पर्यावरण मंत्री का दावा वायु प्रदूषण से ही मौत का कोई आंकड़ा नहीं
पर्यावरण मंत्री का दावा वायु प्रदूषण से ही मौत का कोई आंकड़ा नहीं

जनता को भ्रमित कर रहा है वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर असर न पड़ने का पर्यावरण मंत्री का दावा : ऊर्जा
नई दिल्ली, 11 फरवरी 2017। पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे अपनी एक अजीबोगरीब टिप्पणी के चलते पर्यावरण संरक्षण कार्यकर्ताओं के निशाने पर आ गए हैं।
श्री दवे ने देश की बेहद प्रदूषित हवा से स्वास्थ्य को होने वाले खतरों को लेकर एक अजीबोगरीब टिप्पणी की थी। उनका कहना है कि केवल वायु प्रदूषण से ही मौत होने को साबित करता कोई भी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। उनकी यह टिप्पणी स्वच्छ हवा के अधिकार के समर्थन में यूनाइटेड रेजिडेंट्स ज्वाइंट एक्शन ऑफ दिल्ली (ऊर्जा) की अगुवाई में जारी जनान्दोलन को हतोत्साहित करने वाली मानी जा रही है।
ऊर्जा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशुतोष दीक्षित ने कहा कि “पर्यावरण मंत्री का वह कथित बयान आम जनता के मन में भ्रम पैदा करेगा। यह स्वच्छ हवा को लेकर सामाजिक जागरूकता पैदा करने के प्रयासों के लिये झटका है। वायु प्रदूषण न सिर्फ स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालता है बल्कि इससे असामयिक मौत भी हो सकती है। भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर काफी संख्या में अध्ययन किये गये हैं, जो वायु प्रदूषण और सेहत के इस सम्बन्ध को साबित करते हैं।”
ऊर्जा राजधानी क्षेत्र में रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशंस (आरडब्ल्यूए) की शीर्षस्थ इकाई है।
राष्ट्रीय राजधानी में कार्यरत लगभग 2500 आरडब्ल्यूए का नेटवर्क यानी ऊर्जा का गठन वर्ष 2005 में हुआ था। इसका उद्देश्य जनमत तैयार करना तथा स्वच्छ हवा तथा पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये आवाज उठाना है। दिल्ली क्लीन एयर फोरम जैसे अभियान की शुरूआत वर्ष 2016 में की गयी थी ताकि स्थानीय निकाय प्राधिकारियों से वायु प्रदूषण तथा उसके सम्भावित समाधानों के मुद्दे पर संवाद स्थापित किया जा सके। साथ ही इसका मकसद खराब हवा के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के बारे में नागरिकों के बीच जागरूकता बढ़ाना भी है।
वर्ष 2016 में आयी विश्व बैंक तथा इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स की रिपोर्ट में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौत से भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को मापने की कोशिश की गयी है। इसमें जाहिर अनुमान के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2013 में हुई असामयिक मौतों की लागत कुल 560 अरब डॉलर आयी। दूसरी तरह देखें तो यह देश के सकल घरेलू उत्पादन का करीब 8.5 प्रतिशत रहा। इसमें उत्पादकता की वह हानि शामिल नहीं है जो अपंगता के कारण होती है या फिर सांस अथवा दिल सम्बन्धी गम्भीर बीमारियों के इलाज से जुड़े खर्च के रूप में सामने आती है।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इण्डिया और केयर फॉर एयर से जुड़े भार्गव कृष्ण ने कहा कि
“सेहत पर होने वाले खर्च का परीक्षण किये बगैर वायु प्रदूषण की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाली लागत के सही आंकड़े का पता नहीं लगाया जा सकता। प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों जैसे कि सांस तथा दिल से जुड़े रोगों में बढ़ोत्तरी इस देश के बिखरे हुए और धन की कमी से जूझ रहे जनस्वास्थ्य तंत्र पर लगातार जोर डाल रही है। यह समस्या सुलझेगी नहीं, बल्कि यह और बिगड़ती जाएगी।”
Web title : Environment minister claims no death toll due to air pollution


