एक आत्ममुग्ध माँ के आठ लक्षण, क्या माता कुमाता हो सकती है?

Eight Characteristics of a Narcissist Mother

हमारे यहां कहते हैं माता कुमाता नहीं हो सकती, लेकिन सच यह नहीं भी हो सकता है, कुमाता भी हो सकती है। कभी नारसिस्ट माँ के बारे में बहस करके देखें, वो किस तरह की बेटी बनाती है। खुलकर इस तरह की समस्याओं पर विचार करने वाली हिंदी में वेबसाइट भी नहीं हैं, आज मेरी नजर से ऐसी ही एक साइट गुजरी। इस मसले पर विचार करने का मकसद किसी माँ या बेटी को आहत करना नहीं है, यह एक ऐसी वास्तविकता है जिससे हम सबको किसी न किसी समय दो-चार होना पड़ता है।

कैसी होती है नारसिस्ट माँ?

नारसिस्ट माता का फिनोमिना वस्तुत व्यक्तित्व के डिस ऑडर का एक रूप है। यह ऐसा व्यक्ति है जो असामान्य आचरण करता है। असामान्य नजरिए से देखता है। यह पागल नहीं है, चतुर है, जानता है कि क्या कर रहा है। यह भूल से गलती नहीं करता, बल्कि यह भी जानता है समाज के अधिकांश लोग उसकी बात का समर्थन नहीं करेंगे लेकिन इसके बावजूद वो वैसा ही नियमित आचरण करता है। वह यह भी जानता है कि समाज के लोग उसकी इन हरकतों के बावजूद उसका ख्याल रखेंगे। नारसिस्ट डिस ऑडर फिनोमिना को 1980 में खोजा गया, ज्यादातर लोग इस फिनोमिना के बारे में अनभिज्ञ हैं।

नारसिस्ट माँ अपनी बेटी को पीड़ित कर सकती है, अपने पति को भी पीड़ित कर सकती है। इस तरह नारसिस्ट माँ दुःस्वप्न की तरह होती है, परेशानियां पैदा करती है। आप समझ ही नहीं पाते कि नारसिस्ट माँ कैसी होती है, नारसिस्ट पत्नी कैसी होती है, यदि समाज में किसी को कहो तो आम लोग मानने को तैयार नहीं होते। हमारे समाज में ठीक से माँ को ही नहीं जानते, नारसिस्ट माँ को जानना तो बहुत दूर की बात है। हमने कभी आपस में, समाज में नारसिस्ट माँ को लेकर बहस नहीं चलायी है, हमने कभी उसके द्वारा किए जा रहे सीमाओं के अतिक्रमण को समझने की कोशिश नहीं की। नारसिस्ट माँ के लक्षणों को सही ढंग से जानेंगे तब ही उसका सही उपचार कर सकते हैं।

पहला लक्षण-

1. उसके पास हमेशा कोई न कोई बहाना होता है। उसके यहां क्रूरता भी प्रेम के जरिए व्यक्त होती है। वह हमेशा आक्रामक और अधिकार जमाने के भाव में रहती है। वह हमेशा ऐसी बातों की शिक्षा देती है जिनके अंदर कोई विचार नहीं होता। यानी विचारहीन शिक्षण उसकी विशेषता है। स्वार्थी मेनीपुलेशन को वह गुण समझती है। हमेशा आलोचना या निंदा पर जल्द ही सक्रिय हो जाती है। वह बड़े ही कौशल के साथ कार्य -कारण संबंध में अलगाव करके चलती है। वह हमेशा अपने बच्चे के सामने गूसरे के बच्चों की प्रशंसा करती रहती है, उनके गुणों को बताती रहती है। वह ऐसी बात पर आपको बधाई देगी जिससे आपको गुस्सा आ जाए। इसके बहाने वह अपने गुस्से का इजहार करती है। उसकी आवाज या शैली में उसका मुकाबला करना या उसे उत्तर देना संभव नहीं है। उसके सामने तुम हमेशा गलत रहोगे, उसका सामना करने से कन्नी काटोगे। घर में उसका जिस तरह का व्यवहार होता है, उससे एकदम भिन्न उसका सार्वजनिक व्यवहार होता है।

