जेएनयू प्रकरण - हिन्दू राष्ट्रवाद को आतंकियों का सहारा ही बचा है
जेएनयू प्रकरण - हिन्दू राष्ट्रवाद को आतंकियों का सहारा ही बचा है

जेएनयू के बारे में मीडिया और संघ द्वारा क्या झूठ फैलाया जा रहा है?
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जेएनयू को संसद से प्रस्ताव पारित करके स्वायत्तता प्रदान की गयी है। गृहमंत्री और मानव संसाधन मंत्री को कोई हक नहीं है संसद प्रदत्त स्वायत्तता पर हमला करने का। जेएनयू का सर्वेसर्वा वीसी है, वह जो चाहे अपने विवेक, जेएनयू के नियम आदि की रोशनी में निर्णय ले, लेकिन किसी भी मंत्री या पीएम को हस्तक्षेप का हक संसद ने नहीं दिया है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हाल में जो हस्तक्षेप किया है वह संसद द्वारा पारित प्रस्ताव की अवहेलना है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह को शिक्षा संस्थानों का सही ज्ञान नहीं है, खासकर जेएनयू की प्रकृति को वे जानते नहीं हैं या फिर चालाकी के साथ उसकी अनदेखी कर रहे हैं। मैंने सात साल वहां पढ़ाई की है और मैंने निजी अनुभव से वहां देखा है कि वहां पढ़ने वाले छात्रों में उत्तर-पूर्व के पृथकतावादी भी थे, उनके संगठन थे, इनमें अनेक तो प्रतिबंधित संगठन के बड़े नेता बने। वहां पर पढ़ने वालों में इराक के सद्दाम हुसैन के दल के लोग भी थे तो इराक की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य भी थे। वहां सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य भी पढ़ते थे तो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य भी पढ़ते थे। ईरान के कम्युनिस्ट भी थे तो उनके विरोधी भी थे। फिलिस्तीन के क्रांतिकारियों का पूरा समूह पढ़ता था तो नेल्सन मंडेला के दल के लोग भी पढ़ते थे और इन सबके अपने छोटे-छोटे संगठन भी थे, यहां तक कि आरएसएस के कुछ सदस्य भी थे, कौंसलर भी था। नक्सल भी थे, उनके संगठन भी थे, ट्राटस्काइट भी थे, कांग्रेसी, एसएफआई, एआईएसएफ आदि संगठनों के अलावा फ्री थिंकर और समाजवादियों का संगठन भी था। हर रंगत के देशी-विदेशी विचारधारा के संगठन थे और उनमें तीखी वैचारिक बहसें जेएनयू संस्कृति की शोभा रही है।
जेएनयू की परंपरा क्या है? | What is the tradition of JNU?
जेएनयू की परंपरा है अपनी समस्याएं स्वयं सुलझाने की, बाहरी हस्तक्षेप जब भी हुआ है उससे जेएनयू की संस्कृति (Culture of JNU) और जेएनयू की आंतरिक संरचनाएं (Internal Structures of JNU) क्षतिग्रस्त हुई हैं।
संघ के राष्ट्रवाद को डेविड हेडली और हाफिज सईद के सहारे क्यों चलना पड़ रहा है ?
क्या हिन्दू राष्ट्रवाद को आतंकियों के अलावा अपनी रक्षा में देने के लिए और कोई तर्क नहीं बचा, यदि ऐसा है तो यह तो हिन्दू राष्ट्रवाद की अंतिम दशा ही समझो।
जेएनयू के छात्र और शिक्षक आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं, सभी छात्रों-शिक्षकों-कर्मचारियों को इस हड़ताल का समर्थन करना चाहिए।
जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने जेएनयू के छात्रों के आंदोलन का समर्थन किया साथ ही वि वि कैंपस में प्रतिवाद जुलूस निकालने का फैसला किया।
अफजल गुरू तो हीरो है पीडीपी का, फिर भाजपा उनके साथ मिलकर सरकार बनाना क्यों चाहती है, जानें भाजपा का भारतभंजक और अ-लोकतांत्रिक चरित्र क्या है।
देश के 40 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षक संगठनों ने जेएनयू में चल रहे आंदोलन का समर्थन किया है। यह दर्शाता है कि जेएनयू को लेकर संघ परिवार ने जो घृणा फैलायी है और जिस तरह निर्दोष छात्रों को राष्ट्रद्रोह के आरोप में बंद किया है वह एकदम गलत है। सभी 40 विश्वविद्यालयों के शिक्षक संगठनों ने विश्वविद्यालयों में अकादमिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाए रखने की अपील की है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हाफिज सईद के नाम से दिल्ली पुलिस के जरिए जिस जाली ट्वीट को नेट पर प्रमाण के रूप में प्रकाशित कराया था, वह भी अब हटा दिया गया है। हाफिज सईद का कोई ट्वrट अब जेएनयू के संदर्भ में नेट पर नहीं है।
दिलचस्प बात यह है हाफिज सईद का ट्विटर एकाउंट 8 दिसम्बर 2014 से बंद पड़ा है। गृहमंत्री के इशारे पर हो रही ये सारी हरकतें बताती हैं कि संघ परिवार ने तय कर लिया है कि जेएनयू की साख को पूरी तरह खत्म किया जाए, इस वि वि को बर्बाद किया जाए।
समूचे कारपोरेट मीडिया तंत्र खासकर न्यूज टीवी चैनलों की साख को जेएनयू की सचेत जनता ने धूल में मिला दिया। जैसा जश्न रूपी प्रतिवाद कैंपस के इतिहास की विरलतम घटना है। इससे पता चलता है जेएनयू के बारे में मीडिया और संघ के द्वारा जो झूठ फैलाया जा रहा है उससे जेएनयू के सभी छात्र-शिक्षक-कर्मचारी भयानक गुस्से में हैं।
इससे फेसबुक पर जेएनयू के बारे में बेसिर-पैर की हांकने वाले भी सबक लें और सीखें, जेएनयू का सत्य वह नहीं है जो संघ बता रहा है या मीडिया बता रहा है, जेएनयू का सच वह है जो वहां का छात्र समुदाय बोल रहा है। सीखो फेसबुक वालो, कुछ तो विवेक से काम लो।
जगदीश्वर चतुर्वेदी
(जगदीश्वर चतुर्वेदी की फेसबुक टिप्पणियों का संपादित स्वरूप)


