नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस आरएम लोढ़ा ने है कहा कि अगर उन्हें पता चलता है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता हुआ है तो वे पद छोड़ने वाले पहले व्यक्ति होंगे। उन्होंने कहा, मैं एक सेकेंड के लिए पद पर नहीं बना रहूंगा।

श्री लोढ़ा न्यायमूर्ति बीएस चौहान के विदाई कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधान न्यायाधीश ने नई सरकार के सत्ता में आने के एक महीने के भीतर पैदा हुए विवाद पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए एक कार्यक्रम में कहा, ‘मैं इस बात को समझने में विफल हूं कि उच्च संवैधानिक पद पर नियुक्ति के मामले से कितने लापरवाह तरीके से निपटा गया।’ उन्होंने कहा, मैंने जिस पहली बात पर आपत्ति जताई, वह है सुब्रमण्यम के प्रस्ताव को तीन अन्य प्रस्तावों से कार्यपालिका द्वारा मेरी जानकारी और सहमति के बिना एकतरफा तरीके से अलग किया जाना। यह सही नहीं था।

न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा कि उनके लिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता सर्वोच्च महत्व की है और वकीलों के कार्यक्रम में उन्होंने कहा, यह धारणा नहीं बनाएं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता किया गया है। उन्होंने कहा, ‘मैं साफ करना चाहता हूं। पिछले 20 से अधिक वर्ष से मैं न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए लड़ा हूं और मेरे लिए यह एक विषय ऐसा है जिस पर (न्यायपालिका की स्वतंत्रता) चर्चा नहीं हो सकती है। किसी भी कीमत पर न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’