दागियों को कैबिनेट में शामिल न करें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री- सर्वोच्च न्यायालय
दागियों को कैबिनेट में शामिल न करें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री- सर्वोच्च न्यायालय

Prime Minister and Chief Minister should not include the tainted in the cabinet- Supreme Court
नई दिल्ली। दागियों के मंत्री बनने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को नसीहत दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दागियों को कैबिनेट में शामिल न करें। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने दागी मंत्री की नियुक्ति को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि किसी को मंत्री बनाना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है। हम इस सम्बंध में कोई निर्देश नहीं जारी कर सकते।
देश के पांच वरिष्ठ न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, 'किसी की नियुक्ति को खारिज नहीं किया जा सकता है। हालाकि प्रधानमंत्री से यह उम्मीद की जाती है कि वह किसी दागी शख्स को अपने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करेंगे।' सर्वोच्च न्यायालय की यह नसीहत 2004 की एक अर्जी पर सुनवाई के दौरान आई।
याचिकाकर्ता मनोज नरूला ने एक जनहित याचिका दाखिल कर केंद्रीय मंत्रिमंडल से आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मंत्रियों को हटाने की माँग की थी, जिसे 2004 में अदालत ने खारिज कर दिया था। लेकिन याचिकाकर्ता की तरफ से पुनर्विचार याचिका दायर करने पर शीर्ष अदालत ने मामले को संवैधानिक पीठ को भेज दिया था।
इस याचिका में तत्कालीन संप्रग सरकार के मंत्री लालू प्रसाद यादव, मोहम्मद तसलीमुद्दीन, फातमी और जय प्रकाश यादव को हटाने की माँग की गई थी। पहले तो इस अर्जी को खारिज कर दिया गया।
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा था कि किसी भी मंत्री को उसके पद से हटाना संसद के संवैधानिक विशेषाधिकार में आता है। किसी भी सांसद को मंत्री बनाने का फैसला प्रधानमंत्री के पास होता है।
मोदी सरकार के 14 दागी मंत्री
खबरों में कहा गया है कि मौजूदा राजग सरकार में 14 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। जल संसाधन मंत्री उमा भारती के खिलाफ कुल 13 केस हैं, जिनमें 6 मामले दंगों से संबंधित हैं। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ भी चार मामले दर्ज हैं।
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