पलाश विश्वास
आपदा प्रबंधन की बुनियादी शर्त है सटीक मौसम भविष्यवाणी तो मौसम विभाग का धार्मिक हो जाना, पार्टीबद्ध हो जाना जलवायु के कुछ भी जाने का संकेत है और हाथ में रहता है वही सुनामी या जलप्रलय।
परियोजनाओं को निरंकुश हरी झंडी, अबाध भूमि अधिग्रहण और मुक्त नकदी प्रवाह के इस तिलिस्म में मुक्त बाजार का जो हाट है, हठात डालर विपर्यय की स्थिति में उसके उजड़ने के बाद तबाह खेतों और औद्योगिक मरघटों में हम आखिर किस किसकी सेवा करेंगे, कहां से आउटसोर्सिंग होगी और ब्रोकर के कैरीयर, मार्केटिंग की हनुमानपूंछ का क्या होगा, ये सवाल अब आपदा प्रबंधन के अनिवार्य प्रश्नपत्र बनते नजर आ रहे हैं।
वैसे अंधभक्त अनुगत इतने कि प्रश्नों से उन्हें खास एलर्जी होती है, वे आखिर कथावाचक प्रधान स्वयंसेवक के राष्ट्रव्यापी क्लासरूम के अनुशासनबद्ध निक्करवाले और बिना निक्कर वाले छात्र हैं।
जिनको निक्कर पहनने की इजाजत नहीं है, उनके लिए घर और छात्रावास से बाहर निकलने की पाबंदी के अलावा गणवेश का फतवा भी देर सवेर जारी हो जाना है।
देश लव जिहाद है अब।
आज दो बजे कंप्यूटर पर गूगल न्यूज सर्च करते न करते वाह क्या बात है, जापान को रणनीतिक साझेदार बनाते न बनाते भारत को भी इस्लामिक राष्ट्र के नक्शे पर डाल देने का अभियान यह और उसके साथ रक्षा क्षेत्र में एफडीआई 49 फीसद।
अजीब संजोग है, ठीक वैसा ही कि विदेश से लौटे प्रधानमंत्री से स्वदेश बैठीं विदेश मंत्री के हाथ मिलाने की मीठी-मीठी तस्वीरें।
ठीक वैसा ही कि विदेश मंत्री की खामोशी और पाकिस्तान को हुंकार भर भरकर चेतावनी जारी कर रहे हैं गृहमंत्री।
माउस तेज होने पर बुढ़ापे में करना कुछ नहीं होता, रस्सियों के भौतिक शास्त्र का यह मानना है तो पुरातन फासीवादियों की जगह नूतन किंतु सनातन संपूर्ण फासी नाजी जायी त्रिकोणमितीय फासीवाद के मुकाबले यह इस्लामी राष्ट्र का फंडा बहुत लाजबाव जायकेदार सींख कबाब है लेकिन मुंबई के अलावा थोक भाव में पोदीना का इंतजाम सर्वत्र नहीं है।
मुंबई के हाजमे के मुताबिक प्रयोग विस्फोट बहुत हो गये हैं, अन्यत्र क्या क्या होना है, पता नहीं, अल्लाह जाने या ईश्वर, धार्मिक विभाजन के हिसाब से सोचने की चूंकि आदत नहीं है।
खास बात तो यह है कि जेल में बंद आधी सजा तमाम अपराधी सौ दिनों के करिश्मे के तहत छुट्टा खोल दिये गये हैं और बलात्कार अब मुक्तबाजार का फैशन है तो खून की नदियां बेहद उपजाऊ।
बहरहाल कुल मिलाकर किस्सा तोता मैना यह है कि ओबामा के पास चारा कोई दूसरा नहीं बचा है आतंक के खिलाफ अपना युद्ध तेज करने के अलावा। मध्यएशिया में फंसी अमेरिकी अर्थव्यवस्था को जमानत जो मिलती दिख रही थी अब तक, भारत में विनियंत्रित डीजल और सस्ते पेट्रोल की महंगी उपभोक्ता जीवनपद्धति की वैदिकी शुद्ध अर्थव्यवस्था की तरह अब दांव पर फिर वहीं डालर है और जिससे नत्थी फिर वही मुक्तबाजारी अर्थव्यवस्था है।
अब अल्हा उदल की बारी है।
जापान में वंशी वादन और ड्रमनृत्य से पूरब की दिशाएं खुलने लगी हैं तो पश्चिम भी पीछा छोड़ने से रहा। खींसे से कफन टानने की अजब रस्साकशी है।
भागवत पुराण, मनुस्मृति, रामायण, महाभारत, वेद उपनिषद, वैदिकी गणित में भारत अमेरिका जापान रसायन के मध्यअरब वसंत के इस सुहाना डरावना मुनाफावसूली का कोई निदान है या नहीं, हमारे जैसे नास्तिक के लिए समझना मुश्किल है।
बहरहाल, मोदी का समझना ज्यादा जरूरी है और इसके लिए बगुला विशेषज्ञ अनेक हैं। परिणाम वही, जो रचि राखा। भइये, हम तो निमित्त मात्र हैं।
समझदारों की कमी नहीं है हालांकि और बहती गंगा में मक्खन घी की निकासी में वे गजब के खिलाड़ी तो हैं ही, पिलाड़ी भी कम नहीं। नाम किसी का लेते नहीं, काम विकास देखकर पहेली बूझने की परंपरा में डुबकी लगा देखिये।
-0-0-0-0-
आपदा प्रबंधन,सटीक मौसम भविष्यवाणी, जापान रणनीतिक साझेदार, भारत में अलकायदा की शाखा पर प्रतिक्रिया, जापान में वंशी वादन, Disaster management, accurate weather forecasting, strategic partner in Japan, responding to the branch of Al Qaeda in India, descent playing in Japan
पलाश विश्वास। लेखक वरिष्ठ पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता एवं आंदोलनकर्मी हैं। आजीवन संघर्षरत रहना और दुर्बलतम की आवाज बनना ही पलाश विश्वास का परिचय है। हिंदी में पत्रकारिता करते हैं, अंग्रेजी के लोकप्रिय ब्लॉगर हैं। “अमेरिका से सावधान “उपन्यास के लेखक। अमर उजाला समेत कई अखबारों से होते हुए अब जनसत्ता कोलकाता में ठिकाना। पलाश जी हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार हैं।