अज़हर खान

भारत में मुख्यतः ऐसी दो कम्पनी हैं जो देश की विभिन्न साइट्स से प्रत्यक्ष तौर पर तेल और प्राकृतिक गैस निकालने के लिये जानी जाती हैं। पहली है ओएनजीसी और दूसरी है ईआईएल।

यह बात जग जाहिर है कि हम अपना अस्सी फीसदी तेल आयात करते हैं लेकिन साथ ही साथ यह बात भी सच है कि कुछ जगहों को जो भारत में ही हैं और जियोलॉजिस्ट के अनुसार तेल और प्राकृतिक गैस के भण्डार हैं उनको सही तरीके से एक्स्प्लोर नहीं किया गया जैसे नॉर्थ ईस्ट के ही असम राज्य में गोलाघाट, हैलाकंडी, तिनसुकिया जोरहट और राजस्थान का बाड़मेर शहर। इस बाड़मेर के बारे में जियोलॉजिस्ट बताते हैं कि यहाँ बॉम्बे हाई से ज्यादा तेल और प्राकृतिक गैस मिल सकता है लेकिन क्योंकि सरकार और तेल कम्पनियों को इनसे ज्यादा मुनाफा नहीं होगा और इनके इंस्टालेशन में बहुत ज्यादा पूँजी लगेगी इसलिए इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दियाजा रहा। मैं यह बात पूरी ज़िम्मेदारी से कह रहा हूँ।

एक और विकल्प सरकार के पास है कि वह इंडोनेशिया और वेनेजुअला से करार कर ले क्योंकि इन दो देशों में भी तेल और प्राकृतिक गैस के बहुत भण्डार हैं और इन देशों से सस्ते दामों पर यह उपलब्ध हो सकती है। याद रखिये 2001 में इन दो देशों से करार होते-होते रह गया था।

अमेरिका के दवाब में आकर भारत ने बहुत बड़ी गलती की जो ईरान से तेल आयात में कटौती की। यदि कटौती नहीं करते तो रिज़र्व इतना बच जाता कि एक दम से दाम बढ़ाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। लेकिन ऐसे कई मौके आये हैं जब यह सिद्ध हुआ है कि अमेरिका जो कहता है भारत उसे तुरन्त मानने को तैयार हो जाता है।

अब पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली का सुझाव है कि पेट्रोल पम्प रात 8 बजे के बाद बन्द कर दिये जायें तो किफ़ायत हो सकती है। ज़रा इन महानुभाव से पूछना चाहिए कि रात को लोग पेट्रोल जायदा खरीदते हैं क्या ?

मुझे उम्मीद थी कि वीरप्पा मोइली इस बेतुके सुझाव की जगह यह सुझाव देते कि रेल मंत्री रेल से सफ़र करें, परिवहन मंत्री सड़क का इस्तेमाल करें, सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक अपने अपने काफिले में से पन्द्रह- पन्द्रह गाड़ियों की जगह एक गाड़ी से चलें। लोकसभा और राज्य सभा ज्यादातर स्थगित रहती है और पिछले तीन सालों से लोकसभा के 520 घण्टे बर्बाद हुये हैं। सदन की एक घण्टे की कार्यवाही को चलने में 25 लाख रुपये खर्च होते हैं। ऐसे में संसद नहीं चलने की स्थिति में सभी सांसद उस समय के भत्ते को लौटायें। इतने सारे सुरक्षा कर्मी वीआइपी लोगों की सुरक्षा में लगे रहते हैं, उन सुरक्षा कर्मियों को भुगतान सभी वीआइपी अपने अकाउंट से भुगतान करें न कि सरकार के पैसे से।

यदि ऐसे सुझाव दिये जाते तो एक उदाहरण प्रस्तुत होता कि देश के बड़े और प्रबुद्ध लोग भी इस आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। फिर उनकी देखा- देखी जनता भी यही करती। याद करिए लाल बहादुर शास्त्री जी का उपवास जब देश में अनाज का आकाल पड़ गया था तब उन्होंने कुछ दिन तक पहले खुद खाना नहीं खाया था और फिर बाद में जाकर जानता को उपवास करने को कहा था। लेकिन आज के नेताओं, मंत्री, सांसद और विधायकों की तुलना लाल बहादुर शास्त्री जी जैसे लोगों से करना बामनी तो है ही साथ ही लाल बहादुर शास्त्री जी का अपमान भी....