तालिबान, अलकायदा की तरह हिंदू तालिबान भी अमेरिकी उत्पादन #ISIS may not be defeated with #religiouspolarization
तालिबान, अलकायदा की तरह हिंदू तालिबान भी अमेरिकी उत्पादन #ISIS may not be defeated with #religiouspolarization
तालिबान, अलकायदा की तरह हिंदू तालिबान भी अमेरिकी उत्पादन है और इस्लाम के साथ साथ गरीब दुनिया के सफाये के लिए ISIS अमेरिका और इजराइल का ब्रह्मास्त्र है।
#रोजावाकीक्रांति #ISIS may not be defeated with #religiouspolarization #War not against ISIS #America created #Israel joins #G20 funding #OilWar!
पुतिन के खुलासे के बाद भी अगर हम यह नहीं समझ रहे हैं तो बोको हरम और पेरिस और बेरुत, लेबनान, इराक, अफगानिस्तान, मिस्र, लीबिया, जार्डन, सीरिया, तुर्की और यूनान में जो हुआ, वह ग्रीक त्रासदी का मजा हम भी लेंगे। आतंकी हमलो में जितने मारे गये, मारे जा रहे हैं, बोकोहरम में उससे ज्यादा लोग मारे जा रहे हैं तो भारत में भी राष्ट्र की हिंसा के शिकार लोग रंगबिरंगी हिंसा, हमलों, दंगा फसाद में मारे जाने वालों से कहीं बहुत ज्यादा है।
पलाश विश्वास
हाथ कंगन को आरसी क्या ?
पढ़ लें समकालीन तीसरी दुनिया का सितंबर अंक और इजराइली अमेरिकी कनेक्शन के वीडियो सबूत पेश करने के बाद बाकी सबूत भी हम लाइव शेयर कर रहे हैं जो हैंगआउट पर लाइव स्ट्रीम भी है।
यह सरासर गलत है कि आम जनता कुछ नहीं समझती। मैं हूबहू यही बातें जब सार्वजिनक स्थान पर जनता के बीच करता हूं तो वे इसे बखूब समझते हैं और मैं सही सलामत भी हूं। इसका मतलब यह हुआ कि हम जनता से संवाद की स्थिति बना ही नहीं पा रहे हैं। जनता को जब सच मालूम होगा तो सारे के सारे किले ध्वस्त हो जायेंगे।
बहरहाल एफडीआई बाबा ने भले ही अपने टायटैनिक हाथ दसों दिशाओं में लहराकर हिंदुत्व के वैश्विक मनुस्मृति आर्डर के आवाहन के साथ ISIS को खत्म करने के लिए भारत की युद्धघोषणा करके मध्यपूर्व की युद्धभूमि हिंदुस्तान की सरजमीं को बना दिया है, ISIS को अमेरिका और इजराइल मदद देता रहेगा तेल युद्ध की खातिर।
सितंबर का समकालीन तीसरी दुनिया का अंक मेरे सामने है और मैं लहूलुहान हूं। मुझे यह भी देखना पड़ रहा है कि भीष्म पितामह की तरह हमारे बड़े भाई आनंद स्वरूप वर्मा कंटकशय्या पर हैं और हम महाभारत में कुरुक्षेत्र के चक्रव्यूह में निःशस्त्र फंसे हैं।
देश को गोलबंद करना बहुत दूर की मंजिल है और हम तो समकालीन तीसरी दुनिया को बचाने के लिए प्रतिबद्ध जनपक्षधर ताकतों को लामबंद करने में भी बुरी तरह फेल हैं।
इसी तरह हस्तक्षेप के लिए भी कहीं से मदद की गुहार का जवाब नहीं आ पाया है।
हमारी लड़ाई जारी रखना बेशक मुश्किल है लेकिन हम यकीनन लड़ेंगे। हमेशा की तरह समकालीन तीसरी दुनिया की आवाज बुलंद होती रहेगी, यही उम्मीद है।
समकालीन तीसरी दुनिया के सितंबर अंक की कवर स्टोरी रोजावा की क्रांति इस वीडियो के फोकस में होगा।
