पर्यावरणीय प्रदूषण-राजनेताओं और बड़े उद्योगपतियों के लालच और हवस का परिणाम
पर्यावरणीय प्रदूषण-राजनेताओं और बड़े उद्योगपतियों के लालच और हवस का परिणाम
मानव के जीवन पर संकट विकास का नहीं विनाश का रास्ता है
रायगढ़ में संपन्न सेमीनार
रायगढ़। देश में बढ़ते हुए पर्यावरणीय संकट और विशेषकर छत्तीसगढ़ में इसके दुष्प्रभावों पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन 28मार्च को प्रदूषण से बुरी तरह त्रस्त रायगढ़ जिले में आल इंडिया प्रोगेसिव फोरम (छत्तीसगढ़ अध्याय) तथा जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा, रायगढ़, के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न हुआ।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जननायक रामकुमार अग्रवाल की पुण्य तिथि के अवसर पर रायगढ़ के अग्रोहा भवन में आयोजित इस सेमीनार में ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव फोरम के प्रदेश सचिव अरुण कान्त शुक्ला, उपाध्यक्ष तथा सामाजिक चिन्तक आनंद शर्मा, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दयाराम ठेठवार, नदी घाटी मोर्चा के संयोजक गौतम बंदोपाध्याय, छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के लाखनसिंह, छत्तीसगढ़ किसान सभा के साथी नन्द कश्यप, वामपंथी विचारक मुमताज भारती, प्रसिद्ध साहित्यकार अमीचंद अग्रवाल एवं जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा, रायगढ़ के सचिव बासुदेव शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
विभिन्न कार्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ साथियों ने लगभग हर दृष्टिकोण से विषय के ऊपर अपने विचार व्यक्त किये।
ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव फोरम के सचिव साथी अरुण कान्त शुक्ला ने बहस का समापन करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन हो या पर्यावरणीय प्रदूषण, इनका सबसे क्रूरतम और आसान शिकार मानव आबादी का गरीब और वंचित हिस्सा होता है। उन्होंने लगभग एक वर्ष पूर्व आई विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पूरी दुनिया में लगभग 37 लाख लोग केवल प्रदूषण जनित कार्यों से केवल एक वर्ष 2012 में काल कवलित हुए। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में भारत में आईं सभी सरकारें विकास का मंत्र जपती रही हैं और इसकी अंधी दौड़ में देश के पर्यावरण को इतना अधिक नुकसान पहुंचाया है कि आज भारत में लगभग 8 लाख लोग प्रदूषण की वजह से मर रहे हैं और उच्च रक्तचाप, घरेलू प्रदूषण, धूम्रपान तथा कुपोषण के बाद प्रदूषण लोगों की मृत्यु का पांचवा बड़ा कारण है।
श्री शुक्ला ने अपने प्रदेश छत्तीसगढ़ का उल्लेख करते हुए कहा कि तेजी से घटते जंगल, उद्योगों के द्वारा छोड़े जाने वाले अवशेषों को नदी में प्रवाहित करने, सुरक्षा यंत्रों के प्रयोग नहीं करने तथा उद्योगों में कोयले से निकलने वाली राख के उचित निष्पादन के अभाव में परिस्थिति विकराल है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार अनेक क्षेत्रों में जैसे मनरेगा, कृषि इत्यादि में देश में प्रथम स्थान पाने के गौरव का बखान करती रहती है, उसे प्रदेश के लोगों को यह भी बताना चाहिए कि पिछले अनेक वर्षों से छत्तीसगढ़ विश्व के प्रथम पांच प्रदूषित शहरों में स्थान पाने के लिए भी गौरवान्वित हो रहा है। प्रत्येक वर्ष प्रदेश में सांस की बीमारी के मरीजों में 100% की वृद्धि हो रही है और इस वर्ष यह संख्या 25लाख के लगभग पहुँच चुकी है।
सभी वक्ताओं ने कहा कि सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक परिस्थितियाँ ही समाज, राज्य व देश के समूचे जीवन को प्रभावित करती हैं। पिछले तीन दशकों में हमारी राजनीति पूरी तरह कारपोरेट पोषक और आमजन विरोधी हो चुकी है, जिसका दुष्परिणाम कुपोषण, प्रदूषण, विस्थापन के रूप में हमें भुगतना पड़ रहे हैं। सामाजिक ताना बाना टूट रहा है। प्राकृतिक संपदा पर कब्जे और अंधाधुंध दोहन का कहर है, यह मानव के अस्तित्व के उपर ही संकट के लक्ष्ण हैं।
पर्यावरण प्रदूषण पर गंभीर चिता व्यक्त करते है सर्व सम्मति से एक प्रस्ताव पारित करके राज्य सरकार से मांग की गयी कि “विकास की वर्त्तमान जनविरोधी औद्योगिक एवं पूँजीपरस्त नीतियों पर तत्काल रोक लगाएं। प्रदेश की जनता के हित में क़ानून का पालन सुनिश्चित करे। नदी, तालाब एवं अन्य जलस्रोतों पर आम जनता का प्रथम मौलिक अधिकार सुरक्षित किया जाए। वन अधिकार और पेसा क़ानून का अनुपालन हो। रायगढ़ सहित पूरे प्रदेश में प्रदूषण को खत्म करने की दिशा में तकनीकि और विज्ञानसम्मत कदम उठाये जाएँ।”
सभा में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं जननायक रामकुमार अग्रवाल के बचपन के साथी दयाराम ठेठवार को शाल भेंटकर सम्मानित किया गया।


