जस्टिस काटजू जेएनयूएसयू चुनाव 2024 के नतीजों पर

नई दिल्ली, 26 मार्च 2024. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में (Jawaharlal Nehru University Student Union elections 2024) वाम संगठनों ने बड़ी जीत हासिल की है। वामपंथी उम्मीदवार धनंजय ने जेएनयूएसयू के अध्यक्ष पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के उम्मीदवार उमेश सी अजमीरा को 922 मतों से हराकर जीत हासिल की है। जेएनयूएसयू चुनाव में वामपंथी संगठनों ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को हराकर तीन पद पर कब्जा जमाया है। इसे लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को तगड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू जेएनयू में लेफ्ट की जीत से खुश नहीं हैं।

जस्टिस काटजू ने hastakshepnews.com पर अंग्रेज़ी में लिखे एक लेख में जेएनयू का क्रांतिकारियों के राजनैतिक चरित्र को लेकर तीखी टिप्पणी की है।

जस्टिस काटजू ने लिखा कि हाल ही में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में वामपंथियों ने जीत हासिल की है। इसे भारत के गरीब लोगों के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन पिछले अनुभव के आधार पर कोई भी आसानी से यह अनुमान लगा सकता है कि चुनाव जीतने वाले ये 'क्रांतिकारी' जेएनयू छोड़ने के बाद के जीवन में क्रांति और भारत के गरीब लोगों के बारे में सब कुछ भूल जाएंगे, और अपने लिए करियर बनाने के बारे में सोचना शुरू कर देंगे।

उन्होंने लिखा कि कुछ 'क्रांतिकारी' कांग्रेस में जा सकते हैं, जैसे कि जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, या भाजपा में शामिल हो सकते हैं जैसे पूर्व उपाध्यक्ष शेहला राशिद।

जस्टिस काटजू ने लिखा कि ऐसे दलबदलुओं की एक लंबी सूची है, जो एक समय में, जब वे छात्र थे, तब उनकी जेएनयू में नायक के तौर की पूजा की जाती थी, और उन्हें आकाश में उभरते लाल सितारों के रूप में गिना जाता था, और इसलिए वह गरीब लोगों की आशाएँ थीं, लेकिन आज वे सिविल सेवाओं में, कॉर्पोरेट जगत में, शिक्षा जगत में, राजनीति में और अन्यत्र, मोटे वेतन और भत्तों के साथ, भारत में, या विदेश में भी आरामदायक नौकरियों/पदों पर बैठे हैं।

अंग्रेजी कवि रॉबर्ट ब्राउनिंग की कविता 'द लॉस्ट लीडर' की याद करते हुए जस्टिस काटजू ने लिखा, भारतीय विश्वविद्यालयों के बारे में मेरी राय हमेशा ख़राब रही है, और मैं विशेष रूप से मानता हूँ कि जेएनयू को अत्यधिक महत्व दिया गया है।

उन्होंने लिखा है कि उन्हें एक बार जेएनयू में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था। लेकिन उन्हें नहीं लगता कि जेएनयूएसयू के नवनिर्वाचित पदाधिकारी अब उन्हें आमंत्रित करेंगे। इसका कारण बताते हुए उन्होंने लिखा है कि उन्हें (जेएनयूएसयू पदाधिकारियों को) डर हो सकता है कि मैं इस बारे में बोलूंगा कि इतिहास कैसे दिखाता है कि भारत और पूरी दुनिया में अधिकांश 'वामपंथी' दक्षिणपंथी के रूप में ही समाप्त हुए।

Why is Justice Katju not happy with JNUSU elections 2024 results?