0 प्रकाश कारात
पश्चिम बंगाल में चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को निर्णायक जीत हासिल हुई है और विधानसभा में 72 फीसद सीटें मिली हैं। लेकिन, जाहिर है कि ममता बैनर्जी को इतने से भी संतोष नहीं है। उनके हिसाब से तो सी पी आइ (एम) तथा वाम मोर्चा को चुनाव में हराना ही काफी नहीं है बल्कि एक राजनीतिक ताकत के रूप में उनका खात्मा भी किया जाना जरूरी है। इसीलिए, वह चुनाव प्रचार के दौरान दी गयी अपनी इस धमकी को पूरा करने में जुटी हुई हैं कि चुनाव के बाद वह इंच-इंच का बदला लेंगी।
तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने सी पी आइ (एम) तथा वाम मोर्चा के खिलाफ आतंक की अभूतपूर्व मुहिम छेड़ दी है। अन्य राजनीतिक पार्टियों को भी नहीं बख्शा गया है। 19 मई को चुनाव नतीजे आने के बाद से, तृणमूली गुंडा गिरोह राज्य भर में हमले कर रहे हैं। उन्होंने चुनाव एजेंटों को, कार्यकर्ताओं को, समर्थकों को और यहां तक कि सी पी आइ (एम) तथा वाम मोर्चा के मतदाताओं तक को हमलों का निशाना बनाया है। हमलों पैटर्न वही जाना-पहचाना है-पार्टी कार्यालयों को जलाया या लूटा जा रहा है; विपक्षी कार्यकर्ताओं के घरों पर हमला किया जा रहा है तथा घर का सारा सामान नष्ट किया जा रहा है; विपक्षी नेताओं व कार्यकर्ताओं पर हमले किए जा रहे हैं और उनके परिवार की महिलाओं तथा बच्चों को भी नहीं बख्शा जा रहा है; बहुत ही जगहों पर लोगों के रोजी-रोटी के साधन छीन लिए गए हैं। राज्य भर में अलग-अलग इलाकों में सैकड़ों घरों से लोगों के बेदखल किए जाने का सिलसिला लगातार जारी है। चौथ के रूप में भारी रकमें वसूली जा रही हैं। लोगों की रोजी-रोटी के साधन छीने जा रहे हैं। अनगिनत जानलेवा हमले हुए हैं। पिछले कुछ दिनों में समूची कानून व व्यवस्था मशीनरी ही बैठ गयी लगती है।
चुनाव के दौरान ही सी पी आइ (एम) के दस कार्यकर्ताओं की हत्या हुई थी, सी पी आइ (एम) तथा वामपंथी पार्टियों के नौ कार्यालयों पर हमले हुए थे और अपहरण व आगजनी की 160 वारदातें हुई थीं। इस गुंडागर्दी की खासतौर पर निंदनीय बात यह है कि महिला कार्यकर्ताओं व समर्थकों को खासतौर पर हमलों का निशाना बनाया जा रहा है। कुछ महिलाओं को, जिन्हें मिसाल के तौर पर पंचायत चुनावों के बाद बलात्कार का शिकार बनाया गया था, अब धमकाया जा रहा है कि तृणमूली गुंडों के खिलाफ दर्ज कराए गए केस वापस ले लें। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए, अनेक मामलों में वाम मोर्चा के कार्यकर्ताओं और नेताओं के खिलाफ ही झूठे केस लादे जा रहे हैं।
पश्चिम बंगाल आज एक अराजक राज्य बन गया है। पुलिस या तो मूक दर्शक बनी रहती है या फिर इन हमलों के शिकार होने वालों पर ही झूठे मामले थोपे जा रहे हैं। चुनाव अभियान के दौरान, स्वतंत्र तरीके से काम करने वाले पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को खुद मुख्यमंत्री ने बदला लेने की चेतावनी दी थी।
वाम मोर्चा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की है और उन्हें एक चौतरफा ज्ञापन देकर, राज्यभर में हो रही हिंसा तथा आतंक के ब्यौरे दिए हैं। यह जरूरी है कि उच्चतर न्यायपालिका समेत सभी संवैधानिक अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करें कि नागरिकों की जान-माल की हिफाजत हो। केंद्र सरकार, केरल में भाजपा के खिलाफ सी पी आइ (एम) द्वारा की जा रही तथाकथित हिंसा का इतना शोर मचा रही है, लेकिन पश्चिम बंगाल में जारी हत्यारी अराजकता पर मुंह सिले बैठी है, जब इस हिंसा से खुद भाजपा के कार्यकर्ता भी बचे नहीं रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में जो कुछ हो रहा है, जनतंत्र पर और नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर बाकायदा हमले के सिवा और कुछ नहीं है। सभी राजनीतिक पार्टियों को तथा जनता के सभी हलकों को आगे आकर इस बर्बर हमले का प्रतिरोध करना होगा तथा इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी। परीक्षा की इस घड़ी में देश की तमाम वामपंथी व जनतांत्रिक ताकतें, इस राज्य में सी पी आइ (एम) तथा वाम मोर्चा के साथ हैं। कोई कितनी ही हिंसा तथा आतंक को क्यों न आजमा ले, पश्चिम बंगाल में वामपंथी आंदोलन की विचारधारा तथा राजनीति को खत्म नहीं कर पाएगा।
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