प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है माकपा
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है माकपा
CPI-M can bring impeachment motion on Chief Justice Deepak Mishra
नई दिल्ली, 23 जनवरी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है कि वह देश के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर एक महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। यह कदम सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों द्वारा मिश्रा पर मामलों के आवंटन में मनमानी करने की शिकायत के बाद सामने आया है। हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चारों जज और सीजेआई के बीच पिछले दिनों मुलाकात हो चुकी है। इसके बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मसला हल होने का दावा किया था।
बता दें कि 12 जनवरी को जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन बी लोकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठाए थे। चार न्यायाधीशों ने सर्वोच्च न्यायालय के प्रशासन पर सही ढंग से कार्य नहीं करने का आरोप लगाया था। उन्होंने न्यायमूर्ति मिश्रा पर मामलों का आवंटन मनमाने तरीके से करने का आरोप लगाया था।
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने संवाददाताओं से कहा,
"इन हालात में कोई दूसरा उपाय नहीं है, लेकिन अगर कुछ गलत हो रहा है तो संस्थान (सर्वोच्च न्यायालय) को सही करने की जरूरत है। यह प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाकर किया जा सकता है।"
बजट सेशन में आएगा महाभियोग प्रस्ताव ?
सीताराम येचुरी ने कहा कि 29 जनवरी से शुरू हो रहे आगामी बजट सत्र में प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावनाओं पर अन्य विपक्षी दलों के साथ मामले पर चर्चा की जा रही है।
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सीताराम येचुरी ने कहा,
"हम आगे बढ़ रहे हैं। मुझे लगता है कि जिस वक्त 29 जनवरी को संसद बैठेगी, मामला स्पष्ट हो जाएगा। हम महाभियोग प्रस्ताव लाने की ओर अग्रसर होंगे। यह समय विधायिका का कार्यपालिका के साथ मिलकर अपनी भूमिका निभाने का है।"
क्या है ये मामला?
- 12 जनवरी को उच्चतम न्यायालय के 4 जजों ने पहली बार अभूतपूर्व कदम उठाया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद दूसरे नंबर के सीनियर जज जस्टिस जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन बी लोकुर और कुरियन जोसेफ ने शुक्रवार को मीडिया में 20 मिनट बात रखी। दो जज बोले, दो चुप ही रहे।
- जस्टिस चेलमेश्वर ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए। कहा- "लोकतंत्र दांव पर है। ठीक नहीं किया तो सब खत्म हो जाएगा।"
चीफ जस्टिस को दो महीने पहले लिखा 7 पेज का पत्र भी जारी किया। इसमें कहा गया है कि चीफ जस्टिस पसंद की बेंचों में केस भेजते हैं। चीफ जस्टिस पर महाभियोग के सवाल पर बोले कि यह देश तय करे। उन्होंने जज लोया की मौत के केस की सुनवाई पर भी सवाल उठाए।
जजों ने चीफ जस्टिस पर क्या आरोप लगाए?
1.चीफ जस्टिस ने अहम मुकदमे पसंद की बेंचों को सौंप दिए। इसका कोई तर्क नहीं था। यह सब खत्म होना चाहिए। कोर्ट में केस अलॉटमेंट की मनमानी प्रॉसेस है।
2.जस्टिस कर्णन पर दिए फैसले में हममें से दो जजों ने अप्वाइंटमेंट प्रॉसेस दोबारा देखने की जरूरत बताई थी। महाभियोग के अलावा अन्य रास्ते भी खोलने की मांग की थी।
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3.कोर्ट ने कहा था कि एमओपी में देरी न हो। केस संविधान पीठ में है, तो दूसरी बेंच कैसे सुन सकती है? कॉलेजियम ने एमओपी मार्च 2017 में भेजा पर सरकार का जवाब नहीं आया। मान लें कि वही एमओपी सरकार को मंजूर है।


