पलाश विश्वास
खबर है कि उत्तराखंड में कई स्थानों पर हुई बारिश के कारण कई जगहों पर भूस्खलन हो गया। इससे चार धामों को जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों सहित कई सड़कों पर ट्रैफिक थम गया। नेपाल में पिछले तीन दिनों से बारिश जारी है इससे वहां बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। नदियों में आई बाढ़ और भूस्खलन से अब तक 34 लोगों की जान जा चुकी है।
खबर है कि दक्षिणी-पश्चिमी चीन के सिचुआन सूबे में हुई मूसलाधार बारिश के बाद वहाँ हुए भूस्खलन में फँसे क़रीब डेढ़ हज़ार लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुँचा दिया गया है। चीन के सूखा और बाढ़ बचाव विभाग ने यह जानकारी दी है।
खबर है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नई टीम का ऐलान कर दिया गया है। टीम में 8 महासचिव और 11 उपाध्यक्ष शामिल हैं। जेपी नड्डा, राजीव प्रताप रूडी, मुरलीधर राव, राम माधव, सरोज पांडेय, भूपेंद्र यादव, आरएस कटेरिया और राम लाल (संगठन) को महासचिव बनाया गया है। पार्टी के संविधान के अनुसार दो और नेताओं को महासचिव बनाया जा सकता है। लेकिन बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की टीम में महासचिव रहे वरुण गांधी का नाम अमित शाह की नई टीम से गायब है। जबकि उनके नाम को तय माना जा रहा था।
बीजेपी ने बी दत्तात्रेय, बीएस येदियुरप्पा, सतपाल मलिक, मुख्तार अब्बास नकवी, पुरुषोत्तम रुपाला, प्रभात झा, रघुवर दास, किरण माहेश्वरी, रेनू देवी, दिनेश शर्मा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है।
खबर यह भी कि बीजेपी ने 16वीं लोकसभा चुनाव में अपने दम पर 282 सीटें जीतीं, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का कहना है कि इसका श्रेय कांग्रेस को ज्यादा जाता है। आडवाणी ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने भी बीजेपी की जीत में अहम भूमिका अदा की, लेकिन इसमें सबसे बड़ा योगदान विपक्ष यानि कांग्रेस का रहा है। आडवाणी ने कहा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में चले विशाल अभियान ने भी जीत में योगदान दिया, लेकिन सबसे बड़ा योगदान हमारे विपक्ष का रहा।
खबर यह भी है कि अच्छे दिनों की नई सौगात बतौर जल्द ही आप अपने ही बैंक के एटीएम का सीमित इस्तेमाल करने पर मजबूर हो जाएंगे। इस साल नवंबर से आप अपने बैंक के एटीएम से हर महीने सिर्फ 5 और अन्य बैंक के एटीएम से सिर्फ 3 ट्रांजैक्शन ही मुफ्त कर सकेंगे। इसके बाद एटीम से हर ट्रांजैक्शन पर आपको 20 रुपए की रकम चुकानी होगी। यह रकम आपके खाते से ही काट ली जाएगी। ट्रांजैक्शन में सिर्फ रकम निकालना ही शामिल नहीं है, बल्कि खाते की जानकारी, चेक बुक रिक्वेस्ट, पिन बदलना और मोबाइल रिचार्ज को भी लेन-देन माना जाएगा। नया नियम देश के 6 मेट्रो शहरों में इस साल नवंबर से लागू होगा।
मुक्तबाजार का जलवा ऐसा कि धर्मप्राण भारत के मनुस्मृति अनुशासन को कृतार्थ करते हुए प्लेब्वॉय पत्रिका ने मॉडल शर्लिन चोपड़ा का न्यूड फोटो जारी किया है। यह फोटो शूट उन्होंने दो साल पहले करवाया था। इसके साथ ही वह भारत की ऐसी पहली मॉडल बन गईं हैं जिसका न्यूड फोटो प्लेब्वॉय में छापा गया है। शर्लिन कामसूत्र 3डी से चर्चा में आयीं थीं।
