दीदी के अपराजेय किले पर सीबीआई हमला जारी तो त्रिपुरा के इकलौता वामकिले में भी भूकंप के झटके!
दीदी के अपराजेय किले पर सीबीआई हमला जारी तो त्रिपुरा के इकलौता वामकिले में भी भूकंप के झटके!
राजनीतिक नोटबंदी का राजनीतिक आशय आर्थिक तबाही का नरसंहार!
दीदी के अपराजेय किले पर सीबीआई हमला जारी तो त्रिपुरा के इकलौता वामकिले में भी भूकंप के झटके!
मुलायम अखिलेश में सुलह की कोशिशें नाकाम! पानी पर वार, पानी दुधार!
पलाश विश्वास
देश में अब स्त्रीकाल का कोई विकल्प नहीं है। माता सावित्री बाई फूले के जन्मदिन पर इस विकल्प पर खुले दिमाग से विचार करने की जरुरत है। स्त्री नेतृत्व के मौजूदा चेहरे अपनी साख खो रहे हैं, यह पितृसत्ता की मुक्तबाजारी जश्न है। बड़े पैमाने पर नये स्त्री नेतृत्व की सबसे ज्यादा जरुरत है और हम इस मुहिम में दिलोजान से जुड़े तो माता सावित्री बाई को यह सच्ची श्रद्धांजिल होगी पितृसत्ता तोड़कर।
कैशलैस इंडिया के डिजिटल लेनदेन की ताजा चेतावनी यहै हि मशहूर फिल्म स्टार करीना कपूर का आईटी एकाउंट हैक हो गया है।
बंगाल में दीदी के अपराजेय किले पर सीबीआई हमला जारी तो त्रिपुरा के इकलौता वामकिले में भी भूकंप के झटके हैं।
दो सांसदों की गिरप्तारी के बाद दीदी ने जवाबी गिरफ्तारी की धमकी दी है।
फासिज्म के राजकाज का राजनीतिक मोर्चा यूपी के यदुवंशी मूसलपर्व के बाद अब बंगाल, पूर्वी भारत का चिटफंड है। राहत कहां है?
इसी बीच राजनीतिक मोर्चे में सनसनी निरंकुश है। बलि समाजवादी पार्टी में सुलह की कोशिशें नाकाम हो गयी हैं! बाप बेटे मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के बीच बैठक रही बेनतीजा रही है। पानी पर लाठी का वार कुछ ऐसा हुआ है कि पानी अलग तो धार अलग, सभी बीच मंझधार।
रामगोपाल यादव ने भी खूब कहा है कि अब ना कोई सुलह, ना कोई समझौता होगा। फिलहाल मुलायम सिंह और शिवपाल यादव के बीच बैठक जारी है।
राजनीतिक विकल्प फासिज्म के राजकाज का शून्य बटा दो है। यह सबसे भयंकर कयामती फिजां है। लोकतंत्र का बेड़ा गर्क है। हर नागरिक कुंभकर्ण है।
यदुवंश का रामायण महाभारत मुगलाई किस्सा थमने के आसार नहीं हैं।
इस बीच समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल को लेकर दावेदारी भी जारी है। आज अखिलेश गुट की तरफ से रामगोपाल यादव ने साइकिल पर दावेदारी जताई। उन्होंने चुनाव आयोग से मुलाकात कर पार्टी का बहुमत साथ होने की बात कही। रामगोपाल यादव ने कहा कि असल समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव की है।
इससे पहले कल मुलायम सिंह और शिवपाल यादव चुनाव आयोग गए थे और दावा किया था कि साइकिल चुनाव चिन्ह उनका है। हालांकि अभी तक औपचारिक तौर पर समाजवादी पार्टी के बंटवारे का एलान नहीं हुआ है। हकीकत फिर भी यही है कि अखिलेशवादी और मुलायमवादी दो साफ खेमे पार्टी में बन चुके हैं।
