दिल्ली के वार्ताकार श्रीनगर में IB के चैम्बर में कैद होकर रह गये, मोदी सरकार ने दिनेश्वर शर्मा को बलि का बकरा बनाया
दिल्ली के वार्ताकार श्रीनगर में IB के चैम्बर में कैद होकर रह गये, मोदी सरकार ने दिनेश्वर शर्मा को बलि का बकरा बनाया
दिल्ली के वार्ताकार श्रीनगर में आईबी के चैम्बर में कैद होकर रह गये
मोदी सरकार ने दिनेश्वर शर्मा को बलि का बकरा बनाया
नई दिल्ली। नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक प्रो.भीमसिंह ने भाजपा सरकार के वार्ताकार से उनके जम्मू-कश्मीर के खुफिया मिशन के संबंध में सवाल किया। उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो के सेवानिवृत्त डायरेक्टर और वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा से कश्मीर में उनकी बातचीत के संबंध में मालूम किया, जिसे वे तथाकथित अलगाववादियों से शांति और पाएदार बातचीत बता रहे हैं।
पैंथर्स सुप्रीमो ने मोदी के प्रतिनिधि से कहा कि वे कश्मीर से कन्याकुमारी तक लोगों को बताएं कि क्या प्रधानमंत्री ने अपने विशेष मिशनरी को देश के किसी कोने में अलगाववादियों से बातचीत के लिए भेजा है या फिर अलगाववादी शाही व्यवहार या भारतीय दंड संहिता कानून के अनुसार जेल के हकदार हैं। यद्यपि भारत दंड संहिता और भारतीय संविधान का जम्मू-कश्मीर में रहने वाले भारतीयों पर लागू नहीं होता। यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर भेजे गए पांचवें वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा दुर्भाग्य से जम्मू-कश्मीर के भौगोलिक और राजनीतिक फ्रेमवर्क को नहीं समझ सके।
प्रो.भीमसिंह ने श्री शर्मा से, जिनका फोकस जम्मू-कश्मीर में युवा पर है, कि क्या वे जम्मू-कश्मीर के हजारों नाबालिग किशोरों की स्थिति को समझते हैं? क्या वे जानते हैं कि इनमें से कितने ही कश्मीर की जेलों में सड़ रहे हैं? क्या उन्हें पता है कि जम्मू-कश्मीर में रहने वाले भारतीय नागरिकों को मौलिक अधिकार प्राप्त नहीं हैं?
उन्होंने श्री शर्मा के कश्मीर की स्थिति के लिए कुछ वीडियो चैनलों पर आरोप लगाने पर आश्चर्य प्रकट किया।
प्रो.भीमसिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने श्री शर्मा को बलि का बकरा बनाया है, क्योंकि श्री मोदी के लिए मिशन गुजरात ज्यादा महत्वपूर्ण है न कि जम्मू-कश्मीर में मिशन भारत।
उन्होंने श्री शर्मा को नई दिल्ली वापस आने और जम्मू-कश्मीर की स्थिति को समझने का सुझाव दिया, जिसे श्री नेहरू, श्रीमती इंदिरा जी और इस समय डा. कर्णसिंह समझते हैं। उन्होंने कहा कि क्या आरएसएस के प्रधानमंत्री अपनी पार्टी को बताएंगे कि इससे पहले के चार वार्ताकारों ने पिछले 70 वर्षों में जम्मू-कश्मीर के संबंध में क्या किया?


