दंगाइयों का साथ दे रही पुलिस
दंगाइयों का साथ दे रही पुलिस
मुजफ्फरनगर दंगों की आग ठंडा होने का नाम नहीं ले रही है। यूपी को गुजरात बनाने की जो मुहिम शुरू हुई उसका असर देखा जा सकता है। अनेक हिंसा पीड़ित लोगों ने आला अफसरों को दरख्वास्त देकर कहा है कि पुलिस दंगाइयों का साथ देकर उन्हें बचा रही है और हत्या की कई घटनाओं को दबा रही है।
रिहाई मंच ने ऐसे कुछ पत्रों को मीडिया में जारी किया है जिनमें पीड़ितों का दर्द देखा जा सकता है। देखते हैं कुछ पत्र—
रजिस्टर्ड
सेवा में, दिनांक- 17 अक्टूबर 2013
श्रीमान जिलाधिकारी
बागपत
एवं
श्रीमान पुलिस अधीक्षक
बागपत
विषय- मोहम्मद आमिर की हत्या के सम्बन्ध में थाना बुढ़ाना जनपद मुजफ्फर नगर में दिनांक 1 अक्टूबर 2013 को दर्ज मुकदमा अपराध संख्या निल सन 2013 अनतर्गत धारा 302 व स्थानांतरित संबन्धित थाना बिनौली जनपद बागपत की निष्पक्ष जांच एवं लाश को कब्र से निकलवाकर पोस्टमार्टम कराए जाने के संबन्ध में।
महोदय,
उपरोक्त विषय में प्रार्थी निम्न निवेदन करता है-
1- यह कि प्रार्थी ग्राम अनछाड़ (रनछाड़) का स्थाई निवासी है परन्तु अब शरणागत होकर ग्राम जौला, थाना बुढ़ाना, जनपद मुजफ्फर नगर में परिवार सहित रह रहा है।
2- यह कि प्रार्थी के पुत्र आमिर की हत्या सांप्रदायिक भावना रखते हुए दिनांक 12 सितंबर 2013 को ग्राम अनछाड़ में कर दी गई। पुलिस के साथ मिलीभगत करके ग्राम प्रधान समरपाल और अभियुक्तों ने प्रार्थी और उसके परिवारजनों को धमकी और दबाव में लेकर लाश को दफना दिया, जिसका उद्देश्य सबूत मिटाना था और पुलिस को अभियुक्तों द्वारा बताया गया कि आमिर की बीमारी के कारण मृत्यु हुई है। जबकि प्रार्थी व परिवारजनों द्वारा मौके पर पहुंची पुलिस को बताया था कि आमिर की लाश छत से बंधी लटकी हुई पाई गई थी और उसकी हत्या हुई है। परन्तु पुलिस ने प्रार्थी और उसके परिजनों की बात पर ध्यान नहीं दिया। अभियुक्तों द्वारा प्रार्थी व उसके परिजनों को बंधक जैसी स्थिति में अपने ही घर में नजर बंद बनाकर रखा गया और 80 हजार रुपया वसूला। इस संबन्ध में विस्तार से तथ्यों को दर्ज रिपोर्ट में उल्लेखित किया गया है जिसकी प्रति संलग्न है।
3- यह कि प्रार्थी द्वारा यह मुकदमा थाना बुढ़ाना में दर्ज कराया गया था जो कि थाना बिनौली जनपद बागपत को स्थानांतरित कर दिया गया। सबूत को मिटाने के उद्देश्य से अभियुक्तों ने लाश को दफनवाया था। इंसाफ के लिए आवश्यक है कि कब्र को खुदवाकर लाश का पोस्टमार्टम किया जाए।
4- यह कि थाना बागपत पुलिस अभियुक्तों का साथ दे रही है और निष्पक्ष विवेचना नहीं कर रही है। आमिर की सांप्रदायिक दुर्भावना से हत्या की गई है। निष्पक्ष विवेचना के लिए आवश्यक है कि विवेचना राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष विवेचना सेल द्वारा कराई जाए। यहां यह उल्लेख किया जाना आवश्यक है कि कुछ सामाजिक संगठनों ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष निष्पक्ष जांच हेतु जनहित याचिकाएं दाखिल कर रखीं हैं। इनमें से एक याचिका सिटिजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस द्वारा दाखिल की गई है जिसका नंबर 170/13 है। यदि श्रीमान जी द्वारा उचित कायवाई नहीं की गई तो मजबूरन प्रार्थीगण को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करनी पड़ेगी।
