और भी पुष्ट किया है। अतः फासीवाद के कारगर प्रतिरोध के लिए लेखकों, संस्कृतिकर्मियों को जनता के बीच जाना जरूरी है। इसी उद्देश्य से यह आयोजन ‘‘जन-साहित्य पर्व’’ के नाम से किया जा रहा है जिसमें कुल छः सत्र होंगे। हिन्दी, राजस्थानी, भोजपुरी, पंजाबी में प्रतिरोध का साहित्य, बीसवीं सदी के संदर्भ में प्रतिरोध का इतिहास, नाटक-सिनेमा और प्रतिरोध एवं समाज का वर्तमान एवं जन-आंदोलन विषयों पर देश के जाने-माने लेखक, कवि, चिंतक एवं इतिहासकार हिस्सा लेंगे। उत्सव में बुक स्टॉल, पोस्टर प्रदर्शनी, लाईव पेंटिंग एवं फिल्मों की स्क्रीनिंग होगी।“

यह आयोजन सभी के लिए खुला आयोजन है। प्रमुख वक्ताओं में प्रो. चमनलाल, अरूणा रॉय, हिमांशु पाण्ड्या, कात्यायनी, आलोक श्रीवास्तव, डॉ. जीवन सिंह, आनन्द स्वरूप वर्मा, अनिर्ता भारती, कविता कृष्णन, अनिल चमड़िया, दूगी राजा, अदनान काफिल दरवेश, डॉ. मोहम्मद हुसैन, रामस्वरूप किसान, प्रियंका सोनकर, संजय जोशी, नकुल साहनी, अमराराम, कविता कृष्णपल्लवी, निखिल डे, हितेन्द्र, कविता श्रीवास्तव, गोविन्द माथुर, पत्रकार ओम थानवी, फिल्मकार अविनाश दास, चित्रकार कुँवर रविन्द्र, कवि अनिल जनविजय, कवि सुधीर सक्सेना, कवयित्री भूमिका द्विवेदी सहित अनेक महत्वपूर्ण लेखक, इतिहासकार, कवि एवं चिंतक इन सत्रों में शिरकत करेंगे।

जन-साहित्य पर्व, जयपुर

24-25 जनवरी, 2018

23 जनवरी आयोजन की पूर्व संध्या पर सांस्कृतिक मषाल जुलूस

24 जनवरी पहला सत्र

समय 9.30 बजे से 12.00 बजे तक

पीर पर्वत-सी (साहित्य का प्रतिरोध और प्रतिरोध का साहित्य)

1. प्रो. चमनलाल

2. आनन्द स्वरूप वर्मा

3. कात्यायनी

4. अनिता भारती

5. गोविन्द माथुर सूत्रधार - डॉ. जीवन सिंह

दूसरा सत्र ः जन-प्रतिरोध का इतिहास (20वीं सदी के भारत के संदर्भ में)

1. आलोक श्रीवास्तव

2. दिनेश कुमार शर्मा

3. आशुतोष कुमार

4. कविता श्रीवास्तव सूत्रधार - राजीव गुप्ता

तीसरा सत्र ः बात बोलेगी (उम्मीदों से संवाद)

1. कविता कृष्णपल्लवी

2. अनिल चमडि़या

3. दूगी राजा

4. अदनान काफिल दरवेश सूत्रधार - भँवर मेघवंशी

कविता पाठ - 6 बजे से 8 बजे तक

25 जनवरी पहला सत्र ः समय 9.30 बजे से 12.00 बजे तक

बोल की लब आजाद है तेरे (नाटक, सिनेमा और प्रतिरोध)

1. संजय जोशी

2. नकुल साहनी

3. जय सोलंकी

4. अर्चना श्रीवास्तव सूत्रधार - हिमांशु पण्ड्या

दूसरा सत्र ः भाखा बहता नीर (हिन्दी, राजस्थानी, ऊर्दू)

1. डॉ. मोहम्मद हुसैन

2. रामस्वरूप किसान

3. हरिराम मीणा

4. प्रियंका सोनकर सूत्रधार - विनोद स्वामी

तीसरा सत्र ः हम लड़ेंगे साथी (समाज का वर्तमान और जन-आंदोलन)

समय 3.30 बजे से 5.30 बजे तक

1. अरूणा रॉय

2. अमराराम

3. हिमांशु कुमार

4. कविता कृष्णन

5. विकेन्द्र सूत्रधार - निखिल डे

बादल सरकार द्वारा लिखित और अभिषेक गोस्वामी द्वारा निर्देषित नाटक ‘हटमाला के उस पार’ की प्रस्तुति।

- 9116038790