भारत के रिजर्व बैंक, भारत के वित्तमंत्री और भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार को अंधेरे में रखकर संघ परिवार के बगुला छाप विशेषज्ञों की देखरेख में नोटबंदी का कसद कोई अर्थतंत्र में क्रांति का नहीं रही है, चक्रवर्ती महाराज की अधीनता से बाहर सूबों पर कब्जा करने का यह मास्टर प्लान है।
नोटबंदी से कालाधन नहीं निकला या पचास दिनों के बावजूद नकदी संकट से मौतों का सिलसिला जारी है या लोगों को पूरा वेतन पूरा पेंशन अभी भी नहीं मिल रहा है या अर्थव्यवस्था को भारी धक्का लगा है या देश मंदी, भुखमरी और बेरोजगारी की आपदाओं से घिरा है, इन सबका न मोदी और न संघ परिवार से कोई लेना देना नहीं है।
यूपी में हिंदुत्व पुनरूत्थान के बाद अब बंगाल का हिंदुत्वकरण नोटबंदी की ताजा फसल है।
मैं अर्थशास्त्री नहीं हूं। फिर भी रोज इस देश की अर्थव्यवस्था की धड़कनों को समझने की कोशिश में लगा रहता हूं क्योंकि इसी अर्थव्यवस्था में भारतीय जनता के जीवन मरण के बुनियादी सवालों के जबाव मिलते हैं और हम रोजाना उन्हीं सवालों के मुखातिब होते हैं।
मसलन मीडिया में बैंकों के कर्ज पर ब्याज दरें घटाने को नोटबंदी की उपलब्धि बतौर पेश किया जा रहा है। दावा है कि इससे आम उपभोक्ताओं को ईएमआई में बड़ी राहत मिलने वाली है। कारपोरेट लोन में अरबों खरबों ब्याज के मद में छूट की कोई खबर कहीं नहीं है।
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी की नव वर्ष की पूर्व संध्या पर दिए गए भाषण के बाद बैंकों द्वारा लैंडिग रेट्स यानी कर्ज पर ब्याज दरें घटा दी हैं। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने बेंचमार्क लैंङ्क्षडग रेट (एमसीएलआर) में 0.90 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की जो कि पहले 8.9 प्रतिशत थी। इसके बाद कई अन्य बैंकों ने अपने एमसीएलआर में कटौती का एलान किया।
मसलन रेलवे के निजीकरण की मुहिम तेज है।
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज कहा है कि रेलवे की बेहतरी के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बड़े कैपिटल इंफ्यूजन का भरोसा दिलाया है। इसी पर बात करते हुए रेलवे बोर्ड के पूर्व चेयरमैन विवेक सहाय ने कहा कि रेलवे में इंफ्रास्ट्रक्टर बढ़ाने के लिए निवेश की जरूरत है और उसमें काफी कदम उठाएं जा चुके है। लेकिन समस्या ये है कि फ्रेट ट्रैफिक (माल ढुलाई) में ग्रोथ नहीं आ रही है। बल्कि लक्ष्य से भी 45 मिलियन टन फ्रेट ट्रैफिक पिछे चल रहा है, तो इसको देखते हुए लगता है कि अर्निंग भी बजट से तो बहुत कम हो रही है। फ्रेट अर्निंग का ना बढ़ना सबसे ज्यादा चिंता का विषय है।
मसलन आरबीआई ने ई-वॉलेट पेटीएम को पेमेंट बैंक बनाने की औपचारिक मंजूरी दे दी है।
पेटीएम ने पिछले साल ही पेमेंट बैंक शुरू करने का एलान किया था। पेटीएम पेमेंट बैंक में ग्राहक का अकाउंट उसके पेटीएम वॉलेट से जुड़ा रहेगा जिसमें 14.5 फीसदी का इंटरेस्ट मिलेगा।
पेटीएम ने कहा है कि कंपनी का मकसद हर भारतीय को बैंक की सहूलियत देना और टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के दम पर बैंकिंग की दुनिया में अपनी पैठ बनाना है। पेटीएम पेमेंट बैंक में विजय शेखर शर्मा का 51 फीसदी हिस्सा होगा।