बाबा नागार्जुन की कविता से भी लोगों को एलर्जी होने लगी है। उनकी कविता पोस्ट करने से देशभक्ति के अजब-गजब माहौल में व्यवधान पड़ता नजर आ रहा है केसरिया पहाड़ के लोगों को। चंद्रशेखर करगेती ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट के पक्ष में क्या कोट किया है।
जो धर्मप्राण आस्थासंपन्न लोग हैं, उन्हें केसरिया नवउदारवाद की भाषा समझ में नहीं आ रही है, वे आनंद तेलतुंबड़े को अवश्य पढ़ लें, तभी करगेती का कहा समझ में आयेगा।
समयांतर के ताजा अंक से ऐसी धर्मोन्मादी धार्मिक देवभूमि भूगोल के लोगों की मदद के लिए आनंद का नियमित स्तंभ शुरू किया गया है। जाहिर है कि हम उनकी तरह अवधारणाओं के स्तर पर गहराई से प्याज की परतें निकाल नहीं सकते।
बहरहाल करगेती का यह उद्धरण एक भुलाये हुए शख्स से जुड़ा है, जो हिंदी दुनिया में काफी बदतमीज माने जाते रहे हैं और हाल में दिवंगत होने के बाद किसी ने कायदे से उन्हें याद नहीं किया है।
समयांतर के ताजा अंक में आनंद तेलतुंबड़े के केसरिया नवउदारवाद वाला लेख और पंकज दाज्यू का संपादकीय जरूर पढ़ लेना। सुबह ही पंकज दाज्यू से लंबी बात हुई, उन्होंने कंटेट भेजा भी, खुल नहीं रहा है। फिलहाल आपका कोटः
आपको कुछ और अधिक समझने में आसानी होगी.......

नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम
बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब – २
जहाँ आवाम के ख़िलाफ़ साज़िशें हो शान से
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
जहाँ पे लब्ज़े-अमन एक ख़ौफ़नाक राज़ हो
जहाँ कबूतरों का सरपरस्त एक बाज़ हो
वहाँ न चुप रहेंगे हम
कहेंगे हाँ कहेंगे हम
हमारा हक़ हमारा हक़ हमें जनाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
इन्क़लाब इन्क़लाब -२
यक़ीन आँख मूँद कर किया था जिनको जानकर
वही हमारी राह में खड़े हैं सीना तान कर
उन्ही की सरहदों में क़ैद हैं हमारी बोलियाँ
वही हमारी थाल में परस रहे हैं गोलियाँ
जो इनका भेद खोल दे
हर एक बात बोल दे
हमारे हाथ में वही खुली क़िताब चाहिए
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
उन्हीं की आह बेअसर उन्हीं की लाश बेकफ़न
लहू पसीना बेचकर जो पेट तक न भर सके
करें तो क्या करें भला जो जी सके न मर सके
स्याह ज़िन्दगी के नाम
जिनकी हर सुबह और शाम
उनके आसमान को सुर्ख़ आफ़ताब चाहिए
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब -2
तसल्लियों के इतने साल बाद अपने हाल पर
निगाह डाल सोच और सोचकर सवाल कर
किधर गए वो वायदे सुखों के ख़्वाब क्या हुए
तुझे था जिनका इन्तज़ार वो जवाब क्या हुए
तू इनकी झूठी बात पर
ना और ऐतबार कर
के तुझको साँस-साँस का सही हिसाब चाहिए
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम
बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
घिरे हैं हम सवाल से, हमें जवाब चाहिए
जवाब दर-सवाल है कि इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
जहाँ आवाम के ख़िलाफ साज़िशें हों शान से
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
वहाँ न चुप रहेंगे हम, कहेंगे हाँ कहेंगे हम
हमारा हक़ हमारा हक़ हमें जनाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब

साभार : शलभ श्रीराम सिंह
दिखने में वामपंथी, लेकिन हिंदी के मौजूदा परिदृश्य पर भीतर से घनघोर संघी अमेरिकापरस्त प्रतिष्ठानिक बाजारु जेएनयू वर्चस्व का यह नतीजा कि प्रेमचंद भी गैरप्रासंगिक करार दिये जा रहे हैं।
