निवेशकों के लिए माहौल ना बिगड़े, इसलिए भ्रष्टाचार जारी रहने दिया जाए!
निवेशकों के लिए माहौल ना बिगड़े, इसलिए भ्रष्टाचार जारी रहने दिया जाए!
अगर ऑन एयर नाम लेना ईमानदार पक्षकारिता का प्रमाण है, तो कुछ नामों को छुपा जाना किसका प्रमाण होना चाहिए?
अभिषेक श्रीवास्तव
1993 के बाद आवंटित किए कोयला ब्लॉकों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गैर-कानूनी ठहराए जाने के मामले को अब अर्थशास्त्र के जटिल पचड़े में फंसाया जा रहा है। मामला फंसा है 46 कोयला ब्लॉकों पर जिसके बारे में आज केंद्र सरकार ने अदालत में कहा कि उनसे हर्जाना लेकर उन्हें काम करने दिया जाए। इसका मतलब यह हुआ कि भ्रष्टाचार को इसलिए जारी रहने दिया जाए ताकि देश में निवेशकों के लिए माहौल ना बिगड़े। एनडीटीवी पर अभिज्ञान प्रकाश ने कुछ देर पहले जब यही बात दो टूक कही, तो कुछ लोगों को आपत्ति हो गई। नेताओं को तो छोड़ दें जिनकी पूरी जमात ही इस गोरखधंधे में लिप्त पाई गई है। अफ़सोस ईमानदार कहे जाने वाले पत्रकारों के ढुलमुल पक्ष पर होता है। परंजय गुहा ठाकुरता बड़े पत्रकार हैं, उन्होंने "गैस वॉर्स" जैसी किताब लिखी है, इसके बावजूद इन 46 ब्लॉकों को रद्द किए जाने के सवाल पर वे भी पावर सेक्टर की आर्थिक स्थिति की आड़ लेते नज़र आए और दो बार पूछे जाने पर हिचकते हुए बोले कि नीलामी दोबारा करवाई जाए। अंतत: अभिज्ञान ने भी निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल का हवाला दे ही डाला। यह कहते हुए कि नाम लेना अब ज़रूरी है, परंजय ने कुछ नेताओं के नाम भी लिए। ज़ाहिर है, कुछ और के नाम उन्होंने नहीं भी लिए। अगर ऑन एयर नाम लेना ईमानदार पक्षकारिता का प्रमाण है, तो कुछ नामों को छुपा जाना किसका प्रमाण होना चाहिए? मुझे वाक़ई समझ नहीं आता कि बड़े घोटालों का परदाफाश करने वाले पत्रकार वास्तव में किसकी तरफ से खेलते हैं। एनडीटीवी पर अभिज्ञान प्रकाश, परंजय गुहा ठाकुरता, गैस वॉर्स, पावर सेक्टर की आर्थिक स्थिति, निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल, कोयला ब्लॉकों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गैर-कानूनी ठहराए जाने, Abhigyan Prakash on NDTV , Prnjay Guha Thakurta, Gas Wars, the economic situation of the power sector, a conducive environment for investors, coal blocks to hold illegal by the Supreme Court,


