प्रतिरोध के लिए गांधी के अहिंसा सिंद्धांत के बजाय मार्क्स की क्रांति वाजिब
प्रतिरोध के लिए गांधी के अहिंसा सिंद्धांत के बजाय मार्क्स की क्रांति वाजिब
अंबेडकर स्टूडेंट फोरम ने मनाया प्रतिरोध दिवस
ज्ञान चन्द्र पाल
वर्धा, 27 अगस्त 2016: बौद्ध अध्ययन के निदेशक डॉ. सुरजीत कुमार सिंह ने प्रतिरोध को बहुजनों का आवश्यक हथियार बताते हुएकहा है कि प्रतिरोध के लिए गांधी के अहिंसा सिंद्धांत के बजाय मार्क्स की क्रांति वाजिब है। देश भर के विश्वविद्यालयों में दलित विद्यार्थियों के हो रहे शोषण और भेदभाव पर उन्होंने गहरा क्षोभ व्यक्त किया।
डॉ. सुरजीत अंबेडकर स्टूडेंट फोरम द्वारा आयोजित ‘प्रतिरोध की संस्कृति और आज का समय’ विषय पर व्याख्यान में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
यह व्याख्यान अंबेडकर स्टूडेंट फोरम द्वारा युवा अंबेडकरी आदिवासी लेखक-विचारक, बहुजन चिंतक डॉ. सुनील कुमार ‘सुमन’ के जन्मदिवस को डॉ. अंबेडकर कालेज आफ सोशल वर्क, चेतना कालेज परिसर, सावंगी के ‘सावित्रीबाई फुले सभागार’ में मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. यशवंत लामतुरे (सर्जरी विभाग, सावंगी मेडिकल कॉलेज) ने की।
कार्यक्रम का प्रारंभ सोशल वर्क की छात्रा सोनम के स्वागत गीत से हुआ। तत्पश्चात रचना, आशु, और साधना ने ‘तुम्हारी जय हो भीम महान’ गीत गाया।
प्रोफेसर यशवंत लामतुरे ने अपने व्याख्यान में धर्म और धम्म को अलग-अलग परिभाषित किया।
नूतन मालवी ने प्रतिरोध को आज के समय की आवश्यकता बताया। उन्होंने मनुवाद और मनुस्मृति को भारत के लिए अभिशाप बताया।
इस विषय पर बोलते हुए वे रोहित वेमुला हत्याकांड से लेकर गुजरात के ऊना में गौरक्षों द्वारा दलितों की पिटाई को उनको सताने का वर्तमान सरकार की प्रायोजित रणनीति बताया।
चन्द्रशेखर मड़ावी ने डॉ. सुनील कुमार ‘सुमन’ को जन्मदिन की बधाइयाँ देते हुए उनके द्वारा वर्धा में किए गए सामाजिक कार्यों की प्रशंसा की।
उन्होंने अपने वक्तव्य में विश्वविद्यालय द्वारा डॉ. सुमन को प्रताड़ित किए जाने की कठोर शब्दों में निंदा की।
पीएच-डी शोधार्थी रवींद्र कुमार यादव ने समाज के विकास में प्रतिरोध के लंबे इतिहास को रेखांकित किया। उन्होंने महात्मा बुद्ध, कबीर, रैदास, नानक, नामदेव, और पेरियार को प्रतिरोध की परंपरा का सच्चा वाहक बताया।
डॉ. सुनील कुमार ‘सुमन’ ने जन्मदिवस के आयोजकों को हार्दिक धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आप लोग मेरा जन्मदिन मना रहे हैं, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि इसके बहाने सामाजिक जागरूकता का प्रयास हो रहा है। उन्होंने प्रतिरोध को सृजनात्मकता का आधार बताया और कहा कि जिस प्रकार नवांकुर धरती की पर्त से प्रतिरोध करके नए पौधे का सृजन करता है, उसी प्रकार समाज की पुरानी सड़ी-गली कुरीतियों, व्यवस्थाओं के प्रतिरोध स्वरूप नए समाज का निर्माण होता है।
सावित्रीबाई फुले के प्रतिरोध को याद करते हुए उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई स्त्रियों के हक के लिए प्रतिरोध करने वाली पहली स्त्री हैं।
इस अवसर पर अंबेडकर स्टूडेंट फोरम के निर्भीक, कर्मठ, एवं ओजस्वी कार्यकर्ता स्त्री अध्ययन विभाग के पीएच-डी शोधार्थी रजनीश कुमार अंबेडकर को पुष्प की माला पहनाकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में अनु सुमन बड़ा, अनीश कुमार, जितेंद्र सोनकर, प्रफ्फुल मेश्राम, गोविंद मीना, फिरोज नन्द, मोनिका पंत, राजकुमार, दीप्ति ओगरे, अरविंद, सत्यप्रकाश, दिलीप गिरहे, जीतेन्द्र सोनकर आदि विद्यार्थी-शोधार्थी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन दीनानाथ यादव, पीएच-डी शोधार्थी, समाज कार्य विभाग और बबीता कुमारी, शोधार्थी. एम. फिल. हिंदी साहित्य ने संयुक्तरूप से किया। साथ ही रंजीत कुमार निषाद, पीएच-डी शोधार्थी, तुलनात्मक साहित्य ने कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।


