‘दंगों में खून की बारिश हो, तो वोटों की फसल अच्छी होती है!’
‘दंगों में खून की बारिश हो, तो वोटों की फसल अच्छी होती है!’
साम्प्रदायिक फासीवाद मुर्दाबाद! मेहनतकश की एकजुटता जिन्दाबाद!!
दंगों की आग में चुनावी रोटियाँ सेंकने की तैयारी!
मेहनतकश साथियो ! इंसानियत के इन दुश्मनों को पहचानो !!
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दंगों में 50 से ज्यादा बेगुनाह लोगों की मौत हो चुकी है, करीब 40 हजार से ज्यादा बेघर लोग शरणार्थी कैम्पों में रह रहे है। अभी भी मुजफ्रपफरनगर, मेरठ से लेकर बागपत तक कट्टरपंथी नेता साम्प्रदायिक भाषण देकर दंगे भड़काने की कोशिशों में लगे हुये हैं। तमाम रिपोर्टों में अब यह बात सामने आ चुकी है कि साम्प्रदायिक फासीवादियों ने नकली वीडियो दिखाकर और अफवाहें फैलाकर साम्प्रदायिक दंगों की शुरूआत की। इस साजि़श में वे लम्बे समय से लगे हुये थे। केन्द्र और राज्य सरकारें दंगों को रोकने में नाकाम रहीं! वास्तव में, सरकार का मक़सद दंगाइयों को रोकना था ही नहीं! वे भी जानते हैं कि चुनावों के पहले ‘दंगों में खून की बारिश हो, तो वोटों की फसल अच्छी होती है!’ दंगों में हुयी खूनी हिंसा से सड़के पट गयी। हमेशा की तरह मेहनतकश जनता का ही क़त्लेआम और विस्थापन हुआ।
ऐसे में हम मेहनतकश साथियों और आम नागरिकों से पूछते हैं कि तमाम साम्प्रदायिक फासीवादियों के भड़काऊ बयानों से अपने ख़ून में उबाल लाने से पहले ख़ुद से पूछियेः क्या ऐसे दंगों में कभी तोगड़िया, ओवैसी, आज़म खाँ, राज ठाकरे, आडवाणी या मोदी जैसे लोग मरते हैं? क्या कभी उनके घर के बच्चों का क़त्ल होता है? नहीं साथियों! इसमें हम मरते हैं, हमारे लोगों की बेनाम लाशें सड़कों पर पड़ी ध्ू-ध्ू जलतीं हैं। सारे के सारे धर्मिक कट्टरपन्थी तो भड़काऊ बयान देकर अपनी जे़ड श्रेणी की सुरक्षा, पुलिसवालों और गाड़ियों के रेले के साथ अपने महलों में वापस लौट जाते हैं। और हम उनके झाँसे में आकर अपने ही वर्ग भाइयों से लड़ते हैं।
मुजफ्फरनगर में 27 अगस्त को हुयी घटना के बाद बड़े स्तर पर इलाके में दंगे फैलाने में मुख्यतः चुनावी पार्टियों का ही हाथ है। सपा की अखिलेश सरकार जहाँ एक समुदाय का हितैषी बन अपने वोट बैंक को सुरक्षित कर रही है, वहीं भाजपा, संघ परिवार धर्मिक उन्माद फैलाकर देश स्तर पर साम्प्रदायिक माहौल तैयार कर रह है। भाजपा और भगवा ब्रिगेड नरेन्द्र मोदी के फासीवादी उग्र हिन्दुत्व की रणनीति पर अमल कर पिफर से सत्ता की मलाई चखने का मंसूबा बाँधे हुये है। भगवा गिरोह समझ चुका है कि अगले लोकसभा चुनाव में 80 सांसदों वाले उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक बँटवारा करके ही वह केन्द्र की सत्ता तक पहुँच सकता है। यही कारण है कि पिछले दो-तीन वर्षों में यू.