मधुवन दत्त चतुर्वेदी
सेना के खिलाफ ?
क्या कश्मीर में सैन्य शासन है ? क्या देश में सैन्य शासन है ? क्या काश्मीर की प्रॉब्लम सेना बनाम कश्मीरी है ? क्या ये पॉलिटिकल इश्यू नहीं है ? क्या देश की पॉलिटिकल लीडरशिप के तहत सेना काम नहीं कर रही है ? क्या सेना को पॉलिटिकल लीडरशिप के मातहत न रखकर मुल्क को पाकिस्तान बनाना है ?

कश्मीर इश्यू को सेना बनाम कश्मीरी प्रतिपादित करना आरएसएस की चाल है। यह लोकतंत्र की बिदाई की ओर बढ़ा कदम होगा यदि हमने कश्मीर पर इस नजरिये को प्रचारित किया। इसका खामियाजा पूरे देश और देश के जनतंत्र को भुगतना पड़ सकता है।

आप प्रजा और प्रजातंत्र से प्रेम किये बिना यदि देशप्रेम की बात करते हैं तो आप निःसंदेह फासिस्ट हैं और आपका राष्ट्रवाद मिथ्या है।
कटु प्रश्न ?
क्या हिंदुस्तान के किसी कानून में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' या किसी भी अन्य देश को जिंदाबाद बोलना अपराध की श्रेणी में आता है जब तक कि उस देश को शत्रुदेश घोषित न कर दिया जावे ?

श्री श्री रविशंकर के प्रोग्राम में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे थे।

उन्होंने भी खुद बोला था। संत विनोवा भावे 'जय जगत' का नारा देते थे। फिर 'पाकिस्तान जिंदाबाद' बोलना कब अपराध हो गया ? किस दफा में ? या फिर ये तब ही अपराध हो जाता है जब कोई भारतीय मुसलमान ये नारा लगाये। यदि हाँ तो कानून के किस उपबंध में ?

मैंने शुरू में ही कहा था कि मिथ्या राष्ट्रवादी देश को गृहयुद्ध में झोंकेंगे या फिर युद्ध में।

निजी खबरिया चेनल्स उनके इसी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। वे इनदोनों बुरी परिस्थितियों के लिए माहौल बना रहे हैं। पटना में "पॉपुलर फ्रंट जिंदाबाद" के नारे को "पाकिस्तान जिंदाबाद" कहकर उन्माद को हवा दी गयी है। यदि यह सही है तो भी 'पकिस्तान जिंदाबाद' का नारा तब तक आपत्तिजनक नहीं है जबतक कि उसे लगाने वाला 'हिन्दोस्तान मुर्दाबाद' साथ में न बोले। वैसे कानून में सिर्फ नारा लगाना देशद्रोह नहीं है।