नई दिल्ली। खबर है कि महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने डॉ आंबेडकर के निवास और प्रेस पर बुलडोजर चलाया है।

इस संबंध में अंबेडकरवादी कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने फेसबुक पर स्टेटस अपडेटकिया है, जो निम्नवत् है-
Bhanwar Meghwanshi wrote:
मुंबई में कल देर रात्रि में भारतरत्न बाबासाहेब डॉ आंबेडकर द्वारा बनवाये उनके निवास आंबेडकर भवन और उनकी बनवायी प्रेस बुद्धभूषण प्रेस जैसी ऐतिहासिक महत्व के स्थान पर उसी बीजेपी सरकार ने बुलडोजर चलवाया है, जिसने अभी-अभी उनकी 125 वीं जयंती बड़े धूमधाम से मनायी है।
इसी बीजेपी सरकार ने उनकी जयंती के अवसर पर ऐतिहासिक दो दिन का विशेष संसद सत्र भी बुलवाया था। इसी बीजेपी सरकार ने उनके लंदन में अस्थायी निवास को भी बड़े गाजे बाजे के साथ खरीदा था।

इसी पार्टी की सरकार ने जापान में भगवे साफे में डॉ आंबेडकर की मूर्ति का भी अनावरण किया था।

ज्ञातव्य है कि राज्य में उसी बीजेपी की सरकार है जिसकी केंद्र में भी सरकार है।
राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस है तो वहीं केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।
इस घटना पर संतप्त लोगों की प्रतिक्रिया है कि इस बीजेपी सरकार का आंबेडकर प्रेम दिखावा है और असली मकसद डॉ आंबेडकर और उनसे जुड़ी तमाम चीजों को भ्रष्ट अथवा नष्ट करना है। जहाँ नष्ट करना संभव हो वहाँ नष्ट किया जाये और जहाँ संभव न हो वहाँ भ्रष्ट किया जाए। यह पॉलिसी अब तक की घटनाओं से स्पष्ट समझ आती है।
इसी बीजेपी पार्टी की सरकार ने गुजरात व राजस्थान की पाठ्य पुस्तकों से डॉ आंबेडकर का पाठ भी हटाया है।
इसी पार्टी के आदर्श रहे सावरकर, डॉ आंबेडकर के घोर विरोधी के रूप में जाने जाते हैं, जबकि इसी पार्टी के प्रमुख आदर्श गोलवलकर और हेडगेवार की नीतियाँ डॉ आंबेडकर के एकदम उलट हैं।
डॉ आंबेडकर अगर धर्म निरपेक्ष भारत के हिमायती थे तो ये बहुसंख्यक शूद्र-अतिशूद्र के उत्पीड़क रामराज्य के हिमायती हैं।

डॉ आंबेडकर अगर पिछड़ों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व के हिमायती थे तो ये घोर विरोधी हैं।
वास्तव में वे आंबेडकर का इस्तेमाल मुस्लिमों के विरोध में करना चाहते हैं, ताकि दलित-मुस्लिम गठजोड़ न बन सके और ये दोनों आपस में लड़कर कमजोर हो जाएँ । "एक तीर से दो शिकार" और "हाथी के दाँत खाने के और व दिखाने के और"का यह जीता जागता उदाहरण है ऐसा जानकारों का कहना है।
वाया Vidrohi-Sumedh Ranvir

विस्तृत व पुष्ट समाचार की प्रतीक्षा है