दिल्ली चुनाव निपटने का इंतजार है, फिर समझो कयामत वसंत बहार है।
देहलिया त रिफ्यूजी कालोनी रहिस बै चैतू। सगरे देश विदेश के तमामो रिफ्यूजी खून पसीना बहायौ अपनी जड़ों से बेदखली उपरांते। अनंनतर शांतता, रिफार्म चालू आहे। फर्स्ट क्लास चुनाव सुपर फर्स्ट क्लास डिजिटल सिटिजन वास्ते चकाचक स्मार्टसिटी ह।
दिल्ली में बीजेपी हारी तो मार्केट में आएगी गिरावट !!!
आईपीएल का खेल हो गइलन के चियरिनै नइखै पण बजट मा थ्री चीयर्स फार इंवेस्टर्स। सुधारो वइसन के वोडाफोन मुक्त। वाईफाई वइसन के फोर जी कारोबार चोखा।
राजनीति मीडिया मा जो चीयर चियारिनै बा, उनर जलवा दैखे बै चैतू।
डिफेंस मा शतप्रतिशत एफडीआई के घोटाला बंद, डीविंग वैध। परमाणु होईके औद्योगिक विदेशी कंपनी खातिर सबै छूट बा, हमार तुहार पैसा जो बीमा कंपनी मा बाड़न, उमा से कीड़े मकोड़ों खातिरे अंतिम संस्कार वैदिकी रीते से संभव होइखे।
राजनीति मीडिया मा जो चीयर चियारिनै बा, उनर जलवा दैखे बै चैतू।
चीयर चियारिनों के जलवे से, मैजिक से, जंत्र मंत्र तंत्र आयुर्वेद से भटक गयो मन त आश्रम मा पहुंच जाई फिन आगवाड़ा पछवाड़ा मुक्त हो, देहमुक्त हो आउर सीधे स्वर्गवासी, ई इंतजाम ह।
बूझ सकै तो बूझ बै वोटर चैतू क कोई न बाप तुहार कोई ना महतारी तुहार तू ससरुरा बलिप्रदत्त बकरा बकरी वानी, गरदन पर तलवार चमकै चमचमाचम ह।
वौटवा गिरल चाहि, जनादेश चाहि लैंड स्लाइड के सुनामी हिंदुत्व मांझा कि म्हारा देश कत्ल गाह हुआ जाये आउर चाक हो जाई हमार तुहार गर्दनवा।
बूझ सकै तो बूझ बै वोटर चैतू, नसमझलि ह तो तू जां वोट गिराइब त तुहार चौतरफा सत्यानाश खातिर चौकस इंतजाम करिकै दिल्ली मा बइठलन कार्पोरेट मैनेजर सगरे कारपोरेट राजनेते निती सगरे।
यहीच राजकरण आहे। राजकाज आहे।
बाजार की दिन की जोरदार तेजी खत्म हो गई है। सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान में नजर आ रहे हैं।
तीसे हजार पार करत करत शेयर धमाधम गिर रहल बा।
उनर सफाई ह कि सांढौ उछल कूद करे करै थकल वानी सो मुनाफा वसूली चाली वाहे।
सारा कार्यक्रम बेदखली खातिर चलल रहि के सगरा कानून बिगड़ दिहल चाहि।
ओबामा खातिर कंक्रीट डिजिटल देश बनावक चाहि।
सारा बाजार शापिंग माल चाहि।
सारी जमीन सेज चाहि।
रुपै का कारोबार बंद किलै चाहि के डालर की चांदी चाहि।
गार खतम हो घइल।
कास्टम मा छूचैछूट।
आयात निर्यात मा छूटे छूट।
परमानेंट टैक्स फारगन बंदोबस्त चाहि।
सौ निजी कंपनी पेमेंट लाइसेंस धर लीन्हो के एसबीआई नेटवर्कवा टूटल चाहि।
पूंजी सरकारी बैंकी की विनिवेश निजीकरण मा खपायै चाहि।
जेएसटी चाहि।
राज्यों को उपनिवेश मा तब्दील करना चाहि।
योजना आयोग नीति आयोग बना दिहिस के राज्यों का हिस्सा सगरा सरासर गबन ह जइसन मर्जी वइसन आपनों अपनों को रेवड़ी बांटेके चाहि।
कोलइंडिया स्टेकवा मा चालीस फीसद शेयर एलआईसी धर लिहिस।
