जानिए वक्फ बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने को क्यों मजबूर हुई सरकार ?
मोदी सरकार ने वक्फ बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का निर्णय क्यों लिया? वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर का खुलासा

मोदी सरकार ने वक्फ बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का निर्णय क्यों लिया? वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर का खुलासा
नई दिल्ली, 8 अगस्त2024। विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में 'वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024' (Waqf (Amendment) Bill-2024) और 'मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक-2024' (Mussalman Wakf (Repeal) Bill, 2024) को पेश कर दिया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा नाम पुकारे जाने पर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू जब सदन में 'वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024' को पेश करने के लिए खड़े हुए तो राहुल गांधी और अखिलेश यादव सहित पूरा विपक्ष विरोध में सदन में खड़े हो गए।
विपक्षी दलों की तरफ से बोलते हुए कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल एवं इमरान मसूद, सपा से अखिलेश यादव एवं मोहिब्बुल्लाह, टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय, एनसीपी (शरद पवार) से सुप्रिया सुले और एआईएमआईएम से असदुद्दीन ओवैसी के अलावा डीएमके, आईयूएमएल, सीपीआई, सीपीआई (एम), आरएसपी, वीसीके सहित अन्य कई विपक्षी दलों के सांसदों ने इसे संविधान और मुसलमान विरोधी बताते हुए इसे पेश करने का विरोध किया।
वहीं, एनडीए गठबंधन में शामिल जेडीयू, टीडीपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) ने सरकार का साथ देते हुए इस बिल का समर्थन किया। जेडीयू की तरफ से बोलते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि निरंकुश संस्था में पारदर्शिता लाना सरकार का काम है। यह बिल मुसलमान विरोधी नहीं है। विपक्ष को मंदिर या संस्था में अंतर नजर नहीं आ रहा है।
गहन बहस के बाद, मंत्री द्वारा सहमति जताए जाने के बाद सदन ने विधेयक को व्यापक जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया।
जानें क्यों मोदी सरकार को वक्फ बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मजबूरी आई। वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर का विश्लेषण और महत्वपूर्ण घटनाक्रम की जानकारी प्राप्त करें…
"लोकसभा में पहले सरकार वक्फ बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के फेवर में नहीं थी। वह आज ही इसे पास करवाना चाहती थी।
इसीलिए कानून मंत्री किरण रिजजू के इसे पेश करने के बाद सभी सदस्यों को खासतौर से सरकार का समर्थन कर रहे जेडीयू टीडीपी लोजपा को बोलने का मौका दिया गया।
इन्होंने सदन में बिल का समर्थन तो किया मगर बाद में अपने फैसले पर पुनर्विचार भी किया।
इनमें से जेडीयू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ज्यादा खुलकर बिल के समर्थन में बोले थे।
बाद में प्रधानमंत्री के पास सरकार को समर्थन दे रहे इन दलों ने अपनी बात पहुंचाई कि इतना खुलकर साथ देने में उन्हें नुकसान हो जाएगा।
इसके बाद जब कानून मंत्री रिजिजू 1 घंटे से ज्यादा लंबा अपना भाषण खत्म करने जा रहे थे तो उन्हें एक चिट पहुंचाई गई। और उसे उनके हाथ से लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने पढ़ी और कुछ निर्देश दिए।
उधर शायद स्पीकर को भी संदेश मिल चुका था तो उन्होंने कहा कि मंत्री जी आप कुछ और कहना चाहते हैं।
तब चिट पढ़ते हुए किरण रिजजू ने बिल को जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव रखा।
सूत्रों के मुताबिक जब सदन में इस हंगामा हो रहा था तो सदन के बाहर जेडीयू, टीडीपी, एलजेपी, लोकदल बिल के राजनीतिक फायदे और नुकसान पर आपस में चर्चा कर रहे थे।
उसी के अनुसार प्रधानमंत्री को बताया गया कि फिलहाल इसे पास करवाने के बदले वे जेपीसी में भेजना चाहते हैं।
सरकार को उनकी यह सलाह मानना पड़ी।"
लोकसभा में पहले सरकार वक्फ बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के फेवर में नहीं थी। वह आज ही इसे पास करवाना चाहती थी।
इसीलिए कानून मंत्री किरण रिजजू के इसे पेश करने के बाद सभी सदस्यों को खासतौर से सरकार का समर्थन कर रहे जेडीयू टीडीपी लोजपा को बोलने का मौका दिया गया।
इन्होंने सदन…
— Shakeel Akhtar (@shakeelNBT) August 8, 2024
Know why the government was forced to send the Waqf Bill to the Select Committee?