लगता है कि इस जेएनयू विशेषज्ञों की खबर भी लेनी पड़ेगी। हम भी शलभ श्रीराम सिंह या ओम थानवी से कोई कम बदतमीज नहीं हैं। यह बदतमीजी इस बदतमीज दौर के मुकाबले के लिए बेहद जरूरी है।
इतिहास बदल रहा है, साहित्य बदल रहा है, संस्कृति बदल रही है, समाज बदल रहा है, शहर बदल रहे हैं, देहात बदल गया है, बदलने लगे जल जंगल जमीन समुंदर घाटियां, उत्तुंग शिखर और हिमप्रवाह और हिमालय साक्षी है कि भूगोल भी बदल दिया जा रहा है।
लगे रहो करगेती भाई। इस बहस से बचने की कोशिश न करना। क्योंकि सेज, स्मार्ट सिटी, नवधनाढ्य सांढ़ संस्कृति का पहला बलि हिमालय ही होगा। गंगा अब मैदानों में गंगा शुद्धिकरण के बावजूद कब तक बह सकेगी, इस पर विचार करना जरूर।
देहरादून में पुणे जैसी पहाड़ धंसने से अभी सात लोग मरे हैं और बचाव अभियान लाइव है। पुणे में कितने मरे, लोग बहुत जल्दी भूल गये जैसे केदार जलप्रलय की लाशों को भूल गया है देश। जैसे भूस्खलन, बाढ़, भूकंप, सुनामी से ध्वस्त विध्वस्त जनपदों के रेगिस्तान में होता है निर्माण विनिर्माण।
देहरादून फिर भी मुक्तबाजारी उत्तराखंड की राजधानी है।
बाकी पहाड़ के भूगोल में, हिमालय के अंतःस्थल में जो जलप्रलय जारी है, उसे बयां करने के लिए गौर्दा या कमसकम गिर्दा जैसी लोक विरासत के जानकार न हम हैं और न आप हैं।
बलकि, गिर्दा को याद रखने वाले लोग अब भी पहाड़ में हैं। भास्कर उप्रेती में शैले हाल में एक आयोजन की खबर की है। गिर्दा को ब्रांड में तब्दील करना है तो दिल्ली मुंबई से उन्हें लांच करना बेहतर होगा।
वरना इस व्यवस्था पर थूकने वाले बेतरतीब महाबदतमीज गिर्दा की असली विरासत तो पहाड़ों और मैदानों में अविराम जारी विनाश लीला के खिलाफ हुड़किया अलख जगाने का अविराम जागर जनजागरण है।
गिर्दा आदमी नहीं, जिंदा आंदोलन है, जो मरा नहीं, राख के नीचे सुलग रहा है अब भी। गिर्दा को याद करे से पहले राख में खाक उस आग की तपिश को दिलो दमिमाग में महसूसे तो कोई बात बने। फिर बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी बातें।
हिमालयी यंत्रणा संसाधनों के अधिकतम उपयोग के मुक्तबाजार में कैसे-कैसे अभिव्यक्त होनी है, इसकी कल्पना करने की तकलीफ उठाना भी जरूरी नहीं है।
यह ज्वलंत वास्तव है इस देश का, जिससे हम पल छिन मुंह चुराने की कला में पारंगत अभ्यस्त हैं, क्योंकि यह वास्तव ने शर्लिन चोपड़ा है, नसनी लिओन और न ही करीना कैटरीना और न हालीवूडी बालीवूड फिल्में न जोधा अकबर है और न डीवी का महाभारत रामायण।
हिमाचल और उत्तराखंड देवभूमियों में हिंदू शास्त्रों के सकल देवदेवियों के साथ साथ गांव-गांव में गोल्ल ज्यू महाराज और खासतौर पर हिमाचल में दैवी राजकाज, दैवी पंचायत की अटल उपस्थिति के बावजूद प्रलयंकारी जो परिस्थितियां घनघोर हैं, उनसे निपटने के लिए वस्तुनिष्ठ अध्ययन, वैज्ञानिक दृष्टि और जनप्रतिबद्धता के साथ ज्वलंत पर्यावरण प्रेम चिपको की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
चार धामों की यात्रा, माता वैष्णो देवी और बाबा अमरनाथ के पुण्यप्रताप, पशुपतिनाथ की सिंह गर्जना से अब इस हिमालय का बचे रहना मुश्किल ही है।
देहरादून तलक ढहते पहाड़ का मलबा आबादी को तहस नहस करने लगा है और फिर जलप्रलय की जद में है पहाड़।
केदार सुनामी में गायब जनपदों की लाशें लेकिन अभी लापता हैं और पहाड़ को मुर्दाघर बनाने की तैयारी है।
