पंचायतीराज विभाग की आयुक्त एवं सचिव श्रीमती अर्पणा अरोरा ने महिला जनप्रतिनिधियों के सशक्तिकरण हेतु किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा है कि हर पंचायत की एक वेबसाइट बनाई जाए ताकि वहां की समस्याओं का त्वरित निदान हो सके। उन्होंने कहा कि वार्ड पंचों को पंचायत के खाते की भी नियमित मॉनिटरिंग करते रहना चाहिए तथा उसमें शेष बची धनराशि का उपयोग संबंधित क्षेत्र के विकास में करवाएं।

श्रीमती अरोरा शुक्रवार को समाप्त द हंगर प्रोजेक्ट की ओर से आयोजित की गई तीन दिवसीय राज्य स्तरीय महिला पंच-सरपंच संगठन शेयरिंग बैठक में बोल रही थीं। बैठक में राजस्थान के 8 जिलों के 10 ब्लॉक एवं 8 स्वयंसेवी संस्थाओं सहित 57 संभागियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर श्रीमती अरोरा ने कहा कि हर राजस्व गांव में नियमित बैठकें हों तथा उन बैठकों में समस्याओं की नियमित सुनवाई हो तथा महिला सभा में उठने वाले मुददों पर प्रभावी कार्रवाई हो।

द हंगर प्रोजेक्ट के क्षमतावद्र्वन कार्यक्रमो से महिला जनप्रतिनिधियों में जो आत्मविश्वास पैदा हुआ है, वह प्रशंसनीय है। उन्होंने उपस्थित महिला नेत्रियों से कहा कि वे अपने कार्यक्षेत्रों में आए मुद्दों को ब्लॉक और जिला स्तर पर निपटाने का प्रयास करें। अगर वहां समाधान नहीं हो, तो राज्य स्तर पर सम्पर्क कर सकते हैं। अपने उद्बोधन में उन्होंने महिला जनप्रतिनिधियों का आह्वान किया कि द हंगर प्रोजेक्ट के कार्यक्षेत्र से विशेष प्रकार के मुददों को पंचायतीराज विभाग तक पहुंचाएं। महिला पंच-सरपंचों को सम्बोधित करते हुए अपर्णा अरोड़ा ने कहा कि गांवों में महिलाएं जनप्रतिनिधि के रूप में चुन ली जाती हैं, लेकिन उनके कार्य पुरूष ही संचालित करते हैं। ऐसे में महिला जनप्रतिनिधियों को अपने अधिकारों का उपयोग स्वयं करना चाहिए। उन्होने बताया कि पंचायत, तहसील और जिला परिषद स्तर पर महिलाओं को अतिरिक्त कार्यभार और संसाधन दिए जा रहे हैं, जिनका उपयोग कर वे शिक्षा, रोजगार, महिला स्वावलम्बन आदि को बढ़ावा देने में कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि महिला वार्ड पंच-सरपंच अपने क्षेत्र में संचालित मिड डे मील योजना, अस्पतालों की स्थिति आदि की मॉनिटरिंग करें तथा वहां की समस्याओं को प्रमुखता से उठाएं।

बैठक के दौरान पंचायतीराज विभाग के सलाहकार डॉ. पी.आर. शर्मा ने कहा कि पंचायतीराज व्यवस्था में कई समस्याएं हैं, जिनका समाधान करना जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों का दायित्व है। उन्होंने पंचायत, ब्लॉक एवं जिला स्तर पर सफलतापूर्वक अर्जित की गई उपलब्धियों एवं सफल मुददों का संकलन कर पंचायतीराज विभाग को भिजवाने का सुझाव दिया। विभाग की ओर से इनका व्यापक प्रचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसा करना अन्य ब्लॉक व जिलों के जनप्रतिनिधियों के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होगा।

अपने अनुभवों पर प्रकाश डालते हुए राजसमंद जिले के खमनौर ब्लॉक की उपली ओडन ग्राम पंचायत की उप सरपंच राखी पालीवाल ने बताया कि किस प्रकार उन्होंने पंचायत में सम्पूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम के तहत खुले में शौच करने के प्रति संवेदनशील कार्य किया। उन्होंने बताया कि पंचायत को फेसबुक से जोड़ा गया, ताकि समस्या का समाधान जल्द से जल्द हो सके।

रेवदर ब्लॉक की सरपंच मधु देवी ने अपने क्षेत्र में अवैध शराब के ठेकों को बन्द करवाने के प्रयासों को विस्तार से बताया। उनके क्षेत्र में बिना लाइसेन्स के संचालित हो रहे तीन बार-रेस्टोरेन्ट व 86 अवैध शराब की दुकानों को संगठन के जरिए हटाने का प्रयास करने के बारे में भी बताया गया।

राजसमंद जिले के रेलमगरा ब्लॉक की वार्ड पंच नर्बदा देवी ने बताया कि उनके गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर स्वीकृत सात डॉक्टरों में से केवल एक डॉक्टर नियुक्त है। उन्होंने ब्लॉक स्तर पर एक महिला डॉक्टर की नियुक्ति की माँग उठाई। कोटडी पंचायत की सरपंच अमृत कुंवर ने पंच-सरपंच संगठन द्वारा महिला हिंसा मुद्दे पर जिला स्तर पर महिला हेल्पलाइन की शुरूआत की जिसमें जिला कलेक्टर का अनुकरणीय सहयोग मिला। इन्हीं के मार्गदर्शन से संगठन जिले भर में प्रताडि़त महिलाओं को फोन पर ही उनकी समस्याओं की सुनवाई कर आवष्यक परामर्श दे रहा है, जो पूरे राजस्थान के लिए एक अनूठा उदाहरण है।

बैठक में सिरोही जिले की आबूरोड ब्लॉक की युवा वार्ड पंच नवली गरासिया ने भी उनके क्षेत्र में पंचायतीराज व्यवस्था की स्थिति बयाँ की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार स्वयं ने पंचायतीराज व्यवस्था के बारे में समझ विकसित कर पहाड़ी क्षेत्र में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देते हुए बंद पड़े हुए स्कूलों को वापस चालू करवाए तथा अध्यापकों के रिक्त पड़े पदों पर नियुक्तियों के लिए ब्लॉक एवं जिला शिक्षा अधिकारी से समन्वय करते हुए 25 किशोरियों को शिक्षा से जोड़ा है।

जयपुर जिले के चाकसू ब्लॉक की सरपंच धन्ना कुंवर ने पंचायतीराज चुनाव में 2 बच्चों का नियम हटाने की माँग की। उन्होंने बताया कि इस नियम के कारण महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, वहीं महिलाओं पर गर्भपात करवाने का दबाव भी बनता है। उन्होंने सवाल उठाया कि यह नियम केवल पंचायतीराज व्यवस्था के लिए क्यों है, जबकि विधानसभा और लोकसभा के उम्मीदवारों के लिए नियम क्यों नहीं है़? उन्होंने इस प्रकरण में समान नियम लागू करवाने की माँग उठाई।

बैठक के समापन अवसर पर द हंगर प्रोजेक्ट के कार्यक्रम अधिकारी वीरेन्द्र श्रीमाली ने सभी अतिथियों एवं राजस्थान के विभिन्न अंचलों से आई महिला पंच-सरपंच व स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना 3करते हुए सभी को धन्यवाद दिया।