जलवायु संरक्षण के साहसिक कदम वर्ष 2030 तक दे सकते हैं दुनिया को 26 ट्रिलियन डॉलर की शक्ति : ग्लोबल कमीशन ऑन द न्यू क्लाइमेट इकोनॉमी द्वारा जारी रिपोर्ट
जलवायु संरक्षण के साहसिक कदम वर्ष 2030 तक दे सकते हैं दुनिया को 26 ट्रिलियन डॉलर की शक्ति : ग्लोबल कमीशन ऑन द न्यू क्लाइमेट इकोनॉमी द्वारा जारी रिपोर्ट
जलवायु संरक्षण के साहसिक कदम वर्ष 2030 तक दे सकते हैं दुनिया को 26 ट्रिलियन डॉलर की शक्ति : ग्लोबल कमीशन ऑन द न्यू क्लाइमेट इकोनॉमी द्वारा जारी रिपोर्ट
इस रिपोर्ट का उद्देश्य सरकारी तथा निजी क्षेत्र से जुड़े आर्थिक तथा वित्त सम्बन्धी नेतृत्वकर्ताओं के क्रियाकलापों को प्रेरित करना है
न्यॉयूर्क – ग्लोबल कमीशन ऑन द इकोनॉमी एण्ड क्लाइमेट द्वारा जारी की गयी एक प्रमुख रिपोर्ट के अनुसार हम स्वच्छ और जलवायु के लिहाज से स्मार्ट विकास के फायदों को उल्लेखनीय रूप से बहुत कम आंक रहे हैं। बिजनेस-एज-यूजुअल (जैसा चल रहा है, वैसा ही चलने दें) के मुकाबले अगर हम जलवायु संरक्षण सम्बन्धी साहसिक कदम उठाएं तो वर्ष 2030 तक कम से कम 26 ट्रिलियन डॉलर के आर्थिक लाभ उठा सकते हैं।
रिपोर्ट में पाया गया है कि पिछले एक दशक के दौरान बाजार तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत तेजी से प्रगति हुई है, जिससे एक नयी जलवायु अर्थव्यवस्था की तरफ झुकाव वाला रुख पैदा हुआ है। हालांकि रोजगार के नये अवसरों, आर्थिक बचत, प्रतिस्पर्द्धात्मकता तथा बाजार सम्बन्धी सुअवसरों एवं दुनिया भर के लोगों के अधिक कल्याण रूपी फायदों को देखा जाना अभी बाकी है। इस रुख के कारण दुनिया भर में नगरीय प्रशासनों, सरकारों, कारोबारों, निवेशकों तथा अन्य की ओर से एक गतिशीलता तो पैदा हुई है, लेकिन अभी इसमें पर्याप्त तेजी नहीं आयी है।
नाईजीरिया के पूर्व वित्त मंत्री एवं ग्लोबल कमीशन के सह-अध्यक्ष गोजी ओकोंजो-इवेला ने कहा “हम अभी नहीं तो कभी नहीं वाली अनूठी स्थिति में हैं। नीति निर्धारकों को अब आगे आकर स्पष्ट संदेश देना चाहिये कि विकास की नयी गाथा यहां पर है और यह अपने साथ उत्साहजनक आर्थिक एवं बाजार सम्बन्धी अवसर लेकर आयी है। हमारे सामने 26 ट्रिलियन डॉलर और अधिक सतत धरती के रूप में बेहतरीन ऑफर है। यह हमारा हो सकता है, बशर्ते हम निर्णायक असर डालने वाले तरीके अपनाकर काम करें।”
अनलॉकिंग द इन्क्लूसिव ग्रोथ स्टोरी ऑफ द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी (Unlocking the Inclusive Growth Story of the 21st Century) को न्यू यॉर्क सिटी स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 5 सितम्बर, 2018 को वैश्विक विमोचन के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेर्स को भेंट किया जा रहा है। यह रिपोर्ट सेन फ्रांसिस्को में ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन समिट के आयोजन से मात्र एक सप्ताह पहले जारी की जा रही है।
यूनीलीवर के सीईओ और ग्लोबल कमीशन के सह-अध्यक्ष पॉल पोलमैन ने कहा “कारोबारों, राज्यों, शहरों, निवेशकों तथा नागरिकों का संवेग अब बिल्कुल भी रोका नहीं जा सकता, क्योंकि जो लोग जलवायु संरक्षण सम्बन्धी साहसिक कदम उठा रहे हैं, वे पहले से ही इसके ठोस लाभों को जान चुके हैं। लेकिन अगर हम इस निम्न कार्बन वाले विकास सम्बन्धी अवसर के सभी फायदे उठाना चाहते हैं और जलवायु परिवर्तन की विभीषिका से बचना चाहते हैं तो सरकारी तथा निजी क्षेत्र में आर्थिक तथा वित्तीय नेतृत्वकर्ताओं को और भी ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है, वह भी तेजी के साथ।”
इस रिपोर्ट में पांच प्रमुख आर्थिक तंत्रों में व्याप्त सुअवसरों को रेखांकित किया गया है- इनमें ऊर्जा, नगर, भोजन एवं भू-उपयोग, पानी तथा उद्योग शामिल हैं। यह रिपोर्ट हमें दर्शाती है कि इन तंत्रों में महत्वाकांक्षी तरीके से कार्य करने से बिजनेस-एज-यूजुअल के मुकाबले अधिक मात्रा में शुद्ध आर्थिक लाभ मिल सकते हैं।
