पनामा पेपर्स के बाद पैराडाइज़ पेपर्स में भी अमिताभ बच्चन का नाम ?
पनामा पेपर्स के बाद पैराडाइज़ पेपर्स में भी अमिताभ बच्चन का नाम ?
KBC-1 के बाद विदेशी कंपनी में लगाया था पैसा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट जीएसटी के विज्ञापन के लिए ब्रांड एम्बेसडर बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन का नाम पनामा पेपर्स के बाद एक बार फिर पैराडाइज़ पेपर्स में भी उछला है।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस आईसीआईजे का सदस्य है और उसने कर चोरों के स्वर्ग माने जाने वाले देशों की कंपनियों से मिले एक करोड़ 34 लाख दस्तावेज में भारत से संबंधित दस्तावेज की पड़ताल की, जिसमें अमिताभ बच्चन का नाम भी प्रमुखता से आया है। पनामा पेपर्स की भी पोल इंडियन एक्सप्रेस ने ही खोली थी। पनामा पेपर्स में नाम आने के कारण पाकिस्तान में नवाज शरीफ सहित कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को अपने पद से हाथ धोना पड़ा था परन्तु भारत में जिन लोगों के नाम इन पेपर्स में आए उनका कुछ नहीं बिगड़ा। पैराडाइज पेपर्स ने 18 महीने पहले आए पनामा पेपर्स की याद एक बार फिर ताजा कर दी है, जिसने दुनिया भर में खूब हलचल मचाई थी।
क्या है पैराडाइज पेपर्स?-
जर्मन अखबार Süddeutsche Zeitung को बरमूडा की कंपनी एप्पलबी, सिंगापुर की कंपनी एसियासिटी ट्रस्ट और कर चोरों के स्वर्ग समझे जाने वाले 19 देशों में कराई गई कार्पोरेट रजिस्ट्रियों से जुड़े करीब एक करोड़ 34 लाख दस्तावेज मिले। जर्मन अखबार ने ये दस्तावेज इंटरनेशनल कॉन्सार्शियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आईसीआईजे) के साथ साझा किया। इंडियन एक्सप्रेस आईसीआईजे का सदस्य हैं और उसने भारत से जुड़े हुए सभी दस्तावेजों की पड़ताल की है।
क्यों आया अमिताभ का नाम ?
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक अमिताभ बच्चन “कौन बनेगा करोड़पति” (केबीसी) के 2000-02 में प्रसारित पहले संस्करण के बाद बरमूडा की एक डिजिटल मीडिया कंपनी के शेयरधारक बने थे। वर्ष 2004 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिबरलाइज्ड रिमिटेंस स्कीम शुरू करने से पहले तक सभी भारतीयों को विदेश में किए गए निवेश की जानकारी आरबीआई को देनी होती थी।
खबर के मुताबिक ये साफ नहीं है कि अमिताभ बच्चन ने ये जानकारी आरबीआई को दी थी या नहीं। बरमूडा की कंपनी एप्पलबी के दस्तावेजों के अनुसार अमिताभ बच्चन और सिलिकॉन वैली के वेंचर इन्वेस्टर नवीन चड्ढा जलवा मीडिया लिमिटेड के 19 जून 2002 को शेयरधारक बने थे। ये कंपनी बरमूडा में 20 जुलाई 2002 को बनाई गई थी और साल 2005 में इसे भंग कर दिया गया।
जलवा मीडिया शुरुआती डिजिटल मीडिया वेंचर में एक है। इसकी स्थापना चार भारतीय एंटरप्रेन्योर ने जनवरी 2000 में कैलिफोर्निया में की थी। इसकी भारतीय इकाई जलवा डॉट कॉम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (बाद में जलवा मीडिया इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) फरवरी में बनी और बाद में जुलाई में बरमूडा में एक तीसरी कंपनी बनी।
जुलाई 2000 में जलवा-इंडिया ने कंपनी में करीब 32 लाख डॉलर (आज की दर से करीब 20 करोड़ रुपये) का एंजल इन्वेस्टमेंट (निजी निवेश) हासिल करने की घोषणा की थी। कंपनी में निवेश करने वालों में कैलिफोर्निया में रहने वाले उस समय बिजट्रो के चेयरमैन नवीन चड्ढा भी शामिल थे। इसके अलावा जलवा मीडिया ने 1.5 करोड़ डॉलर (आज की दर से करीब 94 करोड़ रुपये) वेंचर इन्वेस्टमेंट हासिल करने को अपना अल्पकालीन लक्ष्य बताया। जलवा मीडिया को इस निवेश से पहले ही लंदन के मिलेनियम डोम से इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकैडमी के लाइव वेबकास्ट का अधिकार मिल चुका था। कंपनी ने अक्टूबर 2000 में देखो फिल्म डॉक कॉम (dekhofilm.com) नामक वेबसाइट लॉन्च की और अमेरिकी कंपनी आईबीएम से जून 2001 में मीडिया एंड एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की वेबसाइट के लिए एक “कम्पलीट कंटेट मैनेजमेंट सॉल्युशन्स देने” समझौता किया। जलवा ने मुंबई में अपना डिजिटल मीडिया इनोवेशंस लैब्रोटरी भी खोली।
खबर के मुताबिक आईबीएम से समझौता होने के करीब एक साल बाद अमिताभ बच्चन और चडढा को एप्पलबी के जलवा-बरमूडा दस्तावेज में निवेशक बताया गया। इस कंपनी से जुड़े तीन लोगों उर्शित पारिख, गौतम आनंद और शैलेंद्र पी सिंह ने साल 2004 तक धीरे-धीरे कंपनी छोड़ दी। 28 अक्टूबर 2005 को द बरमूडा सन अखबार में नोटिस प्रकाशित हुई कि जलवा बरमूडा “बुरी कर्जदार” है और उसे “भंग” किया जाता है। एप्पलबी ने भी जलवा बरमूडा को 14 जनवरी 2004 से सेवाएं देना बंद कर दिया था।
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