पत्रकारिता की कहानियां - “हुसैन अली वर्षों तक विदेशों में रहा था। उसको यह तो मालूम था कि भारत आदि देशों में लेख लौटाने पर लेखक, संपादक के जानी दुश्मन बन जाते हैं, उस दिन से उसकी रचनाओं को या तो दो कौड़ी का बताने लगते हैं, या उन्हें विदेशी रचनाओं की चोरी बताते हैं। इत्यादि - इत्यादि। पर यह तो....”
पर यह तो.... वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया द्वारा संपादित महान अमीर ने अखबार निकाला, “पत्रकारिता की कहानियां” किताब का एक अंश है। इस किताब में कहानियों के जरिए खबरों की समझ को बनाने का प्रयास किया गया है।
पहली बार 2013 में प्रकाशन के बाद से ही पत्रकारिता और जनसंचार के विद्या्र्थियों और कर्मियों के साथ ही सामान्य पाठक वर्ग में भी “पत्रकारिता की कहानियां” किताब की जबरदस्त मांग रही है।
यह किताब फ्लिपकार्ट डाट कॉम के जरिए आसानी से उपलब्ध है।
अनुक्रम -
​महान अमीर ने अखबार निकाला - मन्मथनाथ गुप्त
अखबार में नाम - यशपाल
संवाददाता - उपेन्द्रनाथ 'अश्क'
एथलीट - मोती नंदी
रिपोर्ट - श्रीकांत वर्मा
जीवन- मृत्यु - श्रीकारम राममोहन
आखिरी खबर - सुरेश उनियाल
जो हत्यारा नहीं था - अनिल चमड़िया
एक दूजे के लिए - प्रमिला दीक्षित
पहली कहानी का एक अंश -
......एक दिन हुसैन अली संध्या समय एक निर्जन स्थान से गुजर रहा था कि एकाएक उसे यह अनुभव हुआ कि कोई ठंडी सी कड़ी चीज उसके सीने से लगी है। साथ ही किसी ने कहा - खड़े हो जाओ। आज्ञा देने वाले के हाथ में बंदूक थी जो उसने हुसैन अली के सीने पर गड़ा रखी थी। हुसैन अली भी अफगान था, पर उसके हाथों में बंदूक नहीं थी, इसलिए वह कुछ डरा, बोला - "क्या है भाई?"
भाई किसे कहते हो? मैं तो तुम्हें अपना दुश्मन समझता हूं। बंदूक वाले व्यक्ति ने गरज कर कहा।
हुसैन अली वर्षों तक विदेशों में रहा था। उसको यह तो मालूम था कि भारत आदि देशों में लेख लौटाने पर लेखक, संपादक के जानी दुश्मन बन जाते हैं, उस दिन से उसकी रचनाओं को या तो दो कौड़ी का बताने लगते हैं, या उन्हें विदेशी रचनाओं की चोरी बताते हैं। इत्यादि - इत्यादि। पर यह तो....
फ्लिपकार्ट लिंक -
http://www.flipkart.com/mahaan-ameer-ne-akhbar-nikala/p/itme3smhzvh8rhww?pid=9789384304010&otracker=start&q=9789384304010&as=off&as-show=off