पी. के कई शहरों में साम्प्रदायिक दंगे भड़काने की भरपूर कोशिश की गयी, जैसे कि बरेली, फैजाबाद, गोरखपुर और हाल ही में अयोध्या में की गई 84 कोसी यात्रा। वहीं कांग्रेस ने भी नरम हिन्दुत्व कार्ड खेलने के साथ ही मुसलमानों को भरमाने का खेल शुरू कर दिया हैं। कांग्रेस चालाकी के साथ धर्मनिरपेक्षता की बातें करते हुये, कभी हिन्दुओं को रिझाने के लिये कुछ कदम उठाती है, और ज़रूरत पड़ने पर अपने आपको साम्प्रदायिक फासीवाद का एकमात्र विकल्प के रूप में पेश करती है।
भाजपा के हिन्दुत्ववादी एजेण्डे को बढ़ाने में हमेशा की तरह हिन्दू कट्टरपंथी ताक़तें बल दे रही हैं, साथ ही मुस्लिम कट्टरपन्थी ताकतें भी इसमें पूरी मदद कर रही हैं। क्योंकि वास्तव मे जब भी साम्प्रदायिक फासीवाद पनपता है, तो उससे केवल बहुसंख्यवादी हिन्दुत्व फासीवादी को ही नहीं, बल्कि अल्पसंख्यक इस्लामी कट्टरपंथी को भी खाद-पानी मिलता है। ये सारे कठमुल्ले जानते हैं अगर हिन्दू और मुसलमान ग़रीब जनता रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा और बेहतर सुविधओं के लिये वर्गीय आधर पर एकजुट और गोलबन्द होने लगी तो हिन्दुत्वादी कट्टरपन्थियों के साथ-साथ मुस्लिम कट्टरपन्थियों की दुकानें भी तो बन्द हो जायेंगी। इसलिये देश में कट्टरपंथी ताकतें आम जनता को धर्मिक, जातिगत, क्षेत्रागत या भाषागत तौर पर बाँटकर पूँजीवादी व्यवस्था के खिलापफ चलने वाले संघर्ष की धर को कुन्द करने का काम करती है। ऐसे में सभी चुनावबाज़ पार्टियों के पास ‘बाँटो और राज करो’ के अलावा चुनाव जीतने का और कोई हथकण्डा नहीं बचता।
साथियों ऐसे अन्धकार दौर में शहीदों के विचार हमें रास्ता बता रहे हैं कि नौजवानों को धर्मिक कट्टरपन्थी ताकतों का मुकाबला कैसे करना होगा। शहीदे आज़म भगतसिंह ने कहा था कि लोगों को परस्पर लड़ने से रोकने के लिये वर्ग-चेतना की जरूरत है। गरीब मेहनतकश व किसानों को स्पष्ट समझा देना चाहिए कि तुम्हारे असली दुश्मन पूँजीपति हैं, इसलिये तुम्हें इनके हथकण्डों से बचकर रहना चाहिए और इनके हत्थे चढ़ कुछ न करना चाहिए। संसार के ग़रीबों के चाहे वे किसी भी जाति, रंग, धर्म या राष्ट्र के हो उनके अध्किार एक ही हैं। तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम रंग, धर्म व राष्ट्र के भेद भुलाकर एक हो जाओ और सरकार की ताक़त अपने हाथ में लेने का यत्न करो।य् साथियो! हमें बँटवारे इस साजि़श के खि़लाफ़ अभी से आवाज़ बुलन्द करनी होगी क्योंकि सिर्फ आम मेहनतकश जनता की फौलादी एकजुटता ही इन कट्टरपंथी ताक़तों के मंसूबों को चकनाचूर कर सकती है।
जाति-धर्म के झगड़े छोड़ो! - सही लड़ाई से नाता जोड़ो !!
क्रान्तिकारी अभिवादन सहित
ऽ नौजवान भारत सभा ऽ दिशा छात्र संगठन ऽ बिगुल मज़दूर दस्ता
सम्पर्क-011-64623928, 9540436262, 9873358124. [email protected]


