नई दिल्ली, 6 मार्च। पूर्वोत्तर में विधानसभा चुनाव से पहले सभी वामदल एकजुट हो गए हैं। वाम दलों का मानना है कि इस क्षेत्र से भ्रष्टाचार और संप्रदायवाद को उखाड़ फेंकने के लिए आपसी एकता जरूरी है।

प्रतिष्ठित समाचारपत्र देशबन्धु में प्रकाशित खबर के मुताबिक इंफाल में राज्यस्तरीय समन्वय समिति की बैठक में पूर्व मंत्री और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) की मणिपुर इकाई के सचिव मोइरंगथेम नारा ने कहा कि जिस राह पर केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में वाम दलों ने चलकर दिखाया है, उसका अनुसरण अन्य राज्यों में भी होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वामपंथी सरकार ने त्रिपुरा में यह दिखा दिया है कि अगर राजनीतिक इच्छा शक्ति हो तो सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम 1958 भी हट सकता है।

नारा ने कहा,

"इरोम शर्मिला जैसी समाज सुधारक कोई नहीं है। वाम सरकार ने व्यापक बदलाव लाया है और लोग खुश हैं।"

बैठक में भाकपा, माकपा, भाकपा (माले), फॉरवर्ड ब्लॉक और आरएसपी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस सम्मेलन का आयोजन असम में इस साल अप्रैल में और अगले साल की शुरुआत में मणिपुर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले किया गया है। वैसे 2018 में मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा में भी विधानसभा चुनाव होना है।

नारा ने वाम दलों से आग्रह किया कि वे विशेष रूप से मणिपुर पर ध्यान दें, ताकि लोगों को भ्रष्ट कांग्रेस सरकार से छुटकारा दिलाया जा सके।

खास तौर से मणिपुर में भाकपा की हालत अच्छी नहीं है। पिछले कुछ वर्षो में तो राज्य में पार्टी ने अपना उम्मीदवार तक नहीं उतारा। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में तो भाकपा को राज्य में एक भी सीट नहीं मिली। पार्टी की ऐसी हालत इसलिए हुई है कि उसके वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री निंगथोऊ मांगी ने भाजपा का दामन थाम लिया।

नारा के अलावा वाम दलों के अन्य नेताओं ने भी संप्रदायवाद पर चिंता जताई। इन लोगों ने कहा कि विगत दो वर्षो में भाजपा के शासन में देश में सैकड़ों सांप्रदायिक दंगे हुए हैं।

भाकपा के नेता ने कहा कि इस इलाके में जनजाति और गैर जनजाति समुदायों को लोगों को समानता के आधार पर सांप्रदायिक सद्भाव के साथ मिलकर रहना चाहिए।

Left parties united before elections in Northeast