प्रार्थी- दिनांक- 17 अक्टूबर 2013
रइसुद्दीन पुत्र उमरदीन
निवासी ग्राम अन्छाड़ (रन्छाड़) अन्तर्गत थाना बिनौली
जनपद बागपत
वर्तमान पता- अब्दुल सत्तार पुत्र असगर अली
ग्राम- जौला, थाना- बुढ़ाना जनपद मुजफ्फर नगर
(2)
सेवा में,
थाना प्रभारी बुढ़ाना
जनपद मुजफ्फर नगर
महोदय,
निवेदन करना है कि प्रार्थीगण ग्राम अन्छाण थाना बिनौली जनपद बागपत के निवासी हैं। जो वर्तमान में ग्राम जौला थाना बुढ़ाना के शरणार्थी कैंप में दिनांक 30 सितंबर 2013 से रह रहे हैं। दिनांक 8 सितंबर 2013 को सांप्रदायिक दंगा होने के कारण प्रार्थीगण अपना गांव छोड़कर समीपवर्ती ग्राम शेखपुरा में रहने चले आए थे। प्रार्थीगण के साथ प्रार्थी नंबर 1 व 2 का पुत्र जो कि प्रार्थी नंबर 3 का पति था जिसका नाम आमिर खान था, भी साथ था। इसके प्रार्थी नंबर 1 व 2 का छोटा बेटा फिरोज भी साथ था। शेखपुरा में प्रार्थीगण अपने दामाद खालिद पुत्र इस्लाम के घर मे रह रहे थे। 12 सितंबर की सुबह 11 बजे प्रार्थीगण से मशवरा करके आमिर साइकिल से घर की चाभी लेकर अन्छाड़ गांव चला गया कि हालात का जायजा ले लिया जाए कि अगर गांव का माहौल ठीक हो तो पूरे परिवार को वापस ले जाया जाए। जब आमिर शेखपुरा से चला था तो खालिद, इस्लाम, इदरीश सहित कई लोग मौजूद थे। जब शाम को 4 बजे प्रार्थी रईसुद्दीन ने अपने मोबाइल नंबर 8979502370 से आमिर के मोबाइल नंबर 8979347069 पर कई फोन किए और जब उसका कोई जवाब नहीं मिला तब प्रार्थीगण को किसी अनहोनी की आशंका हुई और प्रार्थीगण शेखपुरा से अंछाड़ बस व टेम्पू से पहुंचे तो देखा कि घर के बाहर ताला लगा था। साढ़े 5 व 6 के बीच का वक्त हो रहा था। गली की तरफ से छोटी दीवार कूदकर घर के अंदर आए तो देखा कि आमिर कमरे की छत की कड़ी में लटके लोहे की तार से बंधी रस्सी जो कि चारपाई की ओदवायिन थी, से गर्दन बंधा लटका हुआ था। आमिर के पैर फर्श स लगभग दो-तीन इंच ही ऊपर थे। फर्श के छत की ऊंचाई लगभग 8 फुट है। जबान मुंह के अंदर थी, आंख बंद थी, नाक-कान-मुंह कहीं से भी खून नहीं निकल रहा था। ना ही उसके कपड़े पर कहीं खून लगा था। प्रार्थीगण ने हल्ला मचाया तो पड़ोसी पिन्टू और उसका पिता धर्मवीर, जगपाल और उसका पिता धारा, विनोद पुत्र छोटन, नीटू और उसका पिता किरसन, सतवीर और उसका पिता महावीरा, तरसपाल पुत्र लाल सिंह, कौटिल और उसके पिता विक्रम, संजीव और उसके पिता जगबीरा समेत और कई लोग आ गए और प्रधान समरपाल को इन्हीं लोगों ने बुलवा लिया। संजीव, जगबीरा प्रार्थीगण से कहने लगे कि तुम कटुवे लोग इतनी जल्दी गांव कैसे आ गए और कहने लगे कि आमिर ने अस्सी हजार रुपए हमसे कर्ज लिए थे। उसे दिए बगैर तुम लोग नहीं जा सकते, वर्ना काट दिए जाओगे। इस पर प्रार्थीगण ने कहा कि आमिर ने कोई रुपया नहीं लिया है और न ही उसे कोई जरुरत थी। इस पर संजीव और जगबीरा और उनके तीन-चार साथी प्रार्थीगण को मारने पीटने लगे। प्रार्थीगण ने कहा कि तुम ही लोगों ने आमिर