नोटबंदी के बावजूद यूपी हारने के बाद उत्तराखंड भी संघ परिवार के सरदर्द का सबब! बाबा रामदेव ने पलटी मारी
नोटबंदी के बावजूद यूपी हारने के बाद उत्तराखंड भी संघ परिवार के सरदर्द का सबब! बाबा रामदेव ने पलटी मारी
पलाश विश्वास
बाबा रामदेव की कपालभाति भी अब संघ परिवार के लिए सरदर्द का सबब है क्योंकि उन्होंने अबकी दफा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का भी खुले तौर पर समर्थन नहीं किया। उन्होंने कहा कि वह इस चुनाव में 'निष्पक्ष' हैं। रामदेव ने आगे कहा कि इस बार के विधानसभा चुनाव से उत्तराखंड में भूचाल आ सकता है।
निष्पक्ष रहने की वजह पूछे जाने पर रामदेव ने कहा कि देश की जनता काफी विवेकशील है।
मजे की बात है कि बाबा रामदेव ने कहा कि देश की जनता ही चायवाले को प्रधानमंत्री और पहलवान को मुख्यमंत्री बना देती है।
गौरतलब है कि बाबा रामदेव ने लोकसभा चुनाव के वक्त खुले तौर पर भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी का समर्थन किया था।
मौसमी बाबा राजनीति मौसम के विशेषज्ञ है और कारपोरेट मार्केटिंग और कारपोरेट लाबिइंग में वे कारपोरेट घरानों और कंपनियों के मुकाबले भारी हैं।
ऐसे में बाबा का तेवर संघ परिवार के लिए खतरे की घंटी है।
गौरतलब है कि दस साल तक वे मनमोहन के खास समर्थक थे। फिर हवा बदलते देखते ही संघ परिवार की शरण में चले गये।
यूपी और उत्तराखंड में सबकुछ केसरिया होता तो बाबा का हिंदुत्व मिजाज ऐसे न बदला होता। यूपी उत्तराखंड में अगर भाजपा जीत रही होती तो धुरंधर कारोबारी बाबा रामदेव का कारपोरेट दिमाग कुछ अलग ही गुल खिलाये रहता।
यही नहीं, बुधवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हुई वोटिंग के दौरान कई दिग्गजों ने वोट डाला तो हरिद्वार के पोलिंग बूथ पर वोट डालने पहुंचे बाबा रामदेव ने कहा कि इस बार की वोटिंग में देश का विकास सबसे बड़ा मुद्दा है।
योग गुरु का साफ साफ कहना है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद देश की राजनीति में भूचाल आ जाएगा और भारी उथल-पुथल मचेगी।
बहरहल हलात जो है, जीत भी जाये उत्तराखंड तो पंजाब और यूपी का घाटा पाटकर राज्यसभा में बहुमत पाना बेहद मुश्किल है।


