धर्म, राजनीति और पूंजी के बरमुडा त्रिभुज में कत्ल की इस रात की कोई सुबह नहीं!
धर्म, राजनीति और पूंजी के बरमुडा त्रिभुज में कत्ल की इस रात की कोई सुबह नहीं!
कृषिजीवी भारत के मृत्यु परवाने पर दस्तखत है यह केसरिया कारपोरेट बजट।
पलाश विश्वास
फिर वही विकास का कामसूत्र। फिर वही योगाभ्यास। फिर वही वैदिकी मंत्र। इस कुटिल सेक्सी तंत्र यंत्र मंत्र के कूट रहस्य का खुलासा रियल टाइम में असंभव है। खास बात यह है कि मलाईदार तबके की सेहत और जेबों का खास ख्याल रखा गया है और चादर से बाहर पैर न फैलाने के ऐलान के बावजूद नौकरीपेशा, कारोबारी लोगों को ढाई लाख तक की आय पर कोई इनकाम टैक्स न देना पड़े, इसका इंतजाम कर दिया गया है। अपढ़, अदक्ष जनगण के विकास के मंत्रोच्चार के लिए देशी विदेशी पूंजी प्रवाह को निर्बाध निरंकुश बनाने और छिनाल संस्कृति को छइयां छइयां करके कार्निवाल का माहौल जमजमाट कर दिया गया है। ब्राजील के हारने से दुःखी और अर्जेंटीना के लिए प्रार्थनारत क्रयशक्ति संपन्न जनगण और कारपोरेट मीडिया के लिए यह बजट नमोमय भारत का भूदान यज्ञ है।
इस भूदान यज्ञ के तहत बजट में सौ स्मार्ट नगरों के लिए 7060 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया है जो शैतानी औद्योगिक गलियारों और हीरक बुलेटी चतुर्भुज के मुताबिक है। यानी देहात के सर्वनाश को सर्वोच्च प्रथमिकता दी गयी है और कृषिजीवी भारत के मृत्यु परवाने पर दस्तखत है यह केसरिया कारपोरेट बजट।
गौरतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का संकल्प व्यक्त करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने आज अपने पहले बजट में विदेशी निवेश को सरल बनाने की अनेक घोषणाएं की और कालेधन को वापस लाने के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई।
विनिवेश का रोडमैप चूंकि पहले से तैयार है और उस पर तेजी से अमल भी हो रहा है, इस सिलसिले में खास खुलासा नहीं हुआ, जिससे प्रतिकूल असर होता और इस सिलसिले में वित्तमंत्री ने तथ्यों और सूचनाओं को सार्वजनिक करने से परहेज किया है। लेकिन पीपीपी गुजरात माडल को महिमामंडित करते हुए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के राष्ट्रवाद का आवाहन पूरी वैदिकी रस्मअदायगी के साथ हो गया है। जैसा कि आर्थिक समीक्षा में संकेत दिया गया था।
इस रामवाण के बाद राजनीतिक बाध्यताओं की आंच से जले छाछ भी फूंककर पीने वाले बाजार में जान आ गयी है और बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर देखने को मिल रहा है। वित्त मंत्री के बजट भाषण के बाद लाल निशान में आए बाजार अब बढ़त के साथ आगे बढ़ रहे हैं। सेंसेक्स और निफ्टी हरे निशान में आ गए हैं। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी खरीदारी लौटी है। रियल्टी, मेटल और पावर शेयरों में सबसे ज्यादा खरीदारी नजर आ रही है।
हम शुरुआती रुझान पर ही आज चर्चा करेंगे और बाकी सूचनाएं जैसे जैसे आयेंगी,उसका कूट तिलिस्म का पासवर्ड निकालने की कोशिश करते रहेंगे।
फिर वही बरमुडा त्रिभुज धर्म, राजनीति और पूंजी का। आज अंग्रेजी और भाषाई अखबारों के मुखपन्नों और संपादकीय में देश को कड़वी दवाई के लिये तैयार रहने की नसीहत देते हुए धर्मयोद्धा प्रधानमंत्री के पक्ष में फिर जनादेश सुनामी की रचना तो की ही गयी है, इसके साथ ही कारपोरेट लाबिइंग के रास्ते मीडिया ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
वाशिंगटन से सैम अंकल ने खबरदार भी किया कि नई सरकार लोक लुभावन तौर तरीकों को तिलांजलि दें तो अमेरिकी कंपनियां भारतीय मुक्त बाजार में अरबों अरबों डालर का निवेश कर सकते हैं। अमेरिकी और वैश्विक निवेशकों की आस्था और कारपोरेट इंडिया के एकमुश्त समर्थन की नींव पर बजट रचना की गयी है।
गौरतलब है कि इससे पहले बजट के पूर्व संध्या पर इकनॉमिक सर्वे ने अधिकारों से लैस एक नया फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी ऐंड बजट मैनेजमेंट ऐक्ट बनाने, राज्य सरकारों के हस्तक्षेप से मुक्त नैशनल फूड मार्केट बनाने, राशन कार्ड्स के बजाय फूड स्टैंप्स या कैश ट्रांसफर सिस्टम अपनाने और बेहतर डिलीवरी तथा जवाबदेही तय करने के लिए सोशल सेक्टर की स्कीम्स में बदलाव की वकालत की है। आशावादी लोग इसे एक अच्छा रिफॉर्म प्रोग्राम बताएंगे, लेकिन हवाई बातों से परहेज करने वाले लोग साफ और ठोस कदमों की जानकारी मिलने पर ही संतुष्ट होंगे।