फोकस पेरिस का अपडेट, युद्ध लाइव और फोकस ISIS के खिलाफ क्रांतिकारी संघर्ष पर होगा। वीडियो क्लीपिंग यूट्यूब के सौजन्य से। कृपया डाउनलोड करके लिंक व्हाटअप, फेसबुक वगैरह में शेयर तो करें ही, जो जमीन पर लड़ाई कर रहे हैं, वे इसका प्रचार प्रसार भी करें।
हमने कल ISIS की जन्मकुंडली वीडियो सबूत के साथ बांच दी है। अमेरिका ने पैदा किया ISIS को। इजराइल ने इसे पाला पोसा। तो विकसित देश अवैध तेल कारोबार के लिए तल कुंओं पर अपने अपने वर्चस्व के लिए यह तेलयुद्ध लड़ रहे हैं।
हमारी कोई औकात नहीं है। लेकिन पुतिन भइया ने जी 20 देशों के शमिट में विश्वनेताओं की मौजूदगी में भरे हाट आतंक के अंधियारे कारोबार की हड़िया फोड़ दी है और हम्माम में सारे के सारे जिन्न महाजिन्न बिरंची बाबा वगैरह-वगैरह नंगे ही निकले।
एफडीआई बाबा ने भले ही अपने टायटैनिक हाथ दसों दिशाओं में लहराकर हिंदुत्व के वैश्विक मनुस्मृति आर्डर के आवाहन के साथ ISIS को खत्म करने के लिए भारत की युद्धघोषणा करके मध्यपूर्व की युद्धभूमि हिंदुस्तान की सरजमीं को बना दिया है, ISIS को अमेरिका और इजराइल मदद देता रहेगा तेल युद्ध की खातिर।
अमेरिका, इजराइल और ISIS का साझा लक्ष्य है इस्लाम का सफाया और भारत में संस्थागत फासीवाद का लक्ष्य है मुक्तबाजारी तिलिस्म की मदद से पूरी दुनिया को मनुस्मृति शासन के मातहत लाने का राजसूय वैदिकी। विशुद्धता का राजसूय है यह।
संस्थागत फासीवाद को खूब मालूम है कि अमेरिका और इजराइल अपनी संतान ISIS को खत्म करना नहीं चाहता क्योंकि वही अरब वसंत का सूत्रधार है।
भारत में अरब वसंत के सूत्रधार जाति धर्म के वंश वर्चस्व का मकसद भी ISIS को खत्म करना नहीं कतई नहीं है।
ISIS के खिलाफ बेमतलब युद्ध घोषणा से भारतीय उपमहादेश में ISIS का जो जाल बन रहा है, उससे निपटना भी उनका मकसद नहीं है।
बल्कि जैसे फ्रांस और बाकी विकसित दुनिया में नागरिक और मानवाधिकार निलंबित है, जैसे नाटो की बायोमैट्रिक नागरिकता और डिदजिटल भारत की नरसंहार संस्कृति है, उसी तरह इस युद्ध घोषणा के साथ कल्कि अवतार ने समूचे भारत में सलवा जुड़ुम का विस्तार कर दिया है और पूरा देश या तो कश्मीर है या मणिपुर।
फासीवादी धार्मिक ध्रुवीकरण और नरसंहार संस्कृति के लिए जो महातिलिस्म है।
रेलवे का भाड़ा न्यूनतम पांच रुपये से दस रुपये हो रहा है।
गरीब गुरबों के लिए दाल रोटी के बजाय कारपोरेट राजगुरु जहर बांटे तो बेहतर, ऐसे आलम में सातवें वेतन आयोग के तहत 50 लाख सरकारी कर्मचारियों का वेतन महज 15 फीसद बढ़ाकर उनकी सर्विस 33 साल तक सीमित कर दे रही है और उत्पादकता से उनका वेतनमान जोड़कर मेहनतकशों के हकहकूक के कत्लेआम के बाद श्रम कानूनों के सफाये के बाद उनमें से ज्यादातर की छंटनी की खुली तैयारी है।
यही है जनता के खिलाफ युद्ध का आलम और ISIS के खिलाफ बेमतलब युद्ध घोषणा दरअसल हिंदुत्व उन्माद के जरिये विश्व व्यवस्था कब्जाने की रणनीति है और भारत में गैरहिंदुओं के साथ साथ बहुजनों की सफाये की भी तैयारी है यह।