को मार दिया है। प्रधान समरपाल ने उपस्थित लोगों से कहा कि इसको दफनवा दो तथा प्रार्थीगण से कहा कि तुम लोग किसी को भी यही बताना कि आमिर बीमारी से मर गया है और संजीव और जगबीरा के अस्सी हजार रुपए अदा करो। इन्हीं लोगों ने जबरन आमिर की लाश को कब्रिस्तान में दफनवा दिया। कोई धार्मिक रस्म भी अदा नहीं करने दी। संजीव और जगबीरा ने प्रधान की मौजूदगी मे कहा कि पंचायत का फैसला है कि जब तक तुम अस्सी हजार रुपए संजीव और जगबीरा को नहीं दोगे तब तक तुम सभी हमारे जानवरों का गोबर उठाओगे। इन्हीं लोगों के बुलाने पर पुलिस आई और ग्राम प्रधान, संजीव व जगबीरा व उपरोक्त लोगों ने कहा कि आमिर बीमारी से मर गया है। प्रार्थीगण ने दरोगा जी से कहा कि आमिर को फांसी लगाकर मारा गया है और पोस्टमार्टम कराओ। परन्तु ग्राम प्रधान और मौजूद लोगों के दबाव में पुलिस ने हमारी कोई भी बात नहीं मानी और कागजों पर जबरन प्रार्थीगण के अंगूठे व दस्तखत लगवा लिए। प्रार्थीगण के रोने चिल्लाने के बावजूद दरोगा प्रार्थीगण को गांव में ही छोड़कर चले गए। प्रधान समरपाल जाटों से कह रहा था कि हमारी ऊपर बात हो गई है। तुम लोग मत घबराओ और इन तीनों कटुवों को इनके घर में बंद रखो और पहरा दो और इनको निकलने न दो। आमिर का मोबाइल प्रार्थीगण को मौके से मिला था। 12 सितंबर की शाम से लेकर 30 सितंबर 2013 तक प्रार्थीगण गांव में ही बंधक बने रहे। प्रार्थीगण ने फोन पर अपने रिस्तेदारों से पैसों का इंतजाम करने को कहा। आमिर के ससुर नूरदीन और प्रार्थी न 1 व 2 के दमाद खालिद व समधी इस्लाम को टेलीफोन पर पैसों का इंतजाम करने को कहा। जिसकी व्यवस्था इन लोगों ने इरफान पुत्र उमेद अली, निवासी जौला से अस्सी हजार रुपया लिया। इसके बाद यह रुपया 30 सितंबर 2013 को संजीव और जगबीरा को दिया गया। तब प्रार्थीगण दिनांक 30 सितंबर 2013 की शाम को अपने गांव से निकलकर ग्राम जौला थाना बुढ़ाना पहुंचे। प्रार्थीगण के रिस्तेदारों ने पुलिस को इसलिए नहीं बताया था कि क्यों कि जनपद बागपत की पुलिस पर से विश्वास उठ गया था जो कि हत्या के मामले को बीमारी से हुई मौत का मामला बनाकर अभियुक्तों का साथ दे रही थी व सबूत मिटवा रही थी और प्रार्थीगण की गुहार के बावजूद प्रार्थीगण को गांव में ही छोड़कर चली आई थी जिससे प्रार्थीगण की हत्या का खतरा भी हो गया था। लाश को कब्र से खोदवाने और पोस्टमार्टम कराएं और हमारी रिपोर्ट दर्ज करवाने की कृपा करें। आमिर की हत्या सांप्रदायिकता के कारण की गई हत्या है।
दिनांक- 1/10/2013
प्रार्थीगण-
1- रइसुद्दीन पुत्र उमरदीन
2- नसीमा पत्नी रइसुद्दीन
3- गुलिस्ता पत्नी आमिर मरहूम
निवासी ग्राम अन्छाड़ (रन्छाड़) अन्तर्गत थाना बिनौली
जनपद बागपत
वर्तमान पता- अब्दुल सत्तार पुत्र असगर अली
ग्राम- जौला, थाना- बुढ़ाना जनपद मुजफ्फर नगर
तहरीर कर्ता-
शाहनवाज आलम
प्रवक्ता रिहाई मंच
110/60 हरिनाथ बनर्जी स्ट्रीट, नया गांव ईस्ट लाटूश रोड लखनऊ
नोट- मैं हसनैन अली प्रमाणित करता हूं कि नकल तहरीर चिक हाजा पर शब्द ब शब्द अंकित किया है। मूल तहरीर संलग्न एफआईआर है।
द्वारा 315 हसनैन अली पीएस बुढ़ाना मुजफ्फर नगर।


