इरा सिंघल, ज्योतिष और समझ का सवाल
कल शाम एनडीटीवी पर रवीश कुमार आइएएस की टॉपर इरा सिंघल का साक्षात्कार कर रहे थे। इरा सिंघल ने चुनौतीपूर्ण शारीरिक स्थितियों में इस परीक्षा में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है, इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए, कम है। पर, रात उनका इंटरव्यू देखकर मन अजीब-सी खिन्नता से भर गया। रवीश कुमार से बातचीत में उनके पिता ने बताया कि इरा सिंघल ज्योतिष में भी अच्छा दखल रखती हैं। इस बात को आगे बढ़ाते हुए इरा ने यहां तक कह दिया कि उन्होंने अपने ज्योतिष-ज्ञान के आधार पर यह जान लिया था कि इस बार आइएएस में उनका चयन तय है।
उनके कमरे में पड़े हिंदी अखबार को देखकर रवीश कुमार ने पूछ लिया कि आप हिंदी अखबार पढ़ती हैं ? इरा सिंघल के मुंह से निकला-‘नहीं, नहीं, मैं हिंदी नहीं पढ़ती। मां हिंदी अखबार पढ़ती हैं।’ फिर वे पूरे उत्साह से अपने कमरे में मौजूद सैंकड़ों अंग्रेजी उपन्यासों को रवीश कुमार को दिखाती रहीं। और जब उनसे तैयारी में काम आई किताबों के बारे में पूछा तो वे बोलीं-‘वे सब तो मैंने फेंक दी है।’ रवीश कुमार ने दोबारा पूछा कि फेंक दी हैं या किसी को दे दी हैं। तब इरा सिंघल को लगा कि कुछ गलत कह दिया है, वे बोली-‘हां, किसी को दे दी हैं।’ कई जगह पर रवीश कुमार ने उनकी बातचीत को संभाला, अन्यथा वे और भी गोल-गपाड़ा कर देतीं।
इन कुछ सवालों के बाद मैंने चैनल बदल लिया। बड़े उत्साह से इंटरव्यू देखना शुरू किया था। लेकिन, इरा सिंघल के ज्योतिष के दिव्य-ज्ञान, हिंदी न पढ़ने का उत्साह और किताबों को फेंक देने की बात के बाद कुछ ऐसा बचा नहीं कि उनके इंटरव्यू को देखा जाए। मेरे मन में रात से ही ये सवाल है कि क्या हमें ऐसे ही अधिकारियों की जरूरत है जो ज्योतिष-ज्ञान के आधार पर पता लगा लेते हैं कि वे आइएएस बनने वाले हैं ? क्या ऐसे अफसरों की जरूरत है जो जोर देकर कहते हैं कि वे हिंदी नहीं पढ़ते और उनके लिए किताबों की उपयोगिता केवल परीक्षा तक है, इसके बाद वे किताबें फेंक देते हैं ?
इरा सिंघल के बारे में सख्त टिप्पणी करने से कुछ लोग भावनात्मक तौर पर परेशान हो सकते हैं, इसलिए मैं अपने मित्रों पर इस बात को छोड़ता हूं कि वे पूरे मामले को कैसे देखते हैं! इतना जरूर है कि हमें तार्किक, प्रबुद्ध, समझदार और वैज्ञानिक सोच वाले लोगों की जरूरत है। रट्टू-तोतों और चमत्कारिक उपायों में भरोसा करने वालों की नहीं। और हां, जिन्होंने ये इंटरव्यू न देखा हो वे इसे एनडीटीवी हिंदी के पोर्टल पर देख सकते हैं।
सुशील उपाध्याय
सुशील उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार व मीडिया गुरू हैं। उनकी फेसबुक टाइमलाइन से साभार।