कैशलैस डिजिटल इंडिया में सर्विस टैक्स बैंक कमीशन वगैरह माफ करने की जो बात कही जा रही थी, उसकी मियाद भी अब पूरी हो गयी है। नकदी की हदबंदी की वजह से बार बार एटीएम से पैसे निकालने में भी फीस भरनी होगी और लाटरी में जो करोड़पति बनेंगे, उनके अलावा बाकी लोगों को हर डिजिटल लेनदेन की कीमतभी चुकानी होगी।
आधार पहचान से लेनदेन के जोखिम शेयर और म्युच्यल फंड जैसे होंगे। रिटर्न कुछ मिले या नही भी मिले, जोखिम विशुध उपभोक्तावादी है। यानी धोखाधड़ी इत्यादि से बचने के लिए सुरक्षा इंतजाम की कोई गारंटी मोबाइलनेटव्रक, नेट या आधार प्राधिकरण की तरफ से, रिजर्व बैंक की तरफ से या भारत सरकार की तरफ से बैंकों में लेनदेन की तरह नहीं है।
बराक ओबामा तो गये और दुनिया ट्रंप के हवाले हैं। विप्रो और इंफोसिस ने आने वाली सुनामी से आगाह करते हुए कर्मचारियों को भावुक होने से मना किया है। आउटसोर्सिंग में फर्क पड़ा तो बच्चों को कंप्यूटर की लाखों करोड़ों रपये की कमाई के लिए अंधे कुएं में धकेलने और उच्च शिक्षा, शोध और विशेषज्ञता से चीन से हजारों मील पिछड़ने का नतीजा समाने जो होगा, सो होगा, उत्पादन प्रणाली, कृषि और सराकारी क्षेत्र में रोजगार सृजन न होने का नतीजा अर्थव्यवस्था और आम जनता की सेहत के लिए भयानक होगा।
जाहिर है कि 46 लाख करोड़ का टैक्स छूट कारपोरेट कंपनियों को देने वाले कंपनी राज ने सरकारी बैंकों का इस्तेमाल देशी विदेशी कंपनियों को अरबों खरबों की कर्ज देने और माफ करने में किया है।
अर्थशास्त्री सुगत मार्जित ने आज आनंद बाजार पत्रिका के संपादकीय में दो टूक शब्दों में लिख दिया है कि अब बैंक हमारे खातों से हमारा सफेद धन बड़े कारोबारियों के कर्ज में देगा कम सूद पर, जिसे वे कभी नहीं लौटायेंगे।
जाहिर है अर्थशास्त्री की बात निराधार हो नहीं सकती। इसका सीधा मतलब यही है कि आने वाले बजट का सार संक्षेप भी यही होने वाला है और नोटबंदी इसी की तैयारी है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों से कहा है कि वो बजट का प्रस्ताव तैयार करते वक्त 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव का ख्याल रखें।
सोशल स्कीमों में बड़ी बड़ी घोषणाएं फर्जी निकली है और रेल किराया से लेकर पेट्रोल डीजल तक महंगा है। औद्योगिक उत्पादन और कृषि उत्पादन का बंटाधार है। ताजा आंकड़ों ने साबित कर दिया है। फिर भी मीडिया शेयर बाजार की उछाल में अर्थव्यवस्था की सेहत दिखा रहा है। अर्थशास्त्री भी सत्ता के मुताबिक आधा सच आधा फसाना कह रहे हैं। हम जैसे अपढ़ अधपढ़ लोगों के लिए खुदै माजरा समझने की कोशिश इसीलिए अनिवार्य है।
