पीएससी-2003 चयन घोटाले : सुप्रीम कोर्ट में अपील न करे सरकार - माकपा
पीएससी-2003 चयन घोटाले : सुप्रीम कोर्ट में अपील न करे सरकार - माकपा
पीएससी-2003 चयन घोटाले : सुप्रीम कोर्ट में अपील न करे सरकार - माकपा
रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने पीएससी-2003 चयन घोटाले के संबंध में हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि भाजपा सरकार में यदि भ्रष्टाचार ख़त्म करने की सदिच्छा होगी, तो सुप्रीम कोर्ट जाने के बजाये वह हाईकोर्ट के निर्णय को सही अर्थों में लागू करेगी तथा भ्रष्ट तरीके से चयनित लोगों को बर्खास्त करेगी.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने याचिकाकर्ताओं — वर्षा डोंगरे, रविन्द्र सिंह व चमन सिन्हा — को उनके अनथक संघर्ष के लिए बधाई दी है तथा टिप्पणी की कि मप्र. व्यापमं से लेकर सीजीपीएससी तक समान उद्देश्यों से और समान लक्ष्य प्राप्ति हेतु किये गए कार्यों ने अलग 'चाल, चेहरा और चरित्र" रखने का दावा करने वाली पार्टी की समूची नैतिकता को उजागर कर दिया है.
इस तथ्य के मद्देनजर कि एंटी-करप्शन ब्यूरो ने 2007 में ही सरकार को इस घोटाले के बारे में बता दिया था। हाईकोर्ट की यह टिप्पणी कि यह घोटाला "मानवीय त्रुटि नहीं, बल्कि जान-बूझकर किया गया आपराधिक कृत्य" है, से स्पष्ट है कि...
इस घोटाले में भाजपा सरकार भी समान रूप से सहभागी है.
माकपा ने मांग की है कि इस घोटाले के लिए जिम्मेदार सभी बोर्ड सदस्यों,राजनेताओं और अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण कायम किये जायें.
माकपा नेता ने कहा है कि 2003 के बाद से हर परीक्षा में पीएससी विवादों में रही है और भाजपा सरकार ने इस संस्था में ऐसे लोगों को ही बिठाने में तरजीह दी, जिनका रिकॉर्ड हमेशा संदेहास्पद ही रहा है. लेकिन अब वक्त है कि राज्य के युवाओं के व्यापक हित में और पीएससी की विश्वसनीयता को कायम करने के लिए पीएससी को दागी सदस्यों-अधिकारियों से मुक्त कर परीक्षा-प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाये जाएं.