बाकीर एफडीआई मस्त बा।
फ्री फ्लो विदेशी पूंजी, कालाधन साइकलवा दनादन ह के प्रीमियम का कहि, बैंकवा मा जमा पूंजी भी जोखम मा फंस गइल के शेयर बाजार मा पीएफ पेंसन ग्रेच्युटी धंसा दिहिस फिन पीएफवा गैरजरुरी बा।
जेतना चाहे ओएक्सल मा बेचे दिबो।
जो खरीद सकै तो खरीद लें बाकी जनता दस दस बच्चा पैदा करै के गुलामों की संख्या कम पड़लन।
रहिस, कोई काला चोर उ सगरा स्वर्ण लंका मा आगे लगा दी।
स्वदेशी के गुरुघंटाल नानाजी देशमुख, अर्थ विशेषज्ञ गुरुमूर्ति जइसन के विचार कारपोरेटखात में जमा होई गइलन।
शाही अश्वमेध के घोड़े खुरों पर तलवार बांधली हो।
सांढ़ों के सींग धारदार खूबै, उछल उछलकर लहूलुहान करै देश और शाहसवार कल्कि अवतार सगरे देश बेचकर गुजरात बना रहलन सगरा देश।
दिल्ली वाटरलू मा ई जोड़ी डीत गइलन त बजट बमबारी है फिन एटमिक रेडियोशन से मोर बाप हम सगरे भोपाल गैस त्रासदी होजाइब या फिर जो अकाली सिखों का बैंड बाजा बजा बजा सिखी को हिंदुत्व का चोखा चचख बनावन का खेल करी सत्ता की हड्डियां चूस रहलन, उ सच सच दसने से रहे कि सिख हिंदू हुए बीना जी नहीं सकते और आपरेशन ब्लू स्टार अब भी जारी है।
राजपथ पर जिंदा जलते रहने, खाड़कू बताकर बेगुलनाह का कत्लेआम के बावजूद जो केसरिया सिख हैं, उनकी रब मनाये खैर और बाबरी विध्वंस, घर घर दंगा, घर बेघर हर गली मोहल्ला फिर वाइब्रेंट गुजरात ह।
पिछले बजट से बचा है अस्सी हजार करोड़ जो टुकड़ा फेंकने काम आयी। वो अस्सी हजारो ह के अस्सी लाख करोड़, बताना भी मुश्किल है।
दस लाखो का सूट पहिनकर जो ओबामा संग पींग लड़ा रहलन, उकर झूला अबकी वसंत बहार कयामत होई जाब बै चैतू।
रुपै विकासदर का बेस ईयर घटाकर झट से सात तक पहुंचा दिहिस।
तेल कीमते दुनियाभर में घट गइल, हमार वास्ते कैश सब्सिडी आधार कार्ड रहि गइल।
खेती चौपट.कृषि विकास दर गिरल, औद्योगिक उत्पादन गिरल, मैनुफैक्चरिंग गिरल पण विकास दर सात फीसद।
वइसन जइसन हम तुम भिखाऱी हो गइलन, खाना नइखै, रोजगार नइखे, सरो पर छत नइखै, शिक्षा नइखे, चिकित्सा नइखै, झा चकाचक स्मार्ट शहर मा गांव देहात के कत्ल के खूनवा का नामोनिशां नइखै, पण गरीबी उन्मूलन हो गइलन।
समाजवाद आ गइलन।
हिंदी हिंदुस्तान हिंदी बाड़न हमनी देश बेच खायकै।
गोरखो पांड झूठो हल्ला करै रहिस के समाजवाद धीरे धीरै अइहै। ईसाई सिख बौद्ध मुसलमान यहूदी पारसी सबै हिंदू हो जाई तो समाजवाद आ गइल के वैदिकी हिंसा जायजे बा। गीता महोत्सव चालू आहे के मनुस्मृति बंदोबस्त मजबूत होइखै चाहि।
यहींच समाजवाद।
बाकी जनता जो बचि जाव नरसंहार निरंतर मध्ये, बिलियनर मिलियनर जो नइखै, सबै हैवनाट हो जाई तो ड्रिकलिंग ट्रिकलिंग ग्रोथ धकाधक होवै, धक से आ जाई समाजवाद।
जो गुलामो हो जाई जनता सारी फिन अमेरिकी राज हो, अमेरिकी डालर हो, समाजवादी हिंदुत्व समरस हो जाइब।
महाभारत देहलिवा मतबल यहीच एकच।
मंहगाई जीरो बतावत है।
