प. बंगाल और त्रिपुरा में जनतंत्र की हत्या के खिलाफ 24 को वामपंथी पार्टियों का देशव्यापी 'प्रतिरोध दिवस'
प. बंगाल और त्रिपुरा में जनतंत्र की हत्या के खिलाफ 24 को वामपंथी पार्टियों का देशव्यापी 'प्रतिरोध दिवस'
प. बंगाल और त्रिपुरा में जनतंत्र की हत्या के खिलाफ 24 को वामपंथी पार्टियों का देशव्यापी 'प्रतिरोध दिवस'
रायपुर, 23 जुलाई। त्रिपुरा में भाजपा-आईपीएफटी गठजोड़ तथा प. बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकारों द्वारा जनतंत्र की हत्या, मानवाधिकारों के दमन, नागरिक स्वाधीनताओं के हनन और वामपंथ के खिलाफ हिंसा और आतंक की राजनीति किए जाने के खिलाफ पूरे देश में वामपंथी पार्टियों द्वारा 24 जुलाई को देशव्यापी 'प्रतिरोध दिवस' मनाया जायेगा. छत्तीसगढ़ में भी इस दिन विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जायेंगे.
यह जानकारी माकपा राज्य सचिव संजय पराते, भाकपा (माले)-लिबरेशन के सचिव बृजेन्द्र तिवारी तथा भाकपा सचिव आरडीसीपी राव ने एक संयुक्त बयान में दी. उन्होंने प. बंगाल व त्रिपुरा में वामपंथ के खिलाफ जारी हिंसा को हमारे देश के संविधान पर हमला करार देते हुए राजनैतिक अभिव्यक्ति, नागरिक स्वाधीनता और मानवाधिकारों के पक्ष में आम जनता को संगठित करने का फैसला किया है.
वामपंथी नेताओं ने बताया कि प. बंगाल में पंचायत चुनावों में वामपंथी कार्यकर्ताओं को नामांकन पत्र तक दाखिल नहीं करने दिया गया और एक-तिहाई से अधिक सीटों पर तृणमूल उम्मीदवारों के निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा कर दी गई, जिसे उच्चतम न्यायालय ने भी 'राजनैतिक धांधली' करार दिया है. पंचायत चुनाव में हिंसा में 11 वामपंथी कार्यकर्ताओं को अपनी जान देनी पड़ी है. भांगर में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष में तृणमूली गुंडों के हमलों व पुलिस फायरिंग में कई कार्यकर्ताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है. बंगाल में आम जनता के जनवादी अधिकारों व आजीविका पर बड़े पैमाने पर हमले जारी हैं.
उन्होंने कहा कि इसी तरह त्रिपुरा में विधानसभा चुनावों में वामपंथी पार्टियों के 1000 कार्यकर्ता हताहत हुए हैं और 2100 समर्थकों के घरों को लूटा/ध्वस्त किया गया है. वामपंथी पार्टियों और जनसंगठनों के 1000 से ज्यादा कार्यालयों पर हमला कर उन्हें लूटा/जलाया गया है. 500 से अधिक कार्यकर्ताओं को अपने घरों से भगाया गया है. यहां किसी भी प्रकार की राजनैतिक गतिविधियां चलाना असंभव हो गया है. यहां तक कि मई दिवस व मार्क्स की 200वीं जयंती-समारोहों पर भी हमले किए गए हैं. वामपंथी पार्टियों से जुड़े निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को इस्तीफ़ा देने के लिए बाध्य किया जा रहा है. प्रशासन पूरी तरह से हमलावरों के साथ में है.
वामपंथी पार्टियों ने छत्तीसगढ़ की अपनी सभी ईकाईयों को संयुक्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं.


