अरुण माहेश्वरी

विकिलीक्स हो या पनामा पेपर्स या पैरेडाइज — ये सब एक प्रकार से विश्व पूंजीवादी राज्य और अर्थ-व्यवस्था के अस्थि-पंजरों की डिजिटल एक्स रे तस्वीरों की तरह है। डिजिटल तकनीक ने अब जासूसी के नये डिजिटल उपकरण साधारण पत्रकारों तक पहुंचा दिये हैं और डाटा प्रोसेसिंग की सुविधा को आम जन तक। इसीलिये छोटी-छोटी पेन ड्राइव में कैद बड़ी दुनिया के बड़े कारनामें, लाखों-करोड़ों कागजातों में छिपा कर रखी जाती रही सत्ताधारियों, शक्तिवानों की कारस्तानियों को अब किसी प्रकार सामने लाना मुमकिन हो रहा है। पहले आधुनिक सरकारी-व्यवस्था का एक दूसरा नाम कागजों में बंद व्यवस्था हुआ करता था। अब चूंकि इसके रहस्य पेन ड्राइव की कैप्सुलों में बंद होने लगे हैं, तो इन कैप्सुल्स के जरिये ही उन छिपाये गये राजों को सामने लाना भी संभव हो रहा है। राजा की जान जब तोते में सिमट जाए तो फिर उस तोते को खोजने का तिलस्मी खेल कितना ही रोमांचक क्यों न हो, उसकी जान पर काबू पाना उतना ही सरल भी हो जाता है। ये पेपर्स क्या है, कैसे इन्हें खंगाला गया है या खंगालना संभव हुआ है, इस पर इतने तथ्य अब सबके सामने हैं कि उन्हें अलग से बताने का शायद कोई अर्थ नहीं है।

बहरहाल, काले धन के विश्व-व्यापी ताने-बाने को बुनने वालों 'कर स्वर्ग' के खूबसूरत नाम से विख्यात दुनिया की इंद्रपुरी के देवी-देवताओं के मनोरंजन के लिये इवेंट मैनेजमेंट करने वाली कुछ कंपनियों के 'स्वर्ग कागजातों' का आज जब खुलासा हुआ है, तब स्वाभाविक और अपेक्षित रूप से ही सारी दुनिया में हंगर इंडेक्स में 139 वें स्थान के अधिकारी भारत का स्थान बहुत ऊपर, 19वां स्थान पाया गया है। भूख और काले धन के बीच इतना सीधा संबंध बताने वाला शायद ही कोई दूसरे प्रमाण होगा !

और, इतना ही स्वाभाविक यह भी था कि देश के धन को लूट कर अपने लिये इंद्रपुरी की सुरा-सुंदरियों से भरी सभाओँ के तमाम आयोजकों की इस सूची में भारी संख्या में मौजूदगी हो। इन पेपर्स से अब तक आज के युग के इन अति-प्रसन्न, अति-भोगी महाप्रभुओं के बारे में जो तथ्य सामने आये हैं, उनमें हमारे देश के दो नाम ऐसे हैं जो सीधे भाजपा और मोदी सरकार से जुड़े हुए हैं, एक तो बाकायदा इस सरकार में मंत्री हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत सिन्हा।

श्रीमान जयंत सिन्हा हमारे लिये इस वजह से विशेष उल्लेख के हकदार हो जाते हैं क्योंकि वे इस काम में एक ओमेदियार नेटवर्क कंपनी के एक निदेशक के तौर पर लगे हुए थे जिस कंपनी ने भारत में विदेशों से काला धन भेज कर यहां 2014 के चुनाव के लिये नरेन्द्र मोदी के प्रचार में सक्रिय भूमिका अदा की थी। आडवाणी जी जिसे 'इवेंट मैनेजमेंट' कहते हैं, मोदी के उस 'मैनेजमेंट' के काम को संभालने में सीधे तौर पर लगी हुई थी।

इस विषय पर अब तक जयंत सिन्हा ने 'इंडियन एक्सप्रेस' में अपनी सफाई दी है। उस सफाई को देख कर किसी को लग सकता है कि यह कोई ख़ास मामला नहीं है। लेकिन जैसा कि इस विषय पर रविश कुमार ने सही बताया है, जब आप इसी ख़बर को PANDO.COM पर 26 मई 2014 को मार्क्स एम्स के विश्लेषण के साथ पढ़ेंगे तो इसकी पूरी असलियत सामने आएगी। तभी यह साफ तौर पर दिखाई देगा कि ओमेदियार विदेश से काला धन ला कर भारत में मोदी की जीत के लिए काम कर रहा था। 2009 में उसने इसी उद्देश्य के लिये भारत में सबसे अधिक निवेश किया था और इस निवेश में इसके निदेशक जयंत सिन्हा की बड़ी भूमिका थी। 2013 में जयंत सिन्हा इस्तीफा देकर मोदी के विजय अभियान में खुल कर शामिल हो गये थे।

'पैंडो क' की रिपोर्ट से पता चलता है कि वह 26 मई 2014 को ही पर्दे के पीछे हो रहे इस खेल को समझ रहा था। इसमें हज़ारीबाग में हुए एक प्रेस कांफ्रेंस की टेलिग्राफ की रिपोर्ट का हवाला है, जिसमें स्थानीय बीजेपी नेता शिव शंकर प्रसाद गुप्त कहते हैं कि जयंत सिन्हा 2012-13 में दो साल मोदी की टीम के साथ काम कर चुके हैं। इस दौरान जयंत सिन्हा ओमिदियार नेटवर्क में ही काम कर रहे थे। अब जयंत सिन्हा कह रहे हैं कि उन्होंने 2013 में इस कंपनी से इस्तीफा दे दिया।

शंकर गुप्ता तो बताते हैं कि उसके पहले से ही सिन्हा मोदी की टीम में शामिल थे। बाद में जब मोदी जीते थे तब ओमेदियार नेटवर्क ने उन्हें ट्वीट करके बधाई दी थी।

अपने चुनाव प्रचार के दौरान छोटे व्यापारियों के हितों की बिना कोई परवाह किये नरेंद्र मोदी ने व्यापारियों की एक सभा में कहा था कि भारत में ई-कामर्स को विदेशी कंपनियों के लिये पूरी तरह से खोलने की ज़रूरत है। उनके इस वादे के साथ ओमेदियार के सीधे हित जुड़े हुए थे। कहना न होगा, तब से लेकर नोटबंदी तक, डिजिटलाइजेशन के पूरे कार्यक्रम तक, मोदी ऐसी कंपनियों के अहसानों की ही कीमत चुकाते जा रहे हैं।

इन पेपर्स में और जो सभी नाम है, उनके बारे में विस्तृत खबरें अभी आने वाली है। इसलिये उनके पीछे काम करने वाली राजनीति के पहलू के बारे में निश्चय के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता है। लेकिन ओमेदियार नेटवर्क के बारे में हुआ यह चौंकाने वाला खुलासा बताता है कि आज हमारा शासक दल किस प्रकार शुद्ध रूप से विदेशी हाथों में खेल रहा है। यही है फासीवादी शासन की निर्लज्जता !