160 डालर का तेल पचास डालर नइखे, त बाजार मा आधो कीमत पर मिलल चाहि चीजें, सो सब्जियां सस्ती मिलल कि ना मिलल, अनाजो मंहगा है। खाने क तेल मा तो हम खुदै फ्राई हो रहल वानी।
माथे मा जो गड़बड़झाला ह, उकर खातिर तरह तरह मसामावन गोरा बनाने का कलाकौशल हुई गइलन त इलाज वास्ते बाबा का चूर्ण, पुत्र बीज बेटिया बचाओ साथ, फिन आयुर्वेद ह आम आदमी खातिर बाकीर अस्पताल आम जनता खातिर नईखे।
फीस बुलंद ह, सिलेबस हिंदुत्व बा, जमीन जायदाद बिक जाई, बच्चा लोगवन खातिर एजुकेशन नइखे। एजुकेशन मिलल तो ससुर लाख कोरड की नौकरियां जो उनर बच्चा लोगन को मिलल रहल वानी, हमार बच्चों खातिर चार साल तक बंधुआ मजदूरी कानून निषेध बा बाकी समझ लिजो मिड डे मिलल, उकर खिचड़ी खायकै मजबूत मजदूर बंधुआ बनै हमार पूत मुलगा मुलगी डोकरा डोकरी और मनरेगा जख्मी जो ह सो ह।
कारोबारी लोग शुरु से संघ परिवार साथे है।
हिंदुत्व खातिर उनर कुर्बानी जुग जुग जी रौ।
गवर्नमेंट मिनिमम बा। बिजनैस फ्रेंडली बा। कोई शक नाही। सिंगल विंडा। पर्यावरण हरी झंडी। तुरंत जमीन अधिग्रहण। तुरंतएफडीआई। तुरंते टैक्स होली डे।
टैक्स फारगन।
डालर पौंड मा ट्रैंजेक्शन।
इंटरेंस्ट कट जबतब।
डिजिटल मतलब ई कि डाटाबैंकवा सेंट्रल एसी बा। बायोमैट्रिक हमार कुंडली बांचे लिन्हौ हम कठपुतली बा। हमार पैसा, हमार संपत्ति एको क्लिक से मुक्त बाजार मा निवेश बा। पीएफ डिजिटल के फटाक से अटाक आउर तुहार हमार पीएफवा बाजार मा। निवेश शर्त सापेक्ष बा बकीर इकानामी पोंजी बा के कैसिनो हो गइल देश या।
पण उ तमाम मंझौले कारोबारी, छोटन का का कहे दिवालिया बन रहल वानी के डिजिटल देश मा कारोबार अलीबाबा चालीस चोर हवाले है। ईटेलिंग ने जो बारह बजाये सो बजाये, अब खुदरा बाजार मा कोई माई बापमाई महतारी न टिक सकै ह।
बाकी देश मा या अमेरिकी परमाणु चूल्हा होय या फिन अमेरिकी कंपनियों का सेज या पिर डालर का कारोबर या फिर सगरा इंफ्रास्ट्रक्चर जो दरअसल कारपोरेट बिल्डर माफिया राडज जल जंगल जमीन आजीविका नागरिकता उजाड़ अभियान खेत खलिहान चौपट आउर जनपद जनपद कब्रिस्तान ह।
देहलिया त रिफ्यूजी कालोनी रहिस बै चैतू।
सगरे देश विदेश के तमामो रिफ्यूजी खून पसीना बहायौ अपनी जड़ों से बेदखली उपरांते। अनंनतर शांतता, रिफार्म चालू आहे। फर्स्ट क्लास चुनाव सुपर फर्स्ट क्लास डिजिटल सिटिजन वास्ते चकाचक स्मार्टसिटी ह।
हिंदी जनता खातिर कोईकंप्लीट प्राइवेटाइजेशन खातिर कंप्लीट ब्लैक आउट विद मनोरंजन के लिए कुछ भी करेंगा।
हमउ बटोर उटोर कर हिदी अंग्रेजी मा जो गोबर माटी पाथ परहल वानी तनिक उहा छान लै बै चैतू के बांचै लै खुदै सारा मैटर आउर ठोंक दनदन हर लिंक।
पीसी नइखै तो मोबाइलौ मा ठोंक।
के प्रिंटवा मा हमार दखल नइखे।
प्रिंट बेदखल बा।
टीवी बिलियनर मलियनर बा। हमउ नेट भरोसे बा।
सकबा त नेटवा मा बांच लै चैतू के अब टैम नइखै।
पलाश विश्वास