बजट प्राविधि, संसदीय प्रक्रिया और अर्थशास्त्र की धज्जियां उधेडने का यह अभूतपूर्व करिश्मा सहलाने और रतिसुख प्राप्त करने की कामकला सिद्धांत के तहत हुआ है।
धर्मयोद्धा नमोमहाराज और एकमुश्त वित्त प्रतिरक्षा मंत्री ही बजट प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निबाहते रहे, जाहिर है। इस प्रक्रिया में पहली बार योजना आयोग का उल्लेखनीय भूमिका नहीं है क्योंकि मोंटेक के इस्तीफे के बाद नये उपाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई और न ही नई सरकार के आर्थिक विशेषज्ञों और सलाहकारों का कोई देशी नेटवर्क बना है।
यह बजट अपने आप में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है जो वैश्विक निर्देशन और संघ परिवार मुख्यालय के निर्देशन में तैयार हुआ।
यह बूंबाट डर्टी पिक्चर सिर्फ विकास और एंटरटेनमेंट के लिए है, जहां जनकल्याणकारी राज्य और गणतंत्र की सड़ती लाशों की बदबू विदेशी तेल और गंध से छुपायी गयी है।
और इस धर्म, राजनीति और पूंजी के बरमुडा त्रिभुज में कत्ल की इस रात की कोई सुबह नहीं।
केसरिया जायनवादी धर्मोन्मादी कारपोरेट सरकार और शाही बजरंगियों के पहले बजट में आयकर में छूट के मार्फत मलाईदार तबके को मलहम और सुधार एजंडे का निरमम वास्तव।
खास बात तो यह है, जो केसरिया संहारक बजट की थीमसांग है, विनिवेश, प्रत्यक्ष निवेश और निजीकरण के जरिये भारत के उनतीस राज्यों को केंद्रीकृत बाजार में तब्दील करने के कार्यभार के संकल्प के साथ लोकसभा चुनावों में पराजित लेकिन नमो सरकार में अमित शाह की शाही सवारी के मुकाबले सबसे अहम कारपोरेट वकील अरुण जेटली, जो वित्तमंत्री के साथ साथ रक्षा मंत्री भी हैं, यानी वैश्विक व्यवस्था के हित साधने का कम्प्लीट पैकेज, ने बजट पेश करते हुए पूंजी की तमाम भव बाधाएं दूर करने और निनानब्वे फीसद जनता की गंगाप्राप्ति का भव्य आयोजन कर सुधारों के मार्फत कर दिया है, जैसा कि मध्ययुग से जारी ग्लोबीकरण के अर्थशास्त्र की चर्चा करते हुए हम बार-बार लिखते बोलते रहे हैं।
आयकर राहत का हिसाब करते हुए हमारे पढ़ लिखे तबके को यह बात शायद समझ में नहीं आयेगी और आयेगी भी तो उनकी गैंडाई त्वचा में दावानल की आंच महसूस नहीं की जायेगी कि प्रतिरक्षा (इसके साथ आंतरिक सुरक्षा और खुदरा बाजार से लेकर आधारभूत आर्थिक उत्पादन संरचना समवेत भी नत्थी है),और बीमा(इसके साथ बैंकिग और तमाम वित्तीय क्षेत्र,सेवा क्षेत्र) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की हदबंदी तोड़ने की धर्मोन्मादी घोषणा की है। पूरे देश को एकीकृत करने के हिंदुत्व जायनवादी अभियान के नरमेध राजसूय के जरिये कर प्रणाली और वित्तीय सुधार का अंगीकार भी है।
बजट में घोषित अहम बातें ये हैं-
गुजरात में सरदार पटेल की प्रतिमा 'स्टैट्यू ऑफ यूनिटी' बनाने के लिए 200 करोड़ रुपए का प्रावधान
नौ एयरपोर्ट्स पर ई-वीजा दिए जाने की सुविधा
कौशल विकास के लिए 'स्किल इंडिया' नाम से राष्ट्रीय स्तर पर योजना चलाई जाएगी।
सौ स्मार्ट सिटीज बनाने के लिए 7060 करोड़ रुपए का प्रावधान।
साफ-सफाई को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत अभियान चलाया जाएगा।
रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 49 फीसदी कर दी गई है।
गांवों तक बिजली पहुंचाने के लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना शुरू की जाएगी।
बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ योजना के लिए सौ करोड़
दिल्ली में क्राइसिस मैनेजमेंट सेंटर खोलने का प्रावधान, इसके लिए पैसा 'निर्भया फंड' से दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री सड़क योजना के लिए 14389 करोड़ रुपए
500 करोड़ रुपए खर्च कर आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, विदर्भ और पूर्वांचल में एम्स खोले जाएंगे। जम्मू, छत्तीसगढ़, गोवा, आंध्र प्रदेश और केरल में आईआईटी खोले जाने का भी एलान।
मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए सौ करोड़ का प्रावधान
अहमदाबाद और लखनऊ में पीपीपी मॉडल के जरिए मेट्रो रेल शुरू की जाएगी। इसके लिए सौ करोड़ रुपए रखे गए हैं।
चालू वर्ष में ही किसानों को समर्पित टीवी चैनल 'किसान टेलीविजन' लॉन्च किया जाएगा।
नाबार्ड के जरिए पांच लाख किसानों को कर्ज दिया जाएगा।
'सॉयल हेल्थ कार्ड' मुहैया कराने की स्कीम शुरू की जाएगी। इसके लिए सौ करोड़ रुपए रखे गए हैं। 56 करोड़ रुपए की लागत से देश भर में मिट्टी जांचने के लिए प्रयोगशालाएं बनवाई जाएंगी।


