तीन राज्यों में भाजपा की हार के पीछे की असल कहानी : ब्राह्मण विद्रोह ने हिंदुत्व का तख्ता पलट कर दिया

The real story behind the defeat of BJP in three states: Brahmin revolt overthrew Hindutva

हिन्दीभाषी राज्यों में भाजपा की हार के पीछे का सच

ब्राह्मण बनाम हिन्दुत्व!

अमरेश मिश्र

भाजपा का कोई भी पैंतरा अब चलने वाला नहीं है। मैं वह पहला शख़्स था जिसने हिन्दी पट्टी के तीनों राज्यों में भाजपा की हार की भविष्यवाणी की थी। मैं स्वयं छत्तीसगढ़ में डेरा डाले हुए था।

राजनंदगांव में करुणा शुक्ला जी, डॉ. रमन सिंह से टक्कर ले रही थीं। करुणा जी, जो अटल जी की भतीजी हैं, को मैं ही भाजपा से काँग्रेस में लाया था।

हालांकि करुणा जी बहुत कम वोटों के अन्तर से चुनाव हार गईं, लेकिन रणनीति के अनुरूप उन्होंने रमन सिंह को केवल एक विधानसभा क्षेत्र में इस कदर उलझाए रक्खा कि वह राज्य में अन्यत्र चुनाव प्रचार नहीं कर पाए। नतीजतन, भाजपा को 20 सीटों का नुकसान हुआ और ब्राह्मण भी काँग्रेस के पक्ष में लामबंद हो गए। किसानों की आवाज़ को भी बल मिला क्योंकि ब्राह्मणों ने भाजपा विरोधी लहर और माहौल तैयार किया।

भाजपा छत्तीसगढ़ में मात्र 15 सीटों पर सिमटकर रह गई। हमने ऐसी रणनीति बनाई जिसमें सनातन धर्म और काँग्रेस के ब्राह्मण स्टेटस को हिंदुत्व के बरक्स खडा कर दिया। राहुल गांधी द्वारा सनातन मन्दिरों के दर्शन, उनके गोत्र, करुणा जी के सामने, मोदी के निम्न जाति स्टेटस और हिंदुत्व को मुंह की खानी पड़ी।

भाजपा ब्राह्मण आख्यान को हिन्दुत्व आख्यान में समाहित नहीं कर पाई। हमने हिन्दुत्व के इसी मर्म पर प्रहार किया। ब्राह्मणों के बिना हिंदुत्व शून्य है। ब्राह्मणों को यह अहसास हो गया था कि मोदी ब्राह्मणों द्वारा पैदा किए गए धार्मिक माहौल की वजह से वोट बटोर रहा है। मगर साथ ही उस माहौल का नाजायज़ फायदा उठाते हुए ब्राह्मणों का मखौल भी उड़ा रहा है। जब उन्हें इस बात का भान हो गया कि राम मन्दिर का निर्माण या मंगल पांडे की प्रतिमा की स्थापना उसकी प्राथमिकताओं में कहीं नहीं है, और वह एससी/एसटी एक्ट का निरंकुश रूप लाया है, तब उन्होंने विद्रोह का बिगुल फूंक दिया।

इतिहास के पन्नों में यह सच्चाई दर्ज होगी कि ब्राह्मण विद्रोह ने हिन्दुत्व का तख्ता पलट कर दिया।

तो यह है तीन हिन्दीभाषी राज्यों में भाजपा की हार के पीछे का सच! आप और अन्य लोग ‘ब्राह्मण और किसान' के गठजोड़ को कमतर आंकने की गलती फिर से दोहरा रहे हैं। यही दो महत्वपूर्ण कारक हैं जो भाजपा के सारे गणित को उलट देंगें और एक ऐसी भाजपा-विरोधी लहर को जन्म देंगें जो 2019 में इसे मात्र 100 सीटों पर समेट देगी।

मैं एक कृषक हितैषी, कान्यकुब्ज ब्राह्मण-UP में इस ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहा हूं। UP के ऐसे 22-23 जिले हैं, जो 1952 से जिस के साथ गये, उसी ने दिल्ली मे सत्ता बनायी। लखनऊ, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, बलरामपुर, फैज़ाबाद, सीतपुर, उन्नाव, हरदोई, सुल्तानपुर, अम्बेडकर नगर, प्रतापगढ़, श्रावस्ती, जौनपुर, आज़मगढ़, जौनपुर, गोरखपुर, बस्ती, देवरिया, इलाहबाद, वाराणसी, गाज़ीपुर, बलिया इत्यादि से जो वेव चलती है, वही निर्णायक बनती है। ये सब ब्राहमणों के गढ़ हैं।

भूल जाइए कि भाजपा 150-170 सीटों के साथ दोबारा सरकार बनाने जा रही है। हम 2019 के चुनावों को एक 'लहर प्रभावित चुनाव' में तब्दील कर देंगे। इस प्रकार के गुप्त और मौन ऑपरेशन चुनावों का रुख पलट देने की क्षमता रखते हैं।

इसकी हलचल आपको बाहर से दिखाई नहीं देगी।

(अमरेश मिश्र, लेखक वरिष्ठ पत्रकार, इतिहासकार व बुलेट राजा फिल्म के पटकथा लेखक हैं।)

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Teen raajyon mein bhaajapa kee haar ke peechhe kee asal kahaanee : braahman vidroh ne hindutv ka takhta palat kar diya