राजीव नयन बहुगुणा

अभी मित्र से विश्व की पुरातन सभ्यता मेसोपोटोमिया के साहबे सदर मरहूम महामहिम सद्दाम हुसैन पर चर्चा छिड़ी। सोचा, आप सभी को सहभागी बनाऊँ।
पहला संस्मरण मेरे दूर के ताऊ हेमवती नन्दन बहुगुणा ने कभी मुझे सुनाया था। हेमवती बाबू पेट्रोलियम मंत्री के नाते इराक़ गए। भारत में तेल संकट था। इराक़ में अपने सम पदस्थ मंत्री से वार्ता में उन्हें वांछित तेल आपूर्ति का आश्वासन न मिल पाया। वह अपने साथ राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के नाम भारत के वज़ीरे आज़म मोरारजी देसाई का पत्र लाये थे।

राजीव नयन बहुगुणा, लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कवि हैं। उत्तराखण्ड में सूचना आयुक्त हैं।

इराक़ी मंत्री ने कहा - मुझे दे दीजिये। मैं उनके सुपुर्द कर दूंगा।
चतुर पहाड़ी ब्राह्मण भारतीय मंत्री ने उत्तर दिया - ऐसे तो डाक या एम्बेसी के ज़रिये भी भेजा जा सकता था। चूँकि आवश्यक है, इसी लिए मैं स्वयं लाया हूँ, अन्यथा मैं भी आप एक्सीलेंसी की भाँति एक सीनियर मिनिस्टर हूँ, कोई डाकिया नहीं।
बहुगुणा को अगले दिन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन से 4 मिनट का वक़्त मिल गया।
उन्होंने वार्ता तेल संकट की बजाय इराक़ की पुरातन सभ्यता और इस्लामिक दर्शन पर छेड़ी। आधे घण्टे तक सद्दाम हुसैन सुनते रहे मन्त्र मुग्ध, और फिर बोले - जितना भी पेट्रोल चाहिए, बताओ, अभी साइन किये देता हूँ।
दूसरे प्रसङ्ग के अनुसार भारतीय विदेश मंत्री इन्दर कुमार गुजराल बगदाद में सद्दाम हुसैन से मिले। राजकाज की बातों के उपरान्त उन्होंने कहा - राजन ! एक निहायत मानवीय निवेदन है। हमारे देश के एक वृद्ध नेता ने मुझे यहां आते वक़्त रो-रो कर एयर पोर्ट पर कहा कि उनका नादान, इकलौता बेटा आपके देश में ड्रग ट्रैफिकिंग के ज़ुर्म में मौत की सज़ा पाया है। आप कृपालु लोक हृदय सम्राट उक्त बच्चे को क्षमा दान दें।" लेकिन यह तो कोर्ट का मामला है, मैं इसमें दखल न दूंगा, " स्पष्टवादी सद्दाम हुसैन ने कहा।
निराश गुजराल को छोड़ने सद्दाम हुसैन पोर्च तक कार में आये, और उन्हें विदा करने से पूर्व उनकी पीठ पर हाथ फेर कर कहा - हम हमेशा भारत के साथ हैं। और हाँ, जिस लड़के का आपने कुछ देर पहले ज़िक़्र किया था, वह कल सुबह तक रिहा हो जायेगा। चाहो तो साथ वापस ले जाना।
धत्त तेरे अमेरिका की।