वरना मैं साहित्य का मामूली छात्र हूं। किताबें मेरी पूंजी है। ज्ञान की खोज मेरी जिंदगी है। इतिहासबोध मेरा आधार है और वैज्ञानिक दृष्टि बंद दरवाजे और बंद खिड़किया खोलने की मेरी चाबी है। मेरी जिंदगी इतनी सी है। इससे ज्यादा मैंने कुछ कभी चाहा नहीं है। नैनीताल में गिरदा के सान्निध्य में भयानकअराजक ही था मैं जीवन यापन के मामले में। धनबाद में कोयलाखानों और आदिवासी कामगारों के बीच पत्रकारिता के दौरान भी मैं कमोबेश वही था। विवाह के बाद परिवार की जरूरतों के मुताबिक जितना बदलाव होने थे, वही हुए। बाकी मेरी कोई महत्वाकांक्षा नहीं रही है।
यह नितांत निजी बातें हैं। फिर भी आपसे शेयर इसलिए कर रहा हूं क्योंकि भारत की आम जनता के मुकाबले विश्वविद्यालय में पढ़ाई लिखाई और पेशेवर पत्रकारिता के अलावा हमारे कोई सुर्खाव के पर नहीं है।
हमारे कहे लिखे पर जाहिर है कि आपका ध्यान खींचने में असमर्थ हूं। नोटबंदी वित्तीय प्रबंधन का मामला है। हम शुरू से उसे संबोधित कर रहे हैं। यह मेरा दुस्साहस ही कहा जाना चाहिए, क्योंकि आर्थिक मुद्दों पर राजनीतिक मजहबी माहौल में समझने की कोई संभावना नहीं है।
आज कोलकाता और सारे बंगाल में हंगामा बरपा है। संसद में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय की गिरफ्तारी के बाद बारूद के ढेर में पलीता लगा है। इससे पहले सांसद तापस पाल गिरफ्तार हो गये हैं। ये दोनों गिरफ्तारियां रोजवैली की देशभर में संपत्ति जब्त करने के बाद हुई हैं।
अनेक बड़े लोग अभी रोजवैली कांड में भी गिरफ्तार किये जाने, शारदा फर्जीवाड़े मामले में मंत्री सांसद गिरफ्तार होकर छूट गये हैं और फिलहाल शारदा मामला ठंडा है।
सीबीआई की नजर वाम और कांग्रेस के नेताओं पर भी है। त्रिपुरा भी निशाने पर।
सीधे तौर पर बंगाल की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। मुख्यमंत्री ममता बंद्योपाध्याय और उनके परिजन शुरू से कटघरे में हैं।
विधानसभा चुनावों में मोदी दीदी गठबंधन बनने के बाद दीदी आरोपों से सिरे से बरी हो गयी थीं। लोकसभा चुनावों के दौरान शारदा का मामला कहीं उठा ही नहीं बल्कि नारदा रिश्वतखोरी मामले में दीदी के तमाम सिपाहसालारों के फुटेज सार्वजनिक हो गये। तब भी किसी भी स्तर पर कार्रवाई मोदी दीदी गठबंधन ने नहीं की।
इस बीच 2011 के विधानसभा चुनावों से लेकर नोटबंदी के पचास दिनों तक बंगाल का सबसे तेज केसरियाकरण हो गया है। शरणार्थी और मतुआ समुदायों का हिंदुत्वकरण पूरा हो गया है।
यह इसलिए हुआ क्योंकि दीदी मोदी गठबंधन ने वामपक्ष और कांग्रेस का सफाया करने खातिर संघ परिवार के हिंदुत्वकरण मुहिम का किसी भी स्तर पर प्रतिरोध नहीं किया। दूसरी तरफ जनाधार टूटने के साथ साथ वामपक्ष का संगठन भी तितर बितर हो गया और कांग्रेस बंगाल में साइन बोर्ड है।
विपक्ष की जगह भाजपा ने ले ली है और बंगाल में भाजपाइयों की नेतृत्व दिलीप घोष जैसे संघी कर रहे हैं।
पहले ही संघ परिवार ने असम जीत लिया है और असम में बसे बंगाली शरणार्थियों ने वहां अल्फा से बचने के लिए संघ परिवार के अल्फाई राजकाज बहाल करने में निर्णायक भूमिका अपनायी है।