- इससे निम्न कार्बन वाली व्यवस्था में वर्ष 2030 तक रोजगार के 6.5 करोड़ नये अवसर उत्पन्न होंगे। यह संख्या अमेरिका और मिस्र की वर्तमान कुल श्रमशक्ति के बराबर है।
- वायु प्रदूषण के कारण होने वाली 70 हजार से ज्यादा अकाल मौतों को रोका जा सकेगा।
- जीवाश्म ईंधन सब्सिडी सम्बन्धी सुधार तथा कार्बन मूल्य निर्धारण में वृद्धि करके वर्ष 2030 में प्रति वर्ष 2.8 ट्रिलियन डॉलर सरकारी राजस्व उत्पन्न होगा, जो वर्तमान में भारत की कुल जीडीपी के बराबर है। इस धन को जनता से जुड़ी अन्य प्राथमिक जरूरतों को पूरा करने या करों में कटौती करने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
एलएसई में अर्थशास्त्र एवं गवर्नमेंट के आई जी पटेल प्रोफेसर लॉर्ड निकोलस स्टर्न ने कहा “अब हम देख सकते हैं कि विकास की यह नयी कहानी बेहद शक्तिशाली गतिशीलताओं, जैसे कि नवाचार, लर्निंग-बाई-डूइंग और पैमाने वाली अर्थव्यवस्थाओं की प्रतीक हैं। इसके अलावा, यह शहरों के बेहद आकर्षक संयोजन को भी पेश करती है, जहां हम घूम फिर सकते हैं, सांस ले सकते हैं और उत्पादक बन सकते हैं। साथ ही यह संयोजन सतत मूलभूत ढांचे को भी उपलब्ध कराता है, जो न सिर्फ स्वच्छ और दक्ष है, बल्कि बार-बार होने वाली जलवायु सम्बन्धी बेहद गम्भीर स्थितियों का सामना करने में सक्षम है। इसके अलावा यह ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र भी बनाता है जो अधिक उत्पादक, ठोस तथा भरोसेमंद हैं। वर्तमान आर्थिक मॉडल्स शक्तिशाली गतिशीलताओं तथा नयी प्रौद्योगिकियों एवं ढांचों की आकर्षक खूबियों को भुनाने में नाकाम रहे हैं। इस प्रकार कह सकते हैं कि हम कामयाबी की इस नयी गाथा के लाभों का आकलन करने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं। इसके अलावा अब यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली क्षति बहुत गहरी और व्यापक हैं और बड़ा रूप लेने वाली घटनाएं (टिपिंग प्वाइंट्स) तथा कभी न बदली जा सकने वाली परिघटनाएं बेहद नजदीक आ चुकी हैं।”
ग्लोबल कमीशन ने सरकारों, कारोबारियों तथा वित्तीय मोर्चे के नेतृत्वकर्ताओं का आह्वान किया है कि वे अगले दो-तीन सालों में चार प्रमुख मोर्चों पर वरीयता के साथ काम करें :
- कार्बन के मूल्य निर्धारण के प्रयासों को तेज करें और पर्यावरण सम्बन्धी वित्तीय जोखिमों को अनिवार्य बनाने की तरफ कदम बढ़ाएं।
- सतत ढांचा विकास क्षेत्र में निवेश बढ़ाएं।
- निजी क्षेत्र की शक्ति का इस्तेमाल करें और नवोन्मेष को बढ़ावा दें।
- जन-केन्द्रित रवैया बनाएं, जो लाभों को समानतापूर्वक साझा करे और जो रूपान्तरण का न्यायसंगत होना सुनिश्चित करे।
न्यू क्लाइमेट इकोनॉमी की कार्यक्रम निदेशक और इस रिपोर्ट की मुख्य लेखक हेलेन माउंटफोर्ड ने कहा कि “इस रिपोर्ट का उद्देश्य यह दिखाना है कि विकास के इस नये पथ पर आने की गति को कैसे बढ़ाया जाए। इस रिपोर्ट में ऐसा करने के फायदों, आगे आने वाली चुनौतियों और गति या हरकत बढ़ाने वाले उन स्पष्ट कारकों के बारे में बताया गया है, जो अधिक मजबूत, अधिक साफ और अधिक समानतापूर्ण विकास रूपी फसल काटने के लिये अपनाये जा सकते हैं।”
मेक्सिको के पूर्व राष्ट्रपति और कमीशन के मानद अध्यक्ष फलीपी कैल्ड्रॉन ने कहा :
“यह किसी रिपोर्ट मात्र से कहीं ज्यादा अहम दस्तावेज है। यह इस बात का घोषणापत्र है कि हम बेहतर विकास और बेहतर पर्यावरण के सपने को किस प्रकार वास्तविकता में बदल सकते हैं। यही समय है जब हम अंतर पैदा करने वाले कानून बनाएं, नवाचार करें, सुशासन दें और ऐसे रास्ते अपनाएं जो दुनिया को और अधिक न्यायप्रिय, सुरक्षित एवं और अधिक सतत बनाएं।”
इस रिपोर्ट को यहां पढ़ें www.newclimateeconomy.report/2018/.हिन्दी में अनुवाद किया है पर्यावरणविद व वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सीमा जावेद ने।
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