जीडीपी में ख़मीर उठाना अर्थात्

पुनरावलोकन

राजीव मित्तल

हमने पढ़ा था कि भारतवर्ष को जल्द से जल्द हरियाली तीज, सावन के झूलों, आषाढ़ का इक दिन, कालिदास के मेघों, दो बैलों की जोड़ी, गाय को माता मानना, सांड़ को पिता मानना, गंगा को मैया मानना बंद करना होगा और तुलसी की पूजा, वनदेवी का गान, तालाब, पोखर, ताल-तलैया, नदी यानी बहती धाराओं से अपना पीछा छुड़ाना बहुत ज़रूरी है। अर्थात हमें जीडीपी तय करने के मापदंड बदलने होंगे तभी हम अगले पांच साल में घरेलू सकल उत्पाद दर 27 फीसदी, बल्कि 30 फीसदी तक पहुंचा पाएंगे, जबकि इस दौरान दुनिया भर के देशों की जीडीपी दर दस फीसदी भी हुई तो बहुत बड़ी बात होगी।

जीडीपी की परिभाषा Definition of GDP

भारतवासियों के सौभाग्य से इस दिशा में जो बीज ढाई दशक पहले हमने बोये थे, आज वो यूक्लिपटिस का पेड़ बन गए हैं। हमने जीडीपी की जो परिभाषा पिछले वर्षों में तैयार की है, उसे समझना बहुत जरूरी है।

अगर आपने मूली के पत्ते रगड़ या अन्य घरेलू नुस्खे से दाद-खाज-खुजली ठीक कर ली तो जीडीपी भैंस बन कर गयी पानी में, लेकिन अगर आप उकौता हरण के लिए बाबा रामदेव को पुकारते हैं तो आपको आराम मिले न मिले लेकिन उस लंगोटिये के काढ़े, सरसों का तेल और गाय का घी जीडीपी का कटोरा लबालब कर देंगे।

सरकारी स्वास्थ्य सेवा Government healthcare

हमारे देश में सरकारी स्वास्थ्य सेवा को त्यागने की प्रक्रिया बहुत ही सकारात्मक तरीके से शुरू हो गई है। सरकारी अस्पतालों में रोगियों के जिन बिस्तरों पर कुत्ते लोटते पाए जाते थे. अब उन पर मरीज अपने कटे अंगों का सिरहाना बना कर मीठे-मीठे सपने देख रहे हैं। किसी सरकारी अस्पताल में कोई मरीज ऑपेरशन के बाद अपने ही कटे हाथ पर सिर टिकाए सो रहा हो तो उसकी फोटो खींच कर, उस फोटो के बड़े-बड़े होर्डिंग बनवा कर देश भर में लगाये जाने चाहिएं। इससे देश के सरकारी अस्पतालों को तोड़े बगैर उन पर सुखानी, रामपुरिया, अबेजानी, टिकरिया जैसे बड़े औद्योगिक घरानों के बोर्ड टांगने में बहुत आसानी होगी। जो पर्चा पहले एक रुपये में 15 दिन के लिए बनता था, 15 रुपये में एक दिन का बनेगा।

अगर आप कोई कार खरीदते हैं, आपने पैसा दिया किसी ने पैसा लिया तो जीडीपी बढ़ गयी.. आपने कार को चलाने के लिए पेट्रोल ख़रीदा जीडीपी फिर बढ़ गयी, कार के दूषित धुएं से आप बीमार हुए, आप डॉक्टर के पास गए, आपने फीस दी उसने फीस ली और फिर जीडीपी बढ़ गयी। जितनी कारें आएंगी देश में उतनी जीडीपी तीन बार बढ़ जाएगी।

इस देश में 4000 से ज़्यादा कारें हर साल खरीदी जाती हैं..25000 से ज्यादा मोटर साइकल खरीदी जाती हैं और सरकार भी इस पर सारा ज़ोर देती है क्योंकि

यह एक शानदार तरीका है देश की जीडीपी बढ़ाने का.

हर बड़े अख़बार में और चैनल पर कोकाकोला और पेप्सीकोला का विज्ञापन छाये रहते हैं और ये भी सब जानते हैं कि ये दोनों पेय कितने खतरनाक और जहरीले हैं सेहत के लिए ... पर फिर भी सब सरकारें चुप हैं और अपनी जनता को ज़हर पीता देख रही हैं

क्योंकि जब भी आप कोका कोला पीते हैं देश की जीडीपी दो बार बढ़ती है ।

पहले आपने कोका कोला ख़रीदा पैसे दिये..देश का जीडीपी बढ़ गया, फिर पीने के बाद बीमार पड़े .. डॉक्टर के पास गए, डॉक्टर को फीस दी.. जीडीपी दोबारा बढ़ गयी ।

हमें देश को मोटा करना है..अन्यथा परंपरागत कुपोषण से काम चलाना है..अमेरिका का उदाहरण आपके सामने है..आज अमेरिका में चार लाख लोग हर साल मरते हैं

Rajeev mittal राजीव मित्तल, लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। राजीव मित्तल, लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

कारण है उनका भोजन...क्योंकि जो जंक फ़ूड है और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स है .. उसके सेवन से मोटापा और बीमारी बढ़ती है... जिसके चलते आज 62 % अमेरिकी क्लीनिकली मोटापे के शिकार हैं और हमारे देश में 62 % लोग कुपोषण का शिकार हैं। ये भी जीडीपी बढ़ाने का एक तरीका है , जितना ज्यादा प्रदूषण खाने में होगा उतना ज्यादा जीडीपी बढ़ता है।

पहले तो फ़ूड इंडस्ट्री की तेजी (boom of food industry) से जीडीपी बढ़ी उसके साथ दवा का बाज़ार (market of medicine) बढ़ा.. फिर

जीडीपी बढ़ गयी ... फिर इसके साथ इंश्योरेंस का बाज़ार (market of insurance) बढ़ा..ये तीनों बाज़ार आपस में जुड़े हुए हैं इसीलिए आज जितना ज्यादा ख़राब फ़ूड खायेंगे तीनों बाज़ार तेजी से फैलेंगे.और तभी जीडीपी दौड़ेगी..

अब आपको जीडीपी बढ़ानी है या घर में

खाना बनाना है !

घर में खाना बनाने से जीडीपी नहीं बढ़ती। इस मायाजाल को समझ कर अन्न और गैस की बरबादी बंद करें.....