आशु भटनागर
फारवर्ड प्रेस पर छापे से व्यथित जेएनयू के भारतीय वामपंथी/ आंबेडकरवादी आजकल ब्राहमणवादियों को जमके कोस रहे हैं, कारण उनकी काल्पनिक कहानियां जो लोगों की भावनाओं को आहत कर रही थीं, को पब्लिश होने से रोक दिया गया। हालाँकि उसके लिए ऐसी कोई विशेष ज़रूरत नहीं थी क्योंकि देर सवेर ये सब उन्हीं के पक्ष में जाने वाला था।
पर दूसरों को फास्टिस्ट और लोकतंत्र की शिक्षा देने वाले लोगों को क्या अपने पुराने कर्म याद हैं। तसलीमा नसरीन की लज्जा इन्हीं वामपंथियो ने वेस्ट बंगाल में बैन की थी। याद है ना। तब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहाँ चली गयी थी और जब मुसलमान सलमान रश्दी की सैटेनिक वर्सेज को बैन कर रहे थे तब वे क्या थे ?
द विंसी कोड नामक फ़िल्म का भी विरोध हुआ था। उस फ़िल्म में ईसा को एक मानव बताया गया है जो प्यार करता है, बच्चे पैदा करता है और जिसके वंशज आज भी हैं। ईसाइयों ने उसका विरोध किया था क्योंकि उनके अनुसार ईसा देवदूत थे, उन्होंने कभी सेक्स नहीं किया था।
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