प्रधानजी का महिला सशक्‍तिकरण - ऐसी 'सशक्‍त' महिलाओं को लेकर पता नहीं नागपुर मुख्‍यालय में इतनी दिक्‍कत क्‍यों है?
नई दिल्ली। एक संसदीय लोकतंत्र में किसी के सशक्‍तीकरण की आखिरी सीढ़ी उसका राजनीतिकरण होती है, ऐसा कहा जाता है। इस पैमाने पर देखें, तो देश में किसी नेता ने अपने राज में सबसे ज्‍यादा महिलाओं का यदि "सशक्‍तिकरण" किया है तो वे बेशक अपने मौजूदा प्रधानजी हैं। इसकी सबसे मज़बूत मिसाल केंद्रीय मंत्री स्‍मृति ईरानी हैं और दूसरे नंबर पर गुजरात की मुख्‍यमंत्री आनंदीबेन पटेल हैं। प्रधानजी ने जितनी महिलाओं को राजनीति में लाकर "सशक्‍त" करने का काम किया है, उसकी गिनती करना किसी भी खोजी पत्रकार के लिए दिलचस्‍प स्‍टोरी हो सकता है।
पिछले साल आनंदीबेन पटेल की बेटी अनार पटेल को प्रधानजी के कहने पर बीजेपी में शामिल कर लिया गया था। इंडियन एक्‍सप्रेस (1 दिसंबर, 2014) के मुताबिक अनार को बीजेपी में लाने वाले बीजेपी नेता किशनसिंह सोलंकी ने इस बारे में कहा था, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने निर्देश दिया था कि उन लोगों को बीजेपी में लाया जाए जो राजनीति में आने से बचते हैं। उनके कहने पर ही हमने अनार और अन्‍य को अप्रोच किया।" इसके अलावा खानदानी कांग्रेसी रहीं पूनमबेन मदाम/मैडम को भी बीजेपी में लाकर लोकसभा का टिकट जामनगर से दे दिया गया। आज मदाम वहां की सांसद हैं। मदाम 2009 तक दिल्‍ली में ही रहती थीं। टीवी कलाकार दीक्षा वनकानी के तीन करीबी रिश्‍तेदारों को पिछले साल ही बीजेपी में लाया गया। अभिनेत्री शीतल शाह को भी बीजेपी का सदस्‍य बना दिया गया।
महिला सशक्‍तिकरण पर चल रही चौतरफा चर्चाओं में यह 'प्रधान' आयाम जोड़ा जाना ज़रूरी है क्‍योंकि ऐसे 'सशक्‍तिकरण' में प्रमोशन की कोई सीमा नहीं होती। अगर एक ज्‍योतिषी ने स्‍मृति ईरानी के राष्‍ट्रपति बनने की भविष्‍यवाणी की थी, तो बिना भविष्‍यवाणी के अनार पटेल को राज्‍यसभा भी भेजा जा सकता है और संभव है कि अगले कैबिनेट विस्‍तार में पूनमबेन मदाम को कोई मंत्रालय ही पकड़ा दिया जाए। ऐसी 'सशक्‍त' महिलाओं को लेकर पता नहीं नागपुर मुख्‍यालय में इतनी दिक्‍कत क्‍यों है?
अभिषेक श्रीवास्तव