पहली ही घड़ी में हिंदू होने वालों को भी देख लें
पहली ही घड़ी में हिंदू होने वालों को भी देख लें
आपने आखिरी वक्त में मुसलमां होना सुना होगा। अब पहली ही घड़ी में हिंदू होने वालों को भी देख लें। इसरो के पूर्व अध्यक्ष माधवन नायर, सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी, सीएनएन-आइबीएन नेटवर्क 18 के प्रेसिडेंट उमेश उपाध्याय, फिल्मकार प्रियदर्शन, स्पिक-मैके के संस्थापक किरन सेठ, पर्यावरणविद् वंदना शिवा, अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय और सुरजीत भल्ला समेत आइआइटी और आइआइएम के प्रेोफेसरों की लंबी कतार है जिन्होंने अपने 'हिंदू' होने की घोषणा कर दी है, जबकि "हिंदू राष्ट्र" का दबाव अभी इतना नहीं है। ये तमाम लोग परसों संपन्न हुई तीन दिवसीय विश्व हिंदू कांग्रेस में वक्ता रहे।
इस देश की मानव संसाधन मंत्री तो एक कम पढ़ी-लिखी सामान्य सी अभिनेत्री हैं जिनका ज्योतिषी के पास और विश्व हिंदू कांग्रेस में जाना फिर भी "निजी कर्म" माना जा सकता है। हम इस पर नेगोशिएट कर लेंगे, लेकिन क्या करें उनका जो ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्रों के जानकार लोग हैं? उनकी हिंदू अस्मिता क्यों उबाल मार रही है? बुद्धिजीवियों में वंदना शिवा अकेली नहीं हैं जो चौंकाती हैं। पिछले साल की विश्व हिंदू कॉन्फ्रेंस की सूची देखिए, जीएम फसलों पर काम करने वाली जीन कैम्पेन की मुखिया सुमन सहाय ने भी वहां वक्तव्य दिया था।
दो दिन से स्मृति ईरानी के पीछे पड़ा मीडिया क्या इन नामों पर कुछ बोलेगा? नेता और मंत्री तो आते-जाते रहते हैं, उनकी बहुत चिंता नहीं। इस देश का कथित 'इंटेलिजेंसिया' जो हिंदू हुआ जा रहा है, वह कहीं ज्यादा बड़ा खतरा है। करोड़ों बच्चों का भविष्य तय करने वाले सीबीएसई के चेयरमैन को हटाने की मांग क्यों नहीं की जानी चाहिए?
O- अभिषेक श्रीवास्तव