नवी मुंबई में सेज के उद्घाटन के मौके पर लबालब समुंदर के माफिक जनसैलाब से साफ जाहिर है कि बाजार मौत के सामान की तिजारत किस मुलम्मे के भरोसे कर रहा है। उस मुलम्मे को उतारना जरूरी है।
उधर, नेपाल में पिछले तीन दिनों से बारिश जारी है इससे वहां बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। नदियों में आई बाढ़ और भूस्खलन से अब तक 34 लोगों की जान जा चुकी है। वहां सेना और पुलिस के जवान राहत और बचाव कार्यों में जुटे हैं। बाढ़ और भूस्खलन से जानमाल का सबसे ज्यादा नुकसान पश्चिमी नेपाल के सुरखेत जिले में हुआ है।
फिलहाल नजारा यह कि उत्तराखंड में भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने की अलग-अलग घटनाओं में 26 लोगों के मारे जाने की सूचना है। राजधानी देहरादून में ही पिछले 48 घंटे में हुई मूसलाधार बारिश से काफी नुकसान हुआ।
लाल किले के मैदान से जनता के खिलाफ कारपोरेट युद्ध की घोषणा प्राकृतिक संसाधनों के अधिकतम उपयोग के सूक्तिवाक्य माध्यमे करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज आईएनएस कोलकाता राष्ट्र को समर्पित किया। स्वदेशी तकनीक से निर्मित देश का यह सबसे बड़ा युद्धपोत है।
मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था में प्रतिरक्षा तैयारियां अहम हैं। छाया युद्ध बहाने सैन्यीकरण और सैन्य राष्ट्र का अपनी ही जनता के खिलाफ युद्ध प्रतिरक्षा का यह मुक्तबाजारी समीकरण है, जो सबसे पहले प्रकृति, पर्यावरण और प्रकृति से जुड़े जनसमुदायों के नरसंहार का अटल सत्य भी है।
गौर करें कि यह जलवा प्रतिरक्षा में शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और प्रतिरक्षा से संबंधित सरकारी उपक्रमों के निजीकरण का है।
गौर करें कि ओबामा से शिखर वार्ता से पहले समूते पोलिटिकल क्लास को हाशिये पर रखकर नई बाबू संस्कृति, संपूर्ण महाकाव्यिक शिक्षा और अनुशासन के जरिये मुक्त बाजार के सारे दरवाजे खोलते हुए भारत अमेरिकी परमाणु संधि को ही लागू नहीं कर रहे हैं नरेंद्र मोदी, संविधान और कानून के राज को इतिहास बना रहे हैं वे।
गौर करें कि एफडीआई राज के मेक इन को उन्होंने मेडइन इंडिया के सफाये कि लिए मनुस्मृति में तब्दील कर दिया है।
इस खबर को पूरी तरह देखने से पहले इसे भी देख लें कि चीन के एक कदम से भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भारतीय सीमा से लगे रेल नेटवर्क को मजबूत करने की कोशिशों में लगे चीन ने तिब्‍बत क्षेत्र में मौजूद अपनी दूसरी रेलवे लाइन का उद्घाटन कर दिया है। यह रेलवे लाइन सिक्किम तक आती है। भारत के लिए अलार्म, सिक्किम तक पहुंची चीन की रेलवे लाइन. यह रेलवे लाइन जो सिक्किम के बहुत पास है, उसकी मदद से चीन की सेना बहुत ही आसानी से भारत के लिए सबसे अहम हिमालयन रिजन में आ जा सकती है। चीन की यह रेलवे लाइन तिब्‍बत की राजधानी ल्‍हासा को इस क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े शहर शिगाजे से जोड़ती है।
पलाश विश्वास। लेखक वरिष्ठ पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता एवं आंदोलनकर्मी हैं । आजीवन संघर्षरत रहना और दुर्बलतम की आवाज बनना ही पलाश विश्वास का परिचय है। हिंदी में पत्रकारिता करते हैं, अंग्रेजी के लोकप्रिय ब्लॉगर हैं। “अमेरिका से सावधान “उपन्यास के लेखक। अमर उजाला समेत कई अखबारों से होते हुए अब जनसत्ता कोलकाता में ठिकाना। पलाश जी हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार हैं।