दूसरा लक्षण-

यहां बेटी-बेटा के नजरिए से नारसिस्ट माँ के लक्षणों की पड़ताल (Exploring the Characteristics of a Narcissist Mother) करें तो पाएंगे कि वह हमेशा अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करके हस्तक्षेप करती है। वह अपने बच्चों की चीज उनके ही सामने छीनकर दूसरों को दे देती है। जिससे वे दुखी हों। मसलन् बच्चे की थाली में से बिना सहमति के रोटी उठाकर दूसरे बच्चे को दे देना। वह बच्चों की भावनाओं में हस्तक्षेप करने की कोशिश करती है। वह बच्चों की स्वतंत्रता और स्वायत्तता में निरंतर हस्तक्षेप करती है।

तीसरा लक्षण -

नारसिस्ट माँ अपने ही बच्चों में भेदभाव करती है। वह अपने एक बच्चे बेहतरीन मानती है और अन्य की उपेक्षा करती है। उसे सोना-सोना कहती है। उसके साथ अपने को जोड़कर पेश करती है। उसकी गलतियां उसे कभी नजर नहीं आतीं। वह अपने ही बच्चों में भेद करके रखती है। इसके कारण वह सोना बच्चे को लेकर सफेद झूठ बोलती है, उसकी गलतियों की अनदेखी करती है और पक्षपात करती है। सोना बच्चा हमेशा माँ की वकालत करता है। माँ की गलतियों को छिपाता है।

चौथा लक्षण -

वह जिस भाषा और तर्कशास्त्र के साथ वह बोलती है उसका खंडन करना संभव नहीं होता। उपेक्षा-अवहेलना के भावबोध में हमेशा रहना। वह अन्य की बात नहीं मानती। अन्य के अनुभव और बातों की उपेक्षा करती है। उसने क्या-क्या किया है उसका हिसाब बार -बार देती है। वह बार नीचा दिखाने की कोशिश करती है, निंदा करती है या हेय रूप में पेश करती है। हमेशा यह आभास देती है कि वह तो अपने बच्चों के लिए बहुत कुछ करती है। वह हमेशा ऐसी भाषा में बोलती है जिसका आप खंडन नहीं कर सकते।

पांचवाँ लक्षण-

यदि उसे बताओगे कि तुम ये असामान्य हरकतें कर रही हो, वह तुमको ही पागल घोषित कर देगी। उसके द्वारा किए गए उत्पीड़न के रूपों को हम कभी चर्चा में, खबरों में नहीं पाते। यहां तक कि आपसी बातचीत में भी उस समस्या को सही नजरिए से देख नहीं पाते। वह हमेशा आक्रामक या हावी होने वाले भाव में रहती है। वह विभिन्न तरीकों और रूपों में दुर्व्यवहार करती है। वह चीजों को भूलती नहीं है। वह पुरानी बातों का जमकर दुरूपयोग करती है। उनके बहाने बुरा व्यवहार करती है।

छठा लक्षण-

हमेशा कुढ़न के भाव में रहना। आत्म विध्वंस के भाव में रहना।

सातवाँ लक्षण-

वह हमेशा विभिन्न तरीकों से झूठ बोलती है। वह झूठ बोलकर संबंधों में खटास पैदा करती है, तनाव पैदा करती है, संबंधों को नष्ट करती है। वह असल में झूठ बोलने की कला में माहिर होती है।

आठवां लक्षण-

मैंने अपने जीवन में अनेक ऐसी स्त्रियों को करीब से देखा है जिनमें नारसिस्टिक लक्षण होते हैं, मेरा मानना है कि वे अपने बच्चों के बहाने अपनी ओर ध्यान खींचने का काम करती हैं, वे बुनियादी तौर पर अस्वस्थ होती हैं। हमेशा अपनी ओर ध्यान खींचने की कोशिश करती है।

प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी

(प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी की एफबी टिप्पणी का किंचित् संपादित अंश साभार)