जैज़ - अमरीकी विस्थापितों की स्थिति में जो सबसे बड़ा परिवर्तन घटित हुआ वह था 1864 में दास प्रथा का उन्मूलन
जैज़ - अमरीकी विस्थापितों की स्थिति में जो सबसे बड़ा परिवर्तन घटित हुआ वह था 1864 में दास प्रथा का उन्मूलन
नीलाभ अश्क जी, मंगलेश डबराल और वीरेंद्र डंगवाल के खास दोस्तों में से हैं और इसी सिलसिले में उनसे इलाहाबाद में 1979 में परिचय हुआ। वे बेहतरीन कवि रहे हैं, लेकिन कलामाध्यमों के बारे में उनकी समझ का मैं शुरू से कायल रहा हूं। अपने ब्लॉग नीलाभ का मोर्चा में इसी नाम से उन्होंने जैज़ पर एक लंबा आलेख लिखा है, जो आधुनिक संगीत के साथ साथ आधुनिक जीवन में बदलाव की पूरी प्रक्रिया को समझने में मददगार है। नीलाभ जी की दृष्टि सामाजिक यथार्थ के प्रिप्रेक्ष्य में कला माध्यमों की पढ़ताल करने में प्रखर है। हमें ताज़्जुब होता है कि वे इतने कम क्यों लिखते हैं। वे फिल्मों में भी बना सकते हैं, लेकिन इस सिलसिले में भी मुझे उनसे और स्क्रिप्ट की उम्मीद है।
हम नीलाभ जी के अन्य लेखों का भी इंतज़ार रहेंगे। इस दुश्मन में हमारे इतने प्यारे मित्र जो बेहतरीन अच्छा लिख सकते हैं, उनका लिखना भी जरूरी है।
हमेशा खासतौर पर उन लोगों पर बहुत गुस्ताख़ी आती है जो पूरा खेल समझते हैं, लेकिन खेल का खुलासा करना नहीं चाहते। हम जानते हैं कि नीलाभ भाई ऐसे नहीं हैं।
— पलाश विश्वास
चिट्ठानी जीवन का संगीत
जैज़ पर एक लंबे आलेख की छवि
जैज़ की बुनियादी विशेषता — गूहार और जवाब
अमेरिकी स्थिति में जो सबसे बड़ा परिवर्तन घटित हुआ वह था 1864 में दास प्रथा का उन्मूलन। वैसे तो अमेरिकी गौरों में बहुत से लोग दास-प्रथा और मनुष्यों को मनुष्य से एक दर्जा नीचे रखने के विरोधी थे, लेकिन एक बहुत बड़ा समूह समुर्दाय के खिलाफ था, लेकिन एक बहुत बड़ा संख्या साधारण लोगों की हीनतर है।
दूसरा कारण आर्थिक था। अमेरिकी के दक्षिणी हिस्से की अर्थ-व्यवस्था काले चुलारों पर टिकी हुई थी जो तम्बाकू, कपास, मक्का, केला और दूसरी फसलें की खेती के काम में सबसे अनिवार्य तत्व — श्रम — उपलब्ध कराते थे और साथ ही घरालू कामगारों की एक श्रेणी भी। यह सस्ता श्रम अमेरिकी के दक्षिणी क्षेत्र की अर्थ-व्यवस्था का आधार था।


