आनन्द जैन

यदि मैं कहूँ कि मैं यूपी में मोदी की जीत से दुखी हूँ तो यह अंडरस्टेटमेंट होगा.

उत्तर प्रदेश में भाजपा की इस जीत के लिये तमाम कारण गिनाए जा रहे हैं, भक्तों के लिये यह मोदी का करिश्मा, तो बाकि ईवीएम के बहाने खंभा नोच रहे हैं.

मेरे लिये यह लोकतंत्र के लिये आने वाले खतरे की आहट है. यह हिंदुत्व के नाम पर एक ऐसा ध्रुवीकरण है जिसमें सत्ता, मीडिया, नौकरशाही और ज्युडीशियरी सब शामिल हैं.

Anand Jainदेश के हित-अहित को ताक पर रख कर केवल हिंदुत्व के नाम पर वोट देने का यह फिनोमेना अगले दो सालों में हमारे इस लोकतंत्र को डिक्टेटरशिप में बदल देगा.

हिंदुत्व के नाम पर यह वृहद् ध्रुवीकरण हिंदी बेल्ट में ही सबसे अधिक परिलक्षित हो रहा है.

मेरे लिये सबसे आश्चर्य की बात है, पढ़े लिखे नौकरीपेशा हिंदू युवा की अंधभक्ति. वो किसी भी कीमत पर मोदी का सपोर्ट करने को तैयार है. देश के टुकड़े होने की कीमत पर भी. अंग्रेजी का मारा और दुनियाभर के इंफीरियोरिटी कॉंप्लेक्स से घिरा यह युवा ही इस देश का दुर्भाग्य साबित हो रहा है.

2019 का आम चुनाव काऊ बेल्ट वर्सेस रेस्ट ऑफ इंडिया होने वाला है. दुर्भाग्य से यदि मोदीजी 2019 में जीत जाते हैं, तो देश बहुत तेजी से विघटन की ओर बढ़ेगा, और यही हमारी चिंता का प्रमुख कारण होना चाहिये.

इस बीच अगले दो वर्षों में बेरोजगारी हमारी सबसे बड़ी समस्या बन कर खड़ी होगी. तीन वर्षों में हमने दो करोड़ रोज़गार खोये हैं, अगले दो वर्षों में यह समस्या और विकराल रूप धारण करेगी. पाँच करोड़ नौकरियाँ जाने के बाद जो नई अनएंप्लॉयबल वर्कफोर्स बाजार में आयेगी, उसके गुस्से को भाजपा आरक्षण और मुस्लिमों के प्रति रिडायरेक्ट करेगी. फलस्वरूप 2019 में हमारा युवा एक ऐसी भीड़ में तब्दील हो जायेगा, जिसे लिबरल विचार से लेकर सिक्युलरिज्म तक सब कुछ अपने खिलाफ खड़ा नजर आयेगा.

भारतीय समाज और लोकतंत्र 70 वर्षों में अपनी सबसे कड़ी परीक्षा के गुजर रहा है और इसमें एक तरफ - लिबरल, सिक्युलर, ग्लोबलाईज्ड विचार हैं और दूसरी तरफ विघटनकारी ताकतें जिनके साथ पत्रकार और पूंजी भी खड़ी है.

अब च्वाईस आपकी है कि आप किस तरफ खड़े हैं, देश की तरफ या टुकड़े करने वालों की तरफ. अपने आपको राष्ट्रवादी मत कहियेगा, यह शब्द अपने मायने खो चुका है.