बंगाल की मुख्यमंत्री को कभी इस सच का अहसास शायद ही हो कि वामपक्ष के सफाये की उनकी जंग का अंजाम बंगाल का हिंदुत्वकरण है। जिन मामलों में फंसने से बचने के लिए मोदी के साथ गठबंधन उनने किया, उन्हीं मामलों में अब वे बुरीतरह फंस गयी हैं।
सुदीप बंदोपाध्याय की गिरफ्तारी के तुरंत बाद कोलकाता में भाजपा कार्यालय में सत्तादल के समर्थकों ने हमला बोल दिया तो दीदी ने सीधे मोदी और अमित शाह को गिरफ्तार करने की मांग कर दी है।
इससे पहले इन गिरफ्तारियों की भनक लगते ही दीदी ने चुनौती दी थी कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाये। वाम पक्ष और कांग्रेस दोनों के सफाये के बाद दीदी की साख तहस-नहस हो जाने से बंगाल सीधे तौर पर बिना किसी चुनाव के संघ परिवार के कब्जे में है।
गौरतलब है कि रोजवैली चिटफंड घोटाले में टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय की गिरफ्तारी के बाद आज कोलकाता में हिंसा भड़क गई है। कोलकाता में बीजेपी मुख्यालय पर हमला किया गया है। हमला का आरोप टीएमसी कार्यकर्ताओं पर लगा है।
खबरों के मुताबिक 12 बीजेपी कार्यकर्ता घायल हुए हैं और 2 की हालत काफी गंभीर है। बीजेपी ने आरोप लगाए हैं कि पुलिस की मौजूदगी में हमले किए गए लेकिन पुलिस ने दंगाईयों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
आज ही रोजवैली चिटफंड केस में टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय को गिरफ्तार किया गया है। कल टीएमसी के सभी सांसद और विधायक दिल्ली में मिल रहे हैं और इसके बाद गिरफ्तारी के खिलाफ आंदोलन के लिए आगे की रणनीति बनाएंगे। इस गिरफ्तारी के बाद ममता बनर्जी ने भी प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।
ममतादीदी ने कहा है कि केंद्र सरकार विरोधियों की आवाज दबाने के लिए कानून का गलत इस्तेमाल कर रही है। टीएमसी का कहना है कि सरकार बदला लेने की सियासत कर रही है और इस आपातकाल के खिलाफ वो लड़ेंगे।
मोदी ने नोटबंदी की तकलीफें दूर करने के लिए पचास दिनों की जो मोहलत 30 दिसंबर की डेड लाइन के साथ मांगी थी और कालाधन के खिलाफ जिहाद छेड़ने की चेतावनी दी थी, उसका कुल आशय यही था।
राजनीतिक नोटबंदी का राजनीतिक आशय।
फिर भी मजा यह है कि आंकडो़ं का खेल बदस्तूर जारी है क्योंकि आंकड़ों की पड़ताल कभी नहीं होती। आम जनता के सामने हवाई आंकड़े दिखा दो आम जनता उन आंकड़ों का सच जानने की कभी कोशिश करने का दुस्साहस नहीं करेंगी क्योंकि गणित, विज्ञान और अर्थशास्त्र से परीक्षा पास करने के अलावा पढ़े लिखे भी टकराने का दुस्साहस नहीं करते। यही हमारी सबसे कमजोर नस है।
नोट बंदी का माह यानी नबंवर का महीना औद्योगिक उत्पादन के मामले में अच्छा नहीं रहा। इसका कारण नोट बंदी के बाजार में आई दिक्कतें माना जा रहा है।
सरकार के हाल के नोटबंदी के कदम का प्रमुख उद्योगों पर असर नजर आने लगा है। देश के 8 प्रमुख उद्योगों की विकास दर नवंबर में बढ़कर 4.9 फीसदी रही। पिछले महीने की तुलना में इसमें गिरावट देखी गई। अक्टूबर में इसकी विकास दर 6.6 फीसदी थी।


