दलित परिवार को जिन्दा जलाना नागपुरी हिन्दुत्व का असर #DalitKillings
दलित परिवार को जिन्दा जलाना नागपुरी हिन्दुत्व का असर #DalitKillings
हरियाणा में फरीदाबाद के सनपेड गांव के एक दलित परिवार पर दबंगई का कहर टूट पड़ा। बदमाशों ने मंगलवार तड़के पेट्रोल छिड़ककर पूरे दलित परिवार को आग के हवाले कर दिया। इस घटना में कच्चे मकान में सो रहे दो मासूम बच्चों की मौत हो गई और उनके माता-पिता गंभीर रूप से झुलस गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह परिवार अपने घर में सो रहा था, तभी कुछ लोगों ने उनके मकान में पेट्रोल डाल कर आग लगा दी। घटना में नौ महीने के एक बच्चे और उसकी ढाई साल की बहन की मौत हो गई। गंभीर रूप से झुलसे उनके माता- पिता को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हरियाणा के फरीदाबाद में चार दलितों के उपर पेट्रोल डालकर जलाने की घटना कोई आश्चर्यपूर्ण बात नहीं है। यह तो होना ही है नागपुरी हिन्दुत्व की विषाक्त विचारधारा ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ जो वातावरण तैयार किया, उसका प्रभाव समाज में असर दिखाने लगा है।
हिन्दुत्व की विचारधारा के अनुसार दलित सेवा करने के लिए हैं और वे सेवा के अलावा कोई कार्य नहीं कर सकते हैं। भारतीय समाज में जाति व्यवस्था के अनुसार वह मंदिर में प्रवेश करने के अधिकारी नहीं हैं, लेकिन समाज सुधारकों के प्रयासों से उन्हें मंदिर में प्रवेश करने का थोड़ा अधिकार मिला तो वह सबसे बड़े हिन्दू हो गए। फिर क्या था संघियों ने उन्हें अपना निशाना बनाकर उग्र हिन्दुत्व में बदल दिया और मुस्लिम विरोध का झंडा भी पकड़ा कर देश में दंगों की अगुवाई कराई, लेकिन जब हिन्दुत्व मजबूत हुआ तो जातीय व्यवस्था की सिरमौर जातियों की बांछें खिल गईं और उन्होंने पुरानी व्यवस्था लागू करना शुरू कर दिया।
जातीय उच्चता ने विभिन्न जगहों पर जाति के नाम पर दलितों को मारना पीटना आरम्भ कर दिया। अधिकांश दलित नेता भाजपा की ओर से एम.पी. - एम.एल.ए. हैं, वह कुछ बोलने की स्थिति में नहीं होता है। हरियाणा में बहुत जगहों पर दलितों पर अत्याचार, जैसे- दलित बस्तियों में आग लगाना, पिटाई करना व बलात्कार आम बात हो गई। भा ज पा शासित प्रदेशो में वोट लेने के वक्त दलित हिन्दू हो जाता है, बाद में उसे मनुस्मृति के हिसाब से जीना होता है।
सवर्ण मानसिकता कट्टर हिन्दुत्व से ही पैदा होती है। उन विचारो का वाहक संघ है, वह देश को एक ऐसे देश में बदलना चाहती है, जहाँ सवर्ण जातियों की सेवक अन्य जातियां हों। यह सब ऐसे कदम हैं, जो विनाशकारी हैं। हिटलर का युग वापस लेने वाले लोगों के यह मंसूबे पूरे नहीं होने वाले हैं, लेकिन कष्ट तो देंगे ही।
भारतीय संविधान व कानून न मानने वालों को अब देशद्रोही नहीं कहा जाता है। नई राष्ट्र भक्ति की परिभाषा के अनुसार देश्द्रोहिता करो-संविधान कानून न मानो, उलटे राष्ट्र भक्ति के गीत गुनगुनाओ तभी आप संघी राष्ट्रवादी होंगे।
- रणधीर